मिडिया -तूने क्या क्या किया
हम सुनते है ,तुम सुनते हो,सब सुनते है ,
तरह तरह की खबर रोज टी वी देता है
हरेक खबर की निश्चित एक उमर होती है,
किन्तु मिडिया उसको लम्बी कर देता है
बलात्कार ,अपहरण और मर्डर की खबरें,
तरह तरह की रोज रोज कितनी आती है
इतना ज्यादा उन्हें उछाला पर जाता है,
जिससे कई जरूरी खबरें दब जाती है
कितनी न्यूज़ चेनले चलती चौबीस घंटे ,
कितनी बार ,कहाँ से नयी खबर लाएगी
पर चौबीस घंटे कुछ ना कुछ करना ही है,
तो फिर वो खबरों पर चर्चा करवाएगी
कुछ जाने पहचाने नामी,चर्चित चेहरे ,
ऐसी चर्चाओं में रोज नज़र आते है
सारे के सारे बढ़ बढ़ बातें करते है ,
एक दूसरे को गाली दे,चिल्लाते है
क्रिकेट मैच जीतते ,वाह वाह होती है ,
और हार जाते ,केप्टिन गाली खाता है
कोई चैनल सदा किसी का आलोचक है ,
कोई चैनल ,सदा किसी के गुण गाता है
कभी दादरी वाला केस उछल जाता है ,
कभी मालदा वाली घटना दब जाती है
हर एक खबर के पीछे कोई भेद छुपा है,
और कुछ खबरे दावानल सी बन जाती है
चंद्रग्रहण पर,सूर्यग्रहण पर ,घंटों घंटों ,
ज्योतिषियों का पेनल मिल करता है चर्चा
करवा लाइव टेलीकास्ट कथा का वाचक,
पॉपुलर बनने को करते कितना खर्चा
राजनीति की उठापटक में माहिर टी वी,
कभी कभी सत्ताएं भी पलटा करता है
कभी किसी को बहुत उठता,बहुत गिराता ,
सत्ता ही क्या,हर विपक्ष उससे डरता है
हुई किसी की मौत चार दिन चर्चा होती,
बरसों बाद उखड़ते मुर्दे गढ़े हुए है
चार दिनों में मिले जमानत कोई को तो,
कोई सालों यूं ही जेल में पड़े हुए है
ग्रह बदले ना बदले ,टीवी जब रुख बदले ,
कितनो का ही भाग्य बदल लेकिन जाता है
कोई पार्टी सत्ता से च्युत हो जाती है ,
और किसी के हाथों में पावर आता है
खेल मिडिया का है या फिर है पैसों का,
कुछ भी हो,दोनों के दोनों पावरफुल है
देख मिडिया पर्सन,माइक और कैमरा ,
अच्छे अच्छों की हो जाती बत्ती गुल है
कोई फेंकता नेता पर चप्पल या श्याही,
पब्लिसिटी ,अच्छी खासी, पा लेता है
हरेक खबर की निश्चित एक उमर होती है,
मगर मिडिया उसको लम्बी कर देता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
हम सुनते है ,तुम सुनते हो,सब सुनते है ,
तरह तरह की खबर रोज टी वी देता है
हरेक खबर की निश्चित एक उमर होती है,
किन्तु मिडिया उसको लम्बी कर देता है
बलात्कार ,अपहरण और मर्डर की खबरें,
तरह तरह की रोज रोज कितनी आती है
इतना ज्यादा उन्हें उछाला पर जाता है,
जिससे कई जरूरी खबरें दब जाती है
कितनी न्यूज़ चेनले चलती चौबीस घंटे ,
कितनी बार ,कहाँ से नयी खबर लाएगी
पर चौबीस घंटे कुछ ना कुछ करना ही है,
तो फिर वो खबरों पर चर्चा करवाएगी
कुछ जाने पहचाने नामी,चर्चित चेहरे ,
ऐसी चर्चाओं में रोज नज़र आते है
सारे के सारे बढ़ बढ़ बातें करते है ,
एक दूसरे को गाली दे,चिल्लाते है
क्रिकेट मैच जीतते ,वाह वाह होती है ,
और हार जाते ,केप्टिन गाली खाता है
कोई चैनल सदा किसी का आलोचक है ,
कोई चैनल ,सदा किसी के गुण गाता है
कभी दादरी वाला केस उछल जाता है ,
कभी मालदा वाली घटना दब जाती है
हर एक खबर के पीछे कोई भेद छुपा है,
और कुछ खबरे दावानल सी बन जाती है
चंद्रग्रहण पर,सूर्यग्रहण पर ,घंटों घंटों ,
ज्योतिषियों का पेनल मिल करता है चर्चा
करवा लाइव टेलीकास्ट कथा का वाचक,
पॉपुलर बनने को करते कितना खर्चा
राजनीति की उठापटक में माहिर टी वी,
कभी कभी सत्ताएं भी पलटा करता है
कभी किसी को बहुत उठता,बहुत गिराता ,
सत्ता ही क्या,हर विपक्ष उससे डरता है
हुई किसी की मौत चार दिन चर्चा होती,
बरसों बाद उखड़ते मुर्दे गढ़े हुए है
चार दिनों में मिले जमानत कोई को तो,
कोई सालों यूं ही जेल में पड़े हुए है
ग्रह बदले ना बदले ,टीवी जब रुख बदले ,
कितनो का ही भाग्य बदल लेकिन जाता है
कोई पार्टी सत्ता से च्युत हो जाती है ,
और किसी के हाथों में पावर आता है
खेल मिडिया का है या फिर है पैसों का,
कुछ भी हो,दोनों के दोनों पावरफुल है
देख मिडिया पर्सन,माइक और कैमरा ,
अच्छे अच्छों की हो जाती बत्ती गुल है
कोई फेंकता नेता पर चप्पल या श्याही,
पब्लिसिटी ,अच्छी खासी, पा लेता है
हरेक खबर की निश्चित एक उमर होती है,
मगर मिडिया उसको लम्बी कर देता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'