इंतजार ,अगली दिवाली का
दीपावली पर सब आए थे
मन उमंग और जोश भरे थे
पूरे घर भर में रौनक थी ,
कोने-कोने दीप जले थे
जब पूरा परिवार साथ हो ,
भाई ,भाभी, बेटे ,पोती
सब मिलकर के जश्न मनाते ,
तब असली दिवाली होती
साथ बैठकर खाना पीना
लक्ष्मी पूजा ,आतिशबाजी
हल्ला गुल्ला,शोर शराबा ,
कभी ताश की लगती बाजी
अन्नकूट और भाई दूज के
बाद सभी लौटे अपने घर
गई चांदनी चार दिनों की,
फिर से वही पुराना मंजर
घर में हम दो बूढ़े बुढ़िया
वक्त अकेले काट रहे हैं
बची प्यार की पूंजी है जो
वह हंस-हंसकर बांट रहे हैं
याद किया करते बीते पल
बंधा प्यार से परिवार है
आने वाली दिवाली का
हमको फिर से इंतजार है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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