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बुधवार, 13 जून 2018

पुराने दिनों की यादें 

आते है याद वो दिन ,जब हम जवान थे 
कितने ही हुस्नवाले हम पे मेहरबान  थे 
हमारी शक्शियत का जलवा कमाल था
आती थी खिंची लड़कियां कुछ ऐसा हाल था 
लेकिन हम फंस के एक के चंगुल में रह गए 
शादी की ,अरमां दिल के आंसुओ में बह गए 
फंस करके गृहस्थी में, हवा सब निकल गयी 
चक्कर में कमाई के ,जवानी फिसल गयी
 होकर के रिटायर , हुए ,बूढ़े  जरूर  है 
चेहरे पे हमारे अभी भी ,बाकी नूर   है 
लेकिन हम हसीनो के  चहेते  नहीं  रहे 
आती है पास लड़कियां ,अंकल हमें कहे 
अब मामले में इश्क के ,कंगाल हो गए 
गोया पुराना ,बिका हुआ, माल हो गए 
एक बात दिल को हमारे,रह रह के सालती 
बुढ़ियायें भी तो हमको नहीं घास डालती 
हालांकि उनका भी तो है उजड़ा हुआ चमन 
मिल जाए जो आपस में तो कुछ गुल खिला दे हम 
लेकिन हमारी किस्मत ही कुछ रूठ गयी  है
हाथों से जवानी की पतंग ,छूट गयी  है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

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