विनती
प्रभु मुझ पर कर दे जरा कृपा
मैंने हरदम तेरा नाम जपा
श्रद्धा भक्ति से पूजा की ,
मंदिर में जाकर कई दफा
मैने कई बार प्रसाद चढ़ा
चालीसा भी हर बार पढ़ा
और तेरे भजन कीर्तन में ,
भाग लिया था बढ़ा चढ़ा
लेकिन इतनी सेवा का भी,
मिला मुझको नाही कोई नफा
प्रभु कर दे मुझ पर जरा कृपा
पूजा की और हवन भी किया
पंडित जी को भी दान दिया
नित सुबह शाम आराधन कर,
मैंने बस तेरा नाम लिया
पर मुझे न कुछ ईनाम मिला ,
ये कैसी बतला तेरी वफा
प्रभु कर दे मुझ पर जरा कृपा
तू तो बस चुप चुप रहता है
और हमें नहीं कुछ देता है
क्या तू अपने सब भक्तों की ,
बस यूं ही परीक्षा लेता है
अब एक लॉटरी खुलवा दें ,
इनाम दिला दें अबकी दफा
प्रभु मुझ पर कर दे जरा कृपा
मदन मोहन बाहेती घोटू
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