पटाखा तुम भी-पटाखा हम भी
छोड़ती खुशियों का फव्वारा तुम अनारों सा,,
हंसती तो फूलझड़ी जैसे फूल ज्यों झरते
हमने बीबी से कहा लगती तुम पटाखा हो ,
सामने आती हमारे ,जो सज संवर कर के
हमने तारीफ़ की,वो फट पडी पटाखे सी,
लगी कहने पटाखा मैं नहीं ,तुम हो डीयर
मेरे हलके से इशारे पे सारे रात और दिन,
काटते रहते हो,चकरी की तरह,तुम चक्कर
भरे बारूद से रहते हो ,झट से फट पड़ते,
ज़रा सी छूती मेरे प्यार की जो चिनगारी
लगा के आग,हमें छोड़, दूर भाग गयी,
हुई हालत हमारी ,वो ही पटाखे वाली
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
छोड़ती खुशियों का फव्वारा तुम अनारों सा,,
हंसती तो फूलझड़ी जैसे फूल ज्यों झरते
हमने बीबी से कहा लगती तुम पटाखा हो ,
सामने आती हमारे ,जो सज संवर कर के
हमने तारीफ़ की,वो फट पडी पटाखे सी,
लगी कहने पटाखा मैं नहीं ,तुम हो डीयर
मेरे हलके से इशारे पे सारे रात और दिन,
काटते रहते हो,चकरी की तरह,तुम चक्कर
भरे बारूद से रहते हो ,झट से फट पड़ते,
ज़रा सी छूती मेरे प्यार की जो चिनगारी
लगा के आग,हमें छोड़, दूर भाग गयी,
हुई हालत हमारी ,वो ही पटाखे वाली
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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