विचार गंगा
हम शब्दों को छू ना पाते, शब्द हमें छू जाते हैं दृष्टिकोण अलग होता है, पास सभी के आंखें हैं
करनी तो सब ही करते हैं,लेकिन करनी करनी में,
फर्क बहुत होता,जीवन में जिससे सुख दुख आते हैं
आती हमें नजर है झट से, क्या कमियां है औरों में
लेकिन अपनी कमियों को हम, कभी देख ना पाते हैं
सब हमें पता है ,तुम्हें पता है ,सबको जाना है एक दिन ,
लंबे जीवन की आशा में ,हम खुद को बहलाते हैं
हमें जिंदगी बस गुजारनी नहीं ,जिंदगी जीनी है,
नहीं गटागट, घूंट घूंट जो पीते ,मजा उठाते हैं
अपनीअपनी पड़ी सभी को, दुख में साथ नहीं देते
रिश्ते ,नाते ,प्यार वफ़ा सब ,यह तो कोरी बातें हैं
सबको है मालूम ,साथ में कुछ भी ना जाने वाला
लेकिन मोह माया बंधन में हम बंधते ही जाते हैं
मदन मोहन बाहेती घोटू
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