एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

पैसा कमाऊं -पर गुरु किसको बनाऊं ?

   पैसा कमाऊं -पर  गुरु किसको बनाऊं ?

इस दुनिया में ,देखा  ऐसा

सारे काम बनाता पैसा
पैसेवाला  पूजा जाता
मेरे मन में भी है आता
मै भी पैसा खूब  कमाऊं
लेकिन किस को गुरु बनाऊँ ?
टाटा,बिरला और अम्बानी
सभी हस्तियाँ,जानी,मानी
सब के सब है खूब  कमाते
पर ये है उद्योग   चलाते
पर यदि है उद्योग  चलाना
पहले पूँजी पड़े  लगाना
मेरे पास नहीं है पैसे
तो उद्योग लगेगा कैसे?
एसा कोई सोचें रस्ता
जो हो अच्छा,सुन्दर,सस्ता
पैसा खूब,नाम भी फ्री  का
धंधा अच्छा,नेतागिरी  का
बन कर भारत  भाग्य विधाता
हर नेता है खूब कमाता
राजा हो या हो कलमाड़ी
सबने करी कमाई गाढ़ी
पर थे कच्चे,नये खेल में
इसीलिये ये गये जेल में
पर कुछ नेता समझदार है
जैसे गडकरी और पंवार है
या कि बहनजी मायावती है
क्वांरी,मगर करोडपति  है
ये सब नेता,मंजे हुए  है
लूट रहे ,पर बचे हुए  है
रख कर पाक साफ़ निज दामन
आता इन्हें कमाई का फन
इन तीनो को गुरु बना लूं
मै इनकी तस्वीर लगा लूं
एकलव्य सा ,शिक्षा  पाऊं
धीरे धीरे खूब  कमाऊं
गुरु दक्षिणा में क्या दूंगा
उन्हें अंगूठा दिखला दूंगा
सीखे कितने ही गुर उनसे
 काम करूंगा  सच्चे मन से
बेनामी कुछ फर्म बनालूँ
रिश्वत का सब पैसा डालूँ
इनका इन्वेस्टमेंट दिखा कर
काला पैसा,श्वेत  बनाकर
बड़ा खिलाड़ी मै बन जाऊं
जगह जगह उद्योग  लगाऊं
या फिर एन. जी .ओ बनवा कर
इनके नाम अलाट करा कर
अच्छी सी सरकारी भूमि
करूं तरक्की,दिन दिन दूनी
रिश्तेदारों के नामो  पर
कोल खदान अलाट करा  कर
कोडी दाम,माल लाखों का
नहीं हाथ से छोडूं मौका
लूट रहे सब,मै भी लूटूं
मै काहे को पीछे छूटूं ?
या फिर जन्म दिवस मनवाऊँ
भेंट  करोड़ों की मै पाऊँ
काले पैसे को उजला कर
अपने नाम ड्राफ्ट  बनवा कर
कई नाम से,छोटे छोटे
करूं जमा मै पैसे  मोटे
या हज़ार के नोटों वाली
माला पहनूं , मै मतवाली
ले शिक्षा,गुरु घंटालों से
बचूं टेक्स के जंजालों से
केग रिपोर्ट में यदि कुछ आया
जनता ने जो शोर मचाया
उनका मुंह  बंद कर दूंगा
जांच कमेटी बैठा  दूंगा
बरसों बाद रिपोर्ट आएगी
भोली जनता ,भूल जायेगी
नेतागिरी है बढ़िया धंधा
कभी नहीं जो पड़ता  मंदा
हींग ,फिटकरी कुछ न लगाना
फिर भी आये रंग सुहाना
नाम और धन ,दोनों पाओ
सत्ता का आनंद  उठाओ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

















दोस्तों,
आज दशहरा है....रावण भाई साहब का आज अगले एक साल के लिए राम नाम सत्य होने वाला है......हर जगह भगवान राम की जय-जयकार हो रही है....आइये हम कलियुग में रामायण के उन पात्रों से भी सबक लें जो बहुत महत्वपूर्ण रहे पर उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया....

सूर्पणखा : भगवान ऐसी बहन किसी को न दे....इसके पंचवटी के जंगल में दिल बहलाने और नाक कटाने की वजह से ही भाई रावण का सत्यानाश हो गया....

मामा मारीच : भई साला हो तो ऐसा जिसने जीजा रावण के गैर कानूनी प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए जान दे दी....

कुम्भकरण : सिर्फ खाने - पीने और सोने में मस्त रहने वाले निकम्मे इंसान ने भाई के लिए जान देकर ये सन्देश दिया कि किसी को भी निकम्मा और निरर्थक मान लेने से पहले सौ बार सोचना चाहिए.....

मंदोदरी : रावण जैसे आतंकवादी पति का भी आख़िरी समय तक साथ दिया.....न तलाक लिया.....न फरार हुई.....न आत्महत्या की.....लंका में ही डटी रही......

मंथरा : इसके इधर का उधर करने की वजह से ही कैकेयी आंटी का दिमाग खराब हुआ था और राम - सीता - लक्ष्मण को जंगल जाना पडा....राजा दशरथ को जान गंवानी पड़ी.....ऐसे कान भरने वाले लोगों से सावधान रहना चाहिए...चाहे घर हो या दफ्तर....

बाली : इन भाई साहब से यह सबक मिलता है कि अपनी ताकत पर घमंड नहीं करना चाहिए वर्ना शेर को सवा शेर मिलता ही है....आखिर किसी न किसी तरह निपटा ही दिए गए न.......

मेघनाथ : एक बहुत लायक बेटा जिसने अपने दुर्बुद्धि बाप की हर आज्ञा का पालन किया.....आज के जमाने में तो तमाम बेटे (सब नहीं) तो ऐसे बाप को घर में ही निपटा दें......

भरत : भाई हो तो ऐसा.....राम के वन गमन के बाद सारा राजपाट मिल जाने के बाद भी स्वीकार नहीं किया.....जबकि आज के जमाने में तो जीवित भाई को मृत घोषित करा कर पूरी जायदाद हड़प जाने के किस्से अक्सर सुनने को मिलते हैं.....

कौशल्या : अपने बेटे को जंगल भिजवाने के बाद भी देवरानी कैकेयी को कुछ नहीं कहा.....वर्ना आज की जेठानी होती तो मारामारी पर उतर जाती....

.....और अब आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामना.....आशा करता हूँ कि रामायण की अच्छी चीज़ों से सीख लेंगे.....न कि ' हैप्पी दशहरा '........बोल के छुट्टी मनाएंगे......क्योंकि आजकल हर तीज - त्यौहार में ' लेट अस एंज्वाय ' का वायरल फीवर गुस गया है......

- VISHAAL CHARCHCHIT

दीवाना किया करते हो

चाँद को मामा कहते थे तुम उसे सनम अब कहते हो,
तुम पगले हो और दीवाना मुझे भी किया करते हो |

तारे जो अनगिनत हैं होते उसे भी गिना करते हो,
तुम पगले हो और दीवाना मुझे भी किया करते हो |

आसमान के शून्य में भी तुम छवि को देखा करते हो,
तुम पगले हो और दीवाना मुझे भी किया करते हो |

बंद नैनों से भी तुम अक्सर दरश प्रिये की करते हो,
तुम पगले हो और दीवाना मुझे भी किया करते हो |

स्वप्न लोक में स्वप्न सूत में सदा बंधे तुम रहते हो,
तुम पगले हो और दीवाना मुझे भी किया करते हो |

हृदय से हृदय को भी तुम तार से जोड़ा करते हो,
तुम पगले हो और दीवाना मुझे भी किया करते हो |

बातें जो मुख में ना आए, समझ क्यों लिया करते हो,
तुम पगले हो और दीवाना मुझे भी किया करते हो |

हिचकी पे हिचकी आती, यूं नाम क्यों लिया करते हो,
तुम पगले हो और दीवाना मुझे भी किया करते हो |

नैनों से नैनों के कैसे जाम को पिया करते हो,
तुम पगले हो और दीवाना मुझे भी किया करते हो |

मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

बदल भी जाइये।

बातों को हलके से लेना
अब तो सीख भी जाइये
इतना गौर जो फरमाया
करते थे भूल भी जाइये
छोटे छोटे थाने अब तो
ना ही खुलवाइये
जो खुल चुके हैं पहले से
हो सके तो बंद करवाइये
छोटे चोर उठाईगीरों को
बुला बुला के समझाइये
समय बदल चुका है
स्कोप बढ़ते जा रहा है
कोर्स करके आइये
और तुरंत प्लेसमेंट
भी पाईये
ऎसे मौके बार बार
नहीं आते एक
मौका आये तो
हजारों करोड़ो पर
खेल जाइये।
चोरी डाके की कोचिंग
हुवा करती है कहीं दिल्ली में
एक बार जरूर कर ही आइये
अब ऎसे भी ना शर्माइये
काम वाकई में आपका
गजब का हुवा करता है
लोगों को मत बताइये
खुले आम मैदान में
खुशी से आ जाईये
जेल नहीं जाईये
मैडल पे मैडल पाइये।

मोतीचूर,गुलाब जामुन,और जलेबी-क्यों?

   मोतीचूर,गुलाब जामुन,और जलेबी-क्यों?

मोतीचूर,

बून्दियों का है वो संगठित रूप,
जो सहकारिता का प्रतीक है,जिसमे,
सैकड़ों बूंदिया,हाथ में दे हाथ
बिना अपना व्यक्तित्व खोये,
जुडी रहती है आपस में,
अन्य बून्दियों के साथ
मोती स्वरुप,
बून्दियों का ये संयुक्त रूप,
जिसे बनाने में,
इन मोती सी बून्दियों को चूरा नहीं है जाता
मोतीचूर है क्यों कहलाता?
दुग्ध को जब हम करते है गरम,
तो वो उबलता है,उफनता है
मानव स्वभाव से,दूध का स्वभाव,
कितना मिलता जुलता है
पर यदि धीरज के खोंचे से,
दूध को हिलाते रहो,
तो उफान रुक जाता है
और दुग्ध,धीरज वान होकर,
धीरे धीरे बंध जाता है
दूध,जब इस तरह,अपने स्वभाव से,
करता है उफान या गुस्सा खोया
दूध का यह बंधा रूप,कहलाता है खोया
पर जब इस खोये की,
छोटी छोटी गोलियों को,घी में तल कर,
किया जाता है रस में लीन
तो उन्हें कहते है 'गुलाब  जामुन'
विचारणीय बात ये है,
कि ये रसासिक्त गोलियां,
न तो रखती है गुलाब कि खुशबू,
न जामुन कि रंगत,या स्वाद आता है
तो यह गुलाब जामुन क्यों कहलाता है?
मैदे का घोल,
गर्मी से एक दो दिवस बाद,
लगता है उफनने,और खमीर बना ये पदार्थ,
जिसे जब,एक छिद्र के माध्यम से,
अग्नि तपित घी में डाल कर,
विभिन्न स्वरुप में तल कर,
जब प्यार कि चासनी में डुबोया जाता है
तो उसका यह रसमय व्यक्तित्व,सभी को भाता है
पर जब टेड़े मेडे आकारों की ये  रसासिक्त कृतियाँ,
नहीं होती है जली कहीं भी
क्यों कहलाती है जलेबी?

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

 

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-