मन- बसंत
मन बसंत था कल तक जो अब संत हो गया
अभिलाषा ,इच्छाओं का बस अंत हो गया
जब से मेरी ,प्राण प्रिया ने करी ,ठिठौली ,
राम करूं क्या ,बूढा मेरा कंत हो गया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
रामायण - मिथक से परे इतिहास की झलक - ३
-
रामायण - मिथक से परे इतिहास की झलक भाग - ३ आज मंदारा रोजेन रिजॉर्ट में
हमारी पहली और अंतिम सुबह है।यह स्थान श्री लंका के याला राष्ट्रीय उद्यान में
आता है। ...
1 दिन पहले