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सोमवार, 2 सितंबर 2013

माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!


अब तक नहीं आयी
कहां तू लुकाई
भूख ने पेट में
हलचल मचाई
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!

गयी जिस ओर
निगाह उस ओर
घर में तो जैसे
सन्नाटे का शोर
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
ये हरे भरे पत्ते
बैरी हैं लगते
कहते हैं मां गई
तेरी कलकत्ते
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!

जल्दी से आओ
दाना ले आओ
इन सबके मुंह पे
ताला लगाओ
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!

अब हम न मानेंगे
उड़ना भी जानेंगे
तेरे पीछे-पीछे हम
आसमान छानेंगे
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!

- विशाल चर्चित

8 टिप्‍पणियां:

  1. अब हम न मानेंगे
    उड़ना भी जानेंगे
    तेरे पीछे-पीछे हम
    आसमान छानेंगे
    माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
    lovely expression vishal ji .

    जवाब देंहटाएं
  2. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 04/09/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी. आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. माँ की याद तो हर पल ही आती है ...
    सुन्दर भावमय रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  4. अब हम न मानेंगे
    उड़ना भी जानेंगे
    तेरे पीछे-पीछे हम
    आसमान छानेंगे
    माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!

    हर पंक्ति दिल में उतर गयी ,बहुत उम्दा रचना।
    कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार मदन भाई जी......कामकाज की व्स्तता की वजह से अब तक ब्लॉग पर ध्यान नहीं दे पा रहा था.....लेकिन अब कोशिश रहेगी कि आप सभी के ब्लॉग तक भी पहुंचूं !!!

      हटाएं

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