जीवन का कुछ ऊबा ऊबा
तो मन ने बांधा मनसूबा
जीने की राह नजर आई,
तन्मय तन, भक्ति में डूबा
कुछ प्राणायाम और योग किया
तन ने पूरा सहयोग दिया
मन रहता हे अब खिला-खिला
खुशियां भी दी, आरोग्य दिया
कर जीवन शैली परिवर्तन
अब खुश है तन,अब खुश है मन
आ गई नई चुस्ती फुर्ती
अब बदल गया मेरा जीवन
प्रभु भक्ति की पाई भेषज
श्री राम और गोविंदा भज
संचित है शांति और प्रेम
उलझा जीवन अब गया सुलझ
मदन मोहन बाहेती घोटू
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