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सोमवार, 27 जनवरी 2014

गीत

            गीत

शब्द पहले छंदों में ढलते है
छंद फिर धुनो में बंधते है
फिर किसी कोकिल कंठी के,
अधरों का स्पर्श पाते हुए,
दिल की गहराइयों से निकलते है
और संगीत के सुरों में सजते है ,
गीत बनते है

घोटू

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