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गुरुवार, 13 जुलाई 2023

अपना अपना घर 

तुमने अपने मां-बाप का घर,
 जो कि तुम्हें अपना घर लगता था,
 एक दिन छोड़ दिया क्योंकि ,
 तुम्हें मेरे साथ मिलकर 
अपना घर बसाना था
 
हमारे बच्चों ने भी हमारा घर ,
जो कि उनका भी उतना ही अपना था 
शादी के बाद छोड़ दिया क्योंकि 
उन्हें अपने पत्नी के साथ 
अपना घर बसाना था

  ये अपना घर छोड़ने का सिलसिला ,
  सभी के साथ उम्र भर चलता है
  हम अपनापन भूल कर ,
  अपना घर छोड़ देते हैं  
  अलग से अपना घर बसाने को 

कितने ही अपने अक्सर
हो जाते है पराये क्योंकि 
उन्हें अपने ढंग से जीने के लिए,
अपना अलग अस्तित्व बनाना होता है 
  
  हमारा यह शरीर भी तो 
  हमारी आत्मा का अपना ही घर है 
  जिसे  एक दिन किसी और शरीर में
  अपना घर बसाने को,
अपना घर छोड़ कर जाना होता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 


प्रार्थना 

जीर्णशीर्ण तन हुआ दिनोंदिन, बढी उम्र के साथ 
कई व्याधियों ने आ घेरा ,मचा रही उत्पात 
बहुत ही बिगड़ रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

हरा-भरा मैं एक वृक्ष था, घना ,मनोहर, प्यारा 
कई टहनियां, कोमल पत्ते, लदा फलों से सारा 
नीड़ बनाकर पंछी रहते, चहका करते दिनभर और गर्मी की तेज धूप में ,छाया देता शीतल लेकिन ऐसा पतझड़ आया ,पीले पड़ गए पात बहुत ही बिगड़ रहे  हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

तने तने से सुंदर तन से ,गायब हुई लुनाई 
चिकने चिकने से गालों पर आज झुर्रियां छाई ढीले ढाले अंग पड़ गए ,रही नहीं तंदुरुस्ती 
यौवन वाला जोश ढल गया, ना फुर्ती ना चुस्ती 
कमर झुक गई थोड़ी-थोड़ी थके पांव और हाथ 
बहुत ही बिगड़ रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

डॉक्टर कहते शुगर बढ़ गई ,किडनी करे न काम 
खानपान में मेरे लग गई ,पाबंदियां तमाम 
बढ़ा हुआ रहता ब्लडप्रेशर दिल का फंक्शन ढीला 
लीवर में भी कुछ गड़बड़ है, चेहरा पड़ गया पीला 
आंखों से धुंधला दिखता है ,पीड़ा देते दांत 
बहुत ही बिगड़ रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

मोह माया में फंसा हुआ मन, चाहे लंबा जीना मौज और मस्ती खूब उड़ाना ,अच्छा खाना-पीना 
सच्चे दिल से करूं प्रार्थना तुमसे मैं भगवान 
ऐसी संजीवनी पिला दो ,फिर से बनूं जवान सवामनी परशाद चढ़ाऊं ,मैं श्रद्धा के साथ 
बहुत ही बदल रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 10 जुलाई 2023

हम ,घड़ी के दो कांटे

मैं और मेरी पत्नी 
मैं घड़ी के छोटे कांटे जैसा, 
और वह घड़ी के बड़े कांटे जितनी 
वह जब चलती है 
बात का बतंगड़ बना देती है 
घड़ी के बड़े कांटे जैसी,
 एक घंटे में पूरी घड़ी का चक्कर लगा लेती है और मैं बड़े आराम से चलता हूं 
वही बात में पांच मिनट की दूरी में 
 कह दिया करता हूं 
 वह कभी चुप नहीं रह सकती 
 और दिन भर टिक टिक है करती 
 मैं एक आदर्श पति की तरह मौन रहता हूं 
 और दिन रात उसकी किच किच सहता हूं 
 फिर भी हम दोनों में है बहुत प्यार
 हम एक घंटे में मिल ही लेते हैं एक बार 
 कभी झगड़ा होता है तो हो जाते हैं आमने सामने 
पर हम दोनों एक दूसरे के लिए ही है बने 
बारह राशियों में बंटे हुए हैं 
 फिर भी एक धुरी पर टिके हुए हैं 
 और यह बात भी सही है 
 एक दूसरे के बिना हमारा अस्तित्व ही नहीं है

मदन मोहन बाहेती घोटू 


अतुल सुनीता परिणय उत्सव पर 
1
अतुल सुनीता व्याह को, बीते पैंतीस साल 
जोड़ी है अति सुहानी ,सबसे मृदु व्यवहार 
सबसे मृदु व्यवहार ,लुटाते प्रेम सभी पर 
सबसे हंस कर मिलते, देते खुशियां जी भर 
इनके अपनेपन ने सबका हृदय छुआ है 
जियें सैकड़ों साल, हमारी यही दुआ है 
2
कार्यकुशल कर्मठ अतुल ,मनमौजी है मस्त सुनीता है ग्रहणी कुशल ,गुण से भरी समस्त 
गुण से भरी समस्त ,धार्मिक संस्कार है 
पूरे परिवार का इनको सदा ख्याल है 
कार्तिकेय है पुत्र, शिवांगी प्यारी बिटिया 
ईश्वर दे इन सब को दुनिया भर की खुशियां

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जोड़ियां 

भगवान की महिमा अपरंपार है 
उसे जोड़ी बनाने से प्यार है 
उसने जब हमारा शरीर रचा 
तो जोड़ी बनाने का ख्याल रखा 
दो आंखें दी ,जोड़ी से 
दो कान दिए, जोड़ी से 
दो हाथ दिए ,जोड़ी से 
दो पांव दिए ,जोड़ी से 
यही नहीं पति-पत्नी की जोड़ी भी,
भगवान द्वारा ही बनाई जाती है 
जो जीवन भर जुड़ी रहकर साथ निभाती है 
पर कई बार यह बात देखने में आती है 
भगवान द्वारा कभी-कभी बेमेल जोड़ी भी बन जाती है 
पर इनमें कुछ तो समय के साथ हो जाती है एडजस्ट 
मगर कुछ को साथ साथ रहने में होता है कष्ट जब इनमें आपस में नहीं पट पाती है 
तो यह जोड़ियां चटक जाती है 
और जब बढ़ता है वाद-विवाद 
तो फिर कुछ दिनों के बाद 
जब तलाक की नौबत आती है 
तो भगवान की बनाई जोड़ियां भी टूट जाती है वैसे इंसान भी बनाता है कुछ जोड़ी 
जो अकेली नहीं जा सकती है छोड़ी 
जैसे जूते की जोड़ी 
अकेला जूता अपनी किस्मत पर रोता है
किसी नेता पर फेंकने के अलावा,
किसी काम का नहीं होता है
और भी जोड़ियां है जैसे साइकिल या बैलगाड़ी के पहियों की जोड़ी 
अकेली किसी भी काम की नहीं निगोडी
कुछ और भी जोड़ियां है जैसे टेबल टेनिस की बॉल और बेट
बैडमिंटन की शटल कॉक और रैकेट 
ये एक दूसरे के बिना अस्तित्वहीन है 
आप मुझसे सहमत होंगे, मुझे यकीन है 
वैसे कुछ खाने-पीने की जोड़ी भी इंसान बनाता है जब साथ-साथ खाते हैं तो दूना मजा आता है जैसे जलेबी और समोसा 
इडली और डोसा 
जब साथ साथ रहते हैं 
बड़ा स्वाद देते हैं 
जैसे बड़ा और पाव या पाव और भाजी 
अकेले खाकर कौन होता है राजी 
जैसे पानी और पताशा 
जब एक दूसरे में समाते हैं 
तभी जिव्हा को भाते हैं 
जेसे दही और बड़े 
जब जोड़ी में मिलते हैं तभी लगते हैं स्वाद बड़े जैसे चाय और पकौड़ी 
बारिश में साथ मिल जाए तो नहीं जाती है छोड़ी या गर्मी में कुल्फी और फलूदा
अच्छे नहीं लगते जब होते हैं जुदा
जैसे छोला और भटूरा 
एक दूसरे के बिना जिनका स्वाद है अधूरा  
जैसे बिहार की लिट्टी और चोखा 
दोनों मिलकर साथ देते हैं स्वाद अनोखा
तरह तरह की जोड़ियां खाने में मजा आता है 
पर आम आदमी दाल और रोटी की जोड़ी से ही काम चलाता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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