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रविवार, 14 अगस्त 2022

अनोखी दोस्ती

 कैसे मित्र बने हम बहनी 
 मैं शाखामृग ,तू मृग नयनी
 
 मैं प्राणी, बेडोल शकल का
 हूं थोड़ी कमजोर अकल का 
 लंबी पूंछ , मुंह भी काला 
 मैं हूं चंचल पशु निराला 
 मैं तो पुरखा हूं मानव का 
 मेरा भी अपना गौरव था 
 मुख जो देखे सुबह हमारा 
 उसको मिलता नहीं आहारा 
 तेरा सुंदर चर्म मनोहर 
 तीखे नैन बड़े ही सुंदर 
 तू मित्रों के संग विचरती
 हरी घास तू वन में चरती
 तेरे जीवन का क्या कहना 
 मस्त कुलांचे भरते रहना 
 और मैं उछलूं टहनी टहनी 
मैं शाखामृग, तू मृग नयनी

 नहीं समानता हमें थोड़ी 
 कैसे जमी हमारी जोड़ी 
 हम साथी त्रेतायुग वाले 
 रामायण के पात्र निराले
 मैं मारीच, स्वर्ण का मृग बन 
 चुरा ले गया सीता का मन 
 सीता हरण किया रावण ने 
 राम ढूंढते थे वन वन में 
 मैं हनुमान , रूप वानर का 
 मैंने साथ दिया रघुवर का 
 किया युद्ध ,संजीवनी लाया 
 लक्ष्मण जी के प्राण बचाया 
 और गया फिर रावण मारा 
 रामायण में योग हमारा 
 याद कथा ये सबको रहनी 
 मैं शाखामृग, तू मृगनयनी

 मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

शांति की अपील 

इधर-उधर और दाएं बाएं
 देख रही हो होती घटनाएं
 रूस और यूक्रेन लड़ रहे 
 एक दूजे पर दोष मढ़ रहे 
 चीन युद्ध अभ्यास कर रहा 
 ताइवान की ओर बढ़ रहा 
 पाकिस्तानी आतंकवादी
  घुसते भारत में उन्मादी
  अमेरिका सबको उकसाता 
  दे हथियार,युद्ध भड़काता 
  ऐसा कुछ माहौल बना है 
  परेशान हर एक जना है 
  तुम छोटी बातों को लेकर 
  मुझसे लड़ती रहती दिनभर 
  यह मत देखो, यह मत बोलो 
  मेरे आगे मुंह मत खोलो 
  आंख मूंदकर मेरी मानो
   अमेरिका सा मुझको जानो
   अश्रु गैस से मुझे डराती 
   बैलन का हथियार चलाती 
   बात-बात पर रुठा रूठी
   रोज शिकायत झूठी झूठी 
   विश्वयुद्ध का  है छाया
    तुमने है गृह युद्ध मचाया 
    मैं हथियार डालता डर में
    कायम शांति रहे इस घर में 
    तुम भी कुछ परिवर्तन लाओ
    देवी, शांतिदूत बन जाओ

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 8 अगस्त 2022

पूछ रहे क्या हाल-चाल है 
तुम्ही भी समझ लो कैसे होगे,
 भैया ये तो अस्पताल है 
 
श्वेत पर्दों से घिरा आईसीयू,
 अब लगने लगा कश्मीर है 
 कद्दू की सब्जी के टुकड़े ,
 लगते मटर पनीर हैं 
कभी रायता जो मिल जाता
तो वो लगता खीर है 
 केरल की सेवाभावी नर्सें
  कर रही देखभाल है 
  भैया यह तो अस्पताल है 
  
  बीमारी में सभी डॉक्टर 
  को मिल गई खुली छूट 
  सबका बस एक लक्ष्य है 
  जितना लूट सके तू लूट 
  जब तक के बीमार का 
  पूरा घर ना जाए टूट
  आदमी आता बीमार है 
  लौटता ता कंगाल है 
  भैया यह तो अस्पताल है

घोटू 
मैंने जीना सीख लिया है 

यह बीमारी वह बीमारी 
रोज-रोज की मारामारी 
यह मत खाओ, वह मत खाओ 
मुंह पर अपने मास्क लगाओ 
गोली ,कैप्सूल ,इंजेक्शन 
खाओ दवाएं, फीका भोजन
 हर एक चीज पर थी पाबंदी
 पाचन शक्ति पड़ गई मंदी
 मेरी हालत बुरी हो गई 
 चेहरे की मुस्कान खो गई 
 मुझे प्यार से समझा तुमने,
 मेरे मन को ठीक किया है 
 मैंने जीना सीख लिया है 
   
तुमने बोला ,सोच सुधारो 
यू मत अपने मन को मारो 
मनमाफिक, सब खाओ पियो 
लेकिन घुट घुट कर मत जियो 
तन अनुसार ,ढाल लो तुम मन 
आवश्यक पर कुछ अनुशासन
 मज़ा सभी चीजों का लो पर 
 रखो नियंत्रण तुम अपने पर
 मौज मस्तियां खूब मनाओ 
 मित्रों के संग नाचो गाओ 
 नई फुर्ती और नए जोश ने ,
 कर मुझ को निर्भीक दिया है 
 मैंने जीना सीख लिया है 
  
जिस दिन से यह शिक्षा पाई 
नव जीवन शैली अपनाई 
बीमारी सारी गायब है 
चेहरे पर आई रौनक है 
फुर्तीला हो गया चुस्त हूं
लगता है मैं तंदुरुस्त हूं 
मेरी सोच सकारात्मक है
और जीने की बढ़ी ललक है 
बाकी जितनी बची उमर है 
अब जीना सुख से ,हंसकर है 
मेरे मन के वाद्य यंत्र ने ,
सीख गया संगीत लिया है 
मैंने जीना सीख लिया है

मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 7 अगस्त 2022

धन्यवाद ज्ञापन 

सब ने प्यार दिया ना होता ,
तो मेरा उपचार न होता
 डगमग था जो फंसा भंवर में ,
 मेरा बेड़ा पार ना होता 
 
  व्याधि विकट ,घड़ियां संकट की
   ने जब मुझको घेर लिया था 
   क्षीण आत्मविश्वास हुआ था ,
   हिम्मत में मुंह फेर लिया था 
   जीवन मृत्यु बीच झूले में 
   ऊपर नीचे झूल रहा था 
   बीते दिन की खट्टी मीठी 
   यादों को मैं भूल रहा था 
   इस स्थिति से मुझे उबारा ,
   मुझे डॉक्टर की भेषज ने
    उस पर दूना हाथ बंटाया,
    प्रेम दुआ जो भेजी सब ने 
    करी प्रार्थना सभी हितेषी की  
    अब दिखला रही असर है 
    मेरा स्वास्थ्य सुधार हो रहा,
    और दिनो दिन अब बेहतर है
     शुभचिंतक बंधु बांधव और 
     मित्रों का सहकार न होता 
     आशीर्वाद बुजुर्गों का और 
     ईश्वर का उपकार न होता 
     सब ने प्यार दिया ना होता 
     तो मेरा उपचार ना होता

    मदन मोहन बाहेती घोटू 

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