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शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

तू भी देख बदल कर चोला


        तू भी देख बदल कर चोला

                                  कल मुझसे मेरा मन बोला
                                   तू भी देख बदल कर चोला
मैंने सोचा क्या बन देखूं,जिससे सबसे प्यार कर सकूं
जनता की सेवा कर पाऊँ ,लोगों पर  उपकार कर सकूं
आयी एक आवाज ह्रदय से ,तेरी  वाणी में  है  जादू
इधर उधर की सोच रहा क्या ,नेता क्यों ना बन जाता तू
खादी  का कुरता पाजामा ,रंग बिरंगी टोपी सर पर
झूंठे वादे और आश्वासन ,देने होंगे तुझको दिन भर
कभी किसी की चाटुकारिता ,कभी किसी को देना गाली
ले सेवा का नाम लूटना , नेतागिरी की प्रथा निराली
दंद फंद  करने पड़ते है ,पर तू तो है बिलकुल भोला
                                 कल मुझसे मेरा दिल बोला
सोचा फिर क्या करूं ,भला है,इससे मैं साधू बन जाऊं
करूं भागवत ,कथा ,प्रवचन ,कीर्तन करूं ,प्रभु गुण गाउँ
वस्त्र गेरुआ धारण करके ,कुछ दाढ़ी बढ़वानी  होगी
अपने भाषण और प्रवचन में,नाटकीयता लानी होगी
सत्संगों में भीड़ जुटेगी,पागल सी जनता उमड़ेगी
सत्ता के गलियारों में भी,पहुँच और पहचान बढ़ेगी   
जनता भोली है ,करवालो,कुछ भी इससे,धर्म नाम पर
अपना तन मन और धन सब कुछ,कर देगी तुम पर न्योछावर
तुझे सफलता मिलना निश्चित ,क्योंकि तू है हरफनमौला
                                           कल मुझसे ,मेरा मन बोला

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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