मनचला दिल
मेरे दोस्तों मेरा दिल मनचला है
कब किसपे फिसले पता ना चला है
बाहर से दिखता, बड़ा ही भला है
कई नाज़नीनों को इसने छला है
लड़कियां पटाने की आती कला है
बड़ा ही कलाकार ,है ये दीवाना
दिल लूटता है ,ये डाकू सयाना
नहीं भूल कर इसके चंगुल में आना
बहुत जानता ,रूठना और मनाना
भरोसा न करना ,ये तो दोगला है
लड़कियाँ पटाने की आती कला है
दिखाया हमेशा ,चमत्कार इसने
जी भर लुटाया ,सदा प्यार इसने
मानी किसी से भी ना हार इसने
किया अपने सपनो को साकार इसने
बड़े नाज़ नखरों से ,ये तो पला है
लड़कियाँ पटाने की आती कला है
दिखता तो सीधा सा नादान है ये
बड़ा ही मगर एक शैतान है ये
सताता है करता ,परेशान है ये
आशिक तबियत का इंसान है ये
किसी की न सुनता,ये दिलजला है
लड़कियाँ पटाने की आती कला है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।