दीपावली पर भेंटआई
एक सदाबहार मिठाई ?
बड़े प्रेम से और हर्ष से दीपावली मनाई जाती
इष्ट मित्र रिश्तेदारों से,बहुत मिठाई है आ जाती
रसगुल्ला ,मिठाई छेने की, दो दिन में निपटा देते हम
क्योंकि अगर जो हुई पुरानी ,उन में आ जाता खट्टापन
भले जलेबी हो या इमरती ,अच्छी लगती गरम-गरम है
गाजर हलवा गरम सुहाता ,जब होता ठंडा मौसम है
काजू कतली थोड़े दिन में, चिपचिप करती नहीं सुहाती
और सभी रस भरी मिठाई ,कुछ दिन में
सूखी पड़ जाती
सब मिठाईयां होती बासी ,कुछ दिन में ढल जाए जवानी
केवल एक मिठाई ऐसी, जिसका नहीं कोई भी सानी
वह चिरयुवा ,स्वाद और सुंदर ,मुंह में रखो पिघल जाती है
पीतवर्ण,मनभावन ,प्यारी , सोहनपपड़ी कहलाती है
उसका लंबा टिकने वाला , यौवन ही उसका दुश्मन है
इस दिवाली भेंट मिली तो अगली तक निपटाते हम हैं
सबसे सुंदर स्वाद स्वदेशी ,यह मिष्ठान बड़ा प्यारा है
कभी प्रेम से खा कर देखो इसका स्वाद बड़ा न्यारा है
चॉकलेट से ज्यादा प्यारी ,पर लोगों नाम धर दिया
इसके स्वस्थ दीर्घ जीवन ने,है इसको बदनाम कर दिया
सोहनपपड़ी भेंट मिले तो, सुनो दोस्तों डब्बा खोलो
उसका प्यारा स्वाद चखो तुम ,अपने मुंह में अमृत घोलो
मदन मोहन बाहेती घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।