उनने तन अपना ढका जब ,श्वेत ऊनी शाल से,
लगा इस पहाड़ों पर बर्फ़बारी हो गयी
बादलों ने चंद्रमा को क़ैद जैसे कर लिया ,
हुस्न के दीदार पर भी ,पहरेदारी हो गयी
जिनकी हर हरकत से मन में जगा करती हसरतें ,
वो नज़र आते नहीं तो बेकरारी हो गयी
हिलते डुलते जलजलों के सिलसिले अब रुक गए,
दिलजले आशिक़ सी अब हालत हमारी हो गयी
'घोटू '
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