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गुरुवार, 16 मई 2013

ग्रीष्म

       ग्रीष्म

ये धरती जल रही है
गरम लू  चल रही है
सूर्य भी जोश में है
बड़े आक्रोश में है
गयी तज शीत रानी 
उषा ,ना  हाथ आनी
और है दूर   संध्या
बिचारा करे भी क्या
उसे ये खल रहा है
इसलिए  जल रहा है
धूप  में तुम न जाना
तुम्हारा तन सुहाना
देख सूरज जलेगा
मुंह  काला  करेगा
बचाना धूप से तन
ग्रीष्म का गर्म मौसम
भूख भी है रही घट 
मोटापा भी रहा छट
न सोना बाथ  जाना 
न जिम में तन खपाना
पसीना यूं ही बहता
निखरता रूप रहता
प्राकृतिक ये चिकित्सा
निखारे रूप सबका
ये सोना तप रहा है 
क्षार सब हट रहा है
निखर कर पूर्ण कुंदन
चमकता तुम्हारा तन
लगो तुम बड़ी सुन्दर
बदन करती  उजागर
तुम्हे  सुन्दर बनाती
ग्रीष्म हमको सुहाती

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

जीवन चक्र

                जीवन चक्र

बचपन
निश्छल मन
सबका दुलार, अपनापन
जवानी
 बड़ी दीवानी
कभी आग कभी पानी
रूप
अनूप
जवानी की खिली धूप 
चाह
अथाह
प्यार ,फिर विवाह
मस्ती
दिन दस की
और फिर गृहस्थी
बच्चे
लगे अच्छे
पर बढ़ने लगे खर्चे
काम
बिना आराम
घर चलाना नहीं आसान
जीवन
भटकते रहे हम
कभी खशी कभी गम
बुढापा
स्यापा
हानि हुई या मुनाफ़ा

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

सोमवार, 13 मई 2013

राजनीति से घिन आती है



भ्रष्टाचारी,बेईमानी ,
                     देखो जिधर उधर गड़बड़ है 
इस हमाम में सब नंगे है ,
                      सब ही इक दूजे से बढ़   है 
          कोई किस पर करे भरोसा 
           सभी तरफ धोखा  ही धोखा 
पड़े हुए आदश फर्श पर,
                         और सफ़ेद अब रक्त हो गया 
राजनीति से घिन आती है ,
                           ये  मन इतना दग्ध    हो गया 
चोरबाजारी ,घूस,रिश्वते ,
                             घोटाले  और हेरा फेरी 
लूट खसोट कर रहे सब ही ,
                               आधी तेरी,आधी मेरी 
               राजनीति के इस  अड्डे  में
               गिरे पतन के सब गड्डे   में 
बहुत जरूरी ,जैसे तैसे,
                          इन्हें बचाना  तख़्त हो गया 
राजनीती से घिन आती है ,
                            ये मन इतना  दग्ध हो गया 
रोज़ रोज़ हो रहे उजागर ,
                              नए नए सकें ,घोटाले 
सभी कोयले के दलाल है ,
                               हाथ सभी के काले ,काले 
              इक दूजे को लगे बचाने 
              भूल गए आदर्श  पुराने 
सत्ता की लिप्सा के सुख में, 
                              मन इतना अनुरक्त  हो गया 
राजनीति से घिन आती है ,
                              ये मन इतना दग्ध  हो गया  

मदन मोहन बाहेती'घोटू '
                 
     
               

डाक्टर और इलाज़

             

एक महिला  ,
गयी अपने फेमिली डाक्टर के पास 
और कहने लगी होकर उदास 
डाक्टर साहब,मेरे होठ बहुत सूखते है 
इसका बतलाइए कोई उपचार 
डाक्टर बोल ,इस बिमारी का,
 सबसे अच्छा है प्राकृतिक उपचार 
अपने पति से करवाइए ढेर सारा प्यार 
उनका चुम्बन और प्यार का लुब्रिकेशन ,
आपके होठों को गीला बना देगा 
गुलाबी और रसीला बना देगा 
महिला बोली ,यदि पति से ही,
 करवाना होता इलाज
तो मै क्यों आती आपके पास 
आप किस काम के है ?
क्या डाक्टर नाम के है 
जब ले रहे है फीस आप 
तो आप ही करिए इलाज़ 

मदन मोहन बाहेती'घोटू  

शनिवार, 11 मई 2013

दूल्हे की हौसला अफजाई

           दूल्हे की हौसला अफजाई

जिन्दगी सारी ही तुझको ,सर झुका के काटनी ,
                             आज तो तू बैठ ले ,घोड़ी पे रह कर के तना
एक दिन तो शेर बन जा,शेरवानी पहन कर ,
                              पूरा जीवन ,गीदड़ों  की तरह ही है काटना
सेहरे से ,तेरा चेहरा ,ढक  रखा है इसलिये ,
                               उडती रंगत ,परेशानी ,कोई पाए भांप ना 
हौसला अफजाई को इतने बाराती साथ है ,
                                 डालने में ,वधूमाला ,हाथ  जाए  काँप  ना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 
 

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