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मंगलवार, 10 सितंबर 2013

मै लम्बोदर हूँ,नेता हूँ

   मै  लम्बोदर हूँ,नेता हूँ

मै इस गणतंत्र में ,प्रथम पूजनीय हूँ ,
विनायक नहीं,नायक हूँ
रिद्धि सिद्धि ,मेरे आसपास,
 करती है वास ,इतना लायक हूँ
मेरे खाने के और दिखाने के दांत अलग है 
ये बात जानता सारा जग है
करोडो के घोटालों के बाद भी ,
नहीं भरता है मेरा उदर
इसीलिये मै हूँ  लम्बोदर
दिखावे को ,मुझ पर पत्र,पुष्प चढ़ाया जाता है
मुझे    डायिबिटीज है,पर मोदक मुझे भाता  है
मै सूंड से नहीं उठाता ,
चमचों  के जरिये खाता हूँ
भारत भाग्य विधाता हूँ,रोज पूजा जाता हूँ
मेरे वाहन चूहे ,दिखने में छोटे नज़र आते  है
पर मौक़ा पड़ने पर ,
घोटालों से जुडी  फाइलों को,
कुतर कुतर कर खा जाते है
मै विध्नहर हूँ,देश का नेता हूँ
मेरी पूजा करो,प्रशाद चढ़ावो ,
आपके सारे विघ्न हर लेता हूँ
आपके हर काम सिद्ध कर सकता हूँ,
मै वो महारथी हूँ
मै  इस गणराज्य का नेता हूँ,गणपति हूँ

  मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

2 टिप्‍पणियां:

  1. लाजवाब कटाक्ष
    आपकी यह रचना कल बुधवार (11-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 113 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया व्यंग्य आ0 प्रदीप जी बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

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