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रविवार, 17 जून 2018

मुझे याद रहेगी देर तलक 

वो तेरी सूरत  मुस्काती 
वो तेरी जुल्फें  लहराती 
वो चाल तेरी हिरण जैसी ,
वो तेरी कमरिया बल खाती 
       मुझे याद रहेगी  तेरी झलक 
     बड़ी देर तलक ,बड़ी दूर तलक 
वो महकाता चंदन सा बदन 
वो बहकाती चंचल चितवन 
तू रूप भरी ,रस की गागर ,
वो मचलाता तेरा यौवन 
       जो भी देखे वो जाए बहक 
       बड़ी देर तलक बड़ी दूर तलक 
मुस्कान तेरी वो मंद मंद 
रसभरे ओंठ ,गुलकंद कंद 
तेरी हर एक अदा कातिल ,
मेरे मन को आती पसंद ,
        मद भरे नयन ,अधखुले पलक 
        बड़ी देर तलक,बड़ी दूर तलक 
वो तेरे तन की दहक दहक 
वो तेरी खुशबू,महक महक 
खन खन करती वो तेरी हंसी,
वो तेरी बातें चहक चहक 
        तू जाम रूप का ,छलक छलक 
         बड़ी देर तलक ,बड़ी दूर तलक 
तू मूरत  संगेमरमर की 
तू अनुपम कृति है ईश्वर की 
जैसे धरती पर उतरी हो ,
तू कोई अप्सरा अंबर की 
       तू सबसे जुदा ,तू सबसे अलग 
        बड़ी देर तलक ,बड़ी दूर तलक 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
 

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