जब आप जन्मदिन मनाते है
लोग शुभकामनाये देते हुए ,
अक्सर ये गीत गाते है
कि तुम जियो हज़ारों साल
और हर साल के दिन हो पचास हज़ार
आप अपने शुभचिंतकों का करते शुक्रिया है
पर क्या आपने कभी गौर किया है
कि गलती से भी ऊपरवाला ये भूल कर ले
आपके दोस्तों की दुआ कबूल कर ले
तो आपकी क्या हालत होगी
हज़ारों साल की उम्र ,कितनी मुसीबत होगी
पचास हज़ार दिन का सिर्फ एक साल भर
होता है तीनसौ पेंसठ दिनों के ,
एक सौ सेतींस वर्षों के बराबर
और ऐसे हज़ारों वर्ष जीने की कल्पना मात्र ही,
मन में सिहरन भर देती है
बैचैन और परेशान कर देती है
आज जब सत्तर या अस्सी तक की उम्र में ही,
शरीर शिथिल है ,बीमारियां घेरे है
हमारे अपने ही ,पूछते नहीं,मुंह फेरे है
हम उनके लिए बन जाते भार है
तो ऐसे हालात मे जीना ,कितना दुश्वार है
परेशानियां सहना है ,घुटना तिल तिल है
अरे ऐसे जीवन का तो पचास हज़ार दिन वाला ,
एक साल भी जीना मुश्किल है
जिसे शुभकामना समझ रहे आप है
अरे इतने लम्बे जीवन की दुआ ,
वरदान नहीं एक अभिशाप है
हम तो बस ये चाहते है ,
जब तक जिये स्वस्थ रहें
खुश और मस्त रहे
स्वाभिमान से रहे तने
किसी पर बोझ न बने
हमेशा छोटों का प्यार ,
और बड़ों का आशिर्वाद रहे बना
बस जन्मदिन पर चाहिए ,
सब की ये शुभकामना
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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