विनती -प्रभू से
प्रभू जी तुम क्यों न आते आजकल
अपनी लीलाये दिखाते आजकल
तरक्की का गज ग्रसित है ग्राह से,
देश को क्यों ना बचाते आजकल
व्यवस्थाये अहिल्या सी शिलावत ,
पग लगा क्यों ना जिलाते आजकल
उसको आरक्षण तो है दिलवा दिया ,
बैर शबरी के न खाते आजकल
जनता का है चीर हरता दुशासन ,
चीर ,आ,क्यों ना बढाते आजकल
तुमसे मिलने फीस देता सुदामा ,
दौड़ ,खुद ना द्वार आते आजकल
सबसिडी चांवल पे तुमने दिलादी ,
खुद न वो चावल चबाते आजकल
पोल्युशन से यमुना मैली हो गयी ,
कहाँ पर हो तुम नहाते आजकल
दे रहे शिशुपाल कितनी गालियाँ,
चक्र क्यों ना हो चलाते आजकल
कंस का है वंश बढ़ता जा रहा ,
क्यों न तुम आकर मिटाते आजकल
आओ,तुमको याद ब्रज आ जाएगा ,
लोग सब ,मक्खन लगाते आजकल
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
प्रभू जी तुम क्यों न आते आजकल
अपनी लीलाये दिखाते आजकल
तरक्की का गज ग्रसित है ग्राह से,
देश को क्यों ना बचाते आजकल
व्यवस्थाये अहिल्या सी शिलावत ,
पग लगा क्यों ना जिलाते आजकल
उसको आरक्षण तो है दिलवा दिया ,
बैर शबरी के न खाते आजकल
जनता का है चीर हरता दुशासन ,
चीर ,आ,क्यों ना बढाते आजकल
तुमसे मिलने फीस देता सुदामा ,
दौड़ ,खुद ना द्वार आते आजकल
सबसिडी चांवल पे तुमने दिलादी ,
खुद न वो चावल चबाते आजकल
पोल्युशन से यमुना मैली हो गयी ,
कहाँ पर हो तुम नहाते आजकल
दे रहे शिशुपाल कितनी गालियाँ,
चक्र क्यों ना हो चलाते आजकल
कंस का है वंश बढ़ता जा रहा ,
क्यों न तुम आकर मिटाते आजकल
आओ,तुमको याद ब्रज आ जाएगा ,
लोग सब ,मक्खन लगाते आजकल
मदन मोहन बाहेती'घोटू'