एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 22 जून 2018

नेताजी से 

परेशानी बढ़ , गयी अब चौगुना है 
कर रहे हर शिकायत को अनसुना है 
वोट पाकर , नोट के बस फेर में हो ,
क्या इसी के वास्ते तुमको  चुना है 
दूध चट कर  हमें कह कर चाय है ,
पिलाते तुम सिर्फ  पानी  गुनगुना  है
मुंह हमारा बंद रहे इस वास्ते 
आश्वासन  देते  पकड़ा झुनझुना है 
रजाई की तपिश पाने के लिए ,
रुई जैसा आपने हमको धुना है 
चाह कर भी हम निकल पाते नहीं ,
इस तरह से जाल वादों का बुना है 
अपने ही पैरों कुल्हाड़ी मार कर ,
मन हमारा ,बहुत जल जल कर भुना है 
ज्यादा उड़ने वाले अक्सर अर्श से ,
फर्श पर गिर जाते ,देखा और सुना है  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

1 टिप्पणी:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-