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शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

जिव्हा

            पते की बात 
          जिव्हा
नहीं होती कोई हड्डी जीभ में ,
  पर हिल कितने ही दिल तोड़ दिया करती है
वही जीभ जब तलुवे से मिल कहती 'सोरी',
  टूटे  हुए दिलों को जोड़ दिया करती है
घोटू

खुश रखो

         पते की बात 
          खुश रखो 
कम से कम दो आदमी को ,
           करो कोशिश ,खुश रखो तुम
  दूसरा कोई भी हो पर,
           मगर उनमे एक हो   तुम
घोटू

पत्थर

              पते की बात          
           पत्थर
जिंदगी में फूल थोड़े ही खिलेंगे
लोग अक्सर फेंकते पत्थर मिलेंगे
आप पर है ,किस तरस से काम लाओ
बनाओ दीवार या फिर पुल  बनाओ
घोटू

शतरंज

                  पते की बात            
     शतरंज
अपने पद और ओहदे पर ,कभी इतराओ नहीं,
बिछी है सारी  बिसातें,जिंदगी  शतरंज  है
कौन राजा,कौन प्यादा ,खेल जब होता ख़तम ,
सभी मोहरे ,एक ही डब्बे में होते  बंद है
घोटू 


माँ की महत्ता

             पते की बात   
               माँ की महत्ता 
 भीग कर बारिश में लौटा,एक दिन मै  रात  में 
भाई बोला 'छाता  क्यों ना ,ले गये  साथ में '
बहन बोली'रूकती जब बरसात तुम आते तभी '
पिता बोले 'पड़ोगे बीमार ,सुधरोगे  तभी '
तभी मेरे सर को पोंछा ,माँ ने लाकर तौलिया
गरम प्याला चाय का ,एक बना कर मुझको दिया
'बेटे ,कपडे बदल ले,सर्दी न लग जाए तुझे '
महत्ता माँ की समझ में,आ गयी उस दिन मुझे
घोटू

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