शादी या दीवाली
लटकती बिल्डिंगों पर जगमगाती ,इस तरह लड़ियाँ ,
सजाया जैसे हो चेहरा ,किसी दूल्हे के चेहरे पर
खिल रहे फूल अरमानो के जैसे फुलझड़ी ,झड़ती,
फटाखे फूटते मन में ,मिलन के ख्वाब रहरह कर
दिये से टिमटिमाते है ,कई सपने निगाहों में ,
घड़ी वो आएगी कब जब करेंगे लक्ष्मी पूजन ,
भले ही बात ये मालूम है हमको,उन्हें,सबको,
दिवाली चार दिन की,बाद में फिर रोज का चक्कर
घोटू
लटकती बिल्डिंगों पर जगमगाती ,इस तरह लड़ियाँ ,
सजाया जैसे हो चेहरा ,किसी दूल्हे के चेहरे पर
खिल रहे फूल अरमानो के जैसे फुलझड़ी ,झड़ती,
फटाखे फूटते मन में ,मिलन के ख्वाब रहरह कर
दिये से टिमटिमाते है ,कई सपने निगाहों में ,
घड़ी वो आएगी कब जब करेंगे लक्ष्मी पूजन ,
भले ही बात ये मालूम है हमको,उन्हें,सबको,
दिवाली चार दिन की,बाद में फिर रोज का चक्कर
घोटू
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