क्या भरोसा ?
क्या भरोसा मेह और मेहमान का ,
आयेंगे कब और कब ये जायेंगे
बेटा बेटी ,साथ देंगे कब तलक ,
सीख लेंगे उड़ना ,सब उड़ जायेंगे
ये तो तय है ,मौत एक दिन आयेगी ,
और सरगम ,सांस की थम जायेगी ,
आज फल,इठला रहे जो डाल पर,
क्या पता किस रोज ,कब,गिर जायेंगे
कौन अपना और पराया कौन है ,
बाद मृत्यु के विषय ये गौण है
अहम का है बहम, हम कुछ भी नहीं,
मौत देखेंगे,सहम हम जायेंगे
मृत्यु ही जीवन का शाश्वत सत्य है
बच सकेगा,किस में ये सामर्थ्य है
जब तलक है तैल ,तब तक रोशनी,
वर्ना एक दिन ये दिये बुझ जायेंगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
क्या भरोसा मेह और मेहमान का ,
आयेंगे कब और कब ये जायेंगे
बेटा बेटी ,साथ देंगे कब तलक ,
सीख लेंगे उड़ना ,सब उड़ जायेंगे
ये तो तय है ,मौत एक दिन आयेगी ,
और सरगम ,सांस की थम जायेगी ,
आज फल,इठला रहे जो डाल पर,
क्या पता किस रोज ,कब,गिर जायेंगे
कौन अपना और पराया कौन है ,
बाद मृत्यु के विषय ये गौण है
अहम का है बहम, हम कुछ भी नहीं,
मौत देखेंगे,सहम हम जायेंगे
मृत्यु ही जीवन का शाश्वत सत्य है
बच सकेगा,किस में ये सामर्थ्य है
जब तलक है तैल ,तब तक रोशनी,
वर्ना एक दिन ये दिये बुझ जायेंगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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