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शनिवार, 4 जनवरी 2014

वरिष्ठ -गरिष्ठ

     वरिष्ठ -गरिष्ठ

वरिष्ठ हो गए है,गरिष्ठ हो गए है ,पचाने में हमको ,अब होती है मुश्किल
मियां, बीबी,बच्चा ,है परिवार अच्छा ,कोई अन्य घर में ,तो होती है मुश्किल 
सभी काम करते ,मगर डरते डरते ,रहो बैठे खाली ,तो होती है मुश्किल
जिन्हे पोसा पाला ,लिया  कर किनारा ,देने में निवाला ,अब होती है मुश्किल
चलाये जो टी वी ,कहे उनकी बीबी ,कि बिजली के खर्चे बहुत बढ़ गए है
कहीं आयें ,जाये ,तो वो मुंह फुलाये ,उनके दिमाग,आसमा चढ़ गए है
करो कुछ तो मुश्किल,करो ना तो मुश्किल,बुढ़ापे में कैसी ये दुर्गत हुई है
भले ही बड़े  है ,तिरस्कृत पड़े है ,न पूछो हमारी क्या हालत हुई है
हमारी ही संताने ,सुनाती हमें  ताने,भला खून के घूँट,पीयें तो कबतक
वो हमसे दुखी है ,हम उनसे दुखी है,भला जिंदगी ऐसी ,जीयें तो कब तक

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

अरज -पिया से

           अरज -पिया से

प्रियतम! तुम मुझे,
'प्रिया' कहो या 'प्रनवल्ल्भे '
'जीवनसंगिनी 'या 'अर्धांगिनी'
'पत्नी' या 'वामांगनी'
'भार्या' कहो या' भामा'
या बच्चों की माँ कह कर बुलाना
कह सकते हो 'बीबी' ,'वाईफ' या 'जोरू'
पर मैं आपके हाथ जोडूं
मुझे 'घरवाली'कह कर मत बुलाना 
वरना मैं कर दूंगी हंगामा
क्योंकि घरवाली कहने से ये होता है आभास
कोई बाहरवाली भी है आपके पास
और सौतन का बहम
भी मैं नहीं कर सकती सहन
और घरवाली शब्द में ,
घरवाली मुर्गी का होता है अहसास
जो लोग कहते है होती है दाल के बराबर
और मैं प्राणेश्वर !
दाल के बराबर नहीं ,
दिल के बराबर स्थान पाना चाहती हूँ
इसलिए ,आप कुछ भी पुकार ले,
घरवाली नहीं कहलाना चाहती हूँ

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

पत्नी का निवेदन -इंजिनीयर पति से

पत्नी का निवेदन -इंजिनीयर पति से

माय डियर
आप है इंजीनीयर
आप चाहे तो मेरे लिए बनाना
बहुत से कमरों का ,बँगला सुहाना
पर ,
अपने प्यार की ईंटें,
दुलार का सीमेंट ,
और प्रणय की करनी से ,
मेरी पतली सी  कमर को,
कमरा मत बनाना
वरना बेडोल हो जाएगा ,
मेरा रूप सुहाना


गोल गप्पे

              गोल गप्पे

कहीं पर है 'गोलगप्पा' ,तो कहीं 'पानीपताशा'
कहीं 'पानीपुरी' है तो  ,कहीं वो 'पुचका' कहाता
वही फूली,क्षीण काया ,रसीला  पानी भरा है
कभी खट्टा और मीठा ,तो कभी वह चरपरा है
वही हड्डी ,मांस मज्जा से मनुज काया बनी है
रक्त सबका लाल ही है ,फिर अलग क्यों आदमी है
हिन्दू मुस्लिम धर्म,पानी ,खट्टा मीठा स्वाद ज्यों है
एक से सब,धर्म पर फिर,व्यर्थ यह विवाद क्यों है ?

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

पति परमेश्वर

       पति परमेश्वर

बचपन से ही,बार बार
हम में भर दिए जाते है ये संस्कार
सच्चे मन से,
आराधन से और पूजन से ,
जो भी भगवान  को प्रसन्न करता है
परमेश्वर ,उसे वर देता है
 और उसकी हर इच्छा को पूरी करता है
तो बस एक बार परमेश्वर को पटा  लो
और फिर ,जो चाहो ,काम करा लो
इसी शिक्षा से अभिभूत होकर ,
औरतें वर पाती है
 पति को परमेश्वर कहती है 
और अपना हर काम कराती रहती है

घोटू

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