पते की बात
शतरंज
अपने पद और ओहदे पर ,कभी इतराओ नहीं,
बिछी है सारी बिसातें,जिंदगी शतरंज है
कौन राजा,कौन प्यादा ,खेल जब होता ख़तम ,
सभी मोहरे ,एक ही डब्बे में होते बंद है
घोटू
किताब मिली --शुक्रिया - 21
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जो तू नहीं तो ये वहम-ओ-गुमान किसका है
ये सोते जागते दिन रात ध्यान किसका है
कहां खुली है किसी पे ये वुसअत-ए -सहारा
सितारे किसके हैं ये आसमान किसका है
वुस...
27 मिनट पहले