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बुधवार, 14 सितंबर 2011

'हिंदी दिवस..'

राजभाषा 'हिंदी' दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ..!!! देवनगरी लिपि के रचियता को सादर नमन..!!


...


"तर-ब-तर मिले..
लेख पुराने..
नवीन विषयों को..
कौन खंगाले..

गुनगुनायेगी..
इतिहास-स्मृति..
नया अलाप जब..
मिलेगी समृद्ध कृति तब..

परिभाषा जीवन की जिसने जानी..
उस क्षण तुरंत लिखी कहानी..

विलक्षण रही खोज की गठरी..
चमत्कारी है 'भाषा' की उपलब्धि..

आओ..करें मिल कर नमन..
जन्मभूमि में जड़ें लगन..!!"


--

रचनाकार:प्रियंकाभिलाषी ..
...
Dr. Priyanka Jain

http://priyankaabhilaashi.blogspot.com/


कहते है हिन्दूस्तानी है हम....

कहते है हिन्दूस्तानी है हम,
पर जुबान पे अंग्रेजों की भाषा बसती है,
देख के अपनी विलायती तेवर,
हिन्दी हम पर यूँ हँसती है।
क्या बचपन में पहला अक्षर,
माँ कहने में शर्माया था,
रोता था जब जब तू प्यारे,
लोरी ने चैन दिलाया था।

अब बढ़ी बुद्धि,अब बढ़ा ज्ञान,
हिन्दी को क्यों बदनाम किया,
जिसके साये में पल पल कर,
हम सब ने जग में नाम किया।

मीठी भाषा,प्यारी भाषा,
हिन्दी को बस आत्मसात करो,
अंग्रेजी भाषा है अपनी गुलामी,
उस भाषा में मत बात करो........।

"साहित्य प्रेमी संघ" की ओर से आप सभी हिन्दी प्रेमीयों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.....
www.sahityapremisangh.com

हिंदी हिन्दुस्तान है



हिंदी मेरी जान है,
भारत की पहचान है ;
भारत भाल की बिंदी है,
निज भाषा अभिमान है |

खत्री से बच्चन तक ने,
सींचा जिसे वो प्राण है;
संस्कृत के वृक्ष से निकली,
अद्भुत भाषा महान है |

देश को जोड़े एक सूत्र में,
मधुर-सी एक तान है;
है इसका समृद्ध-साहित्य,
हिन्द की ये शान है |

हिंदी ही पूजा है सबकी,
हिंदी ही अजान है;
होली, दीवाली हिंदी है,
हिंदी ही रमजान है |

देश को विकसित कर सकती,
हिंदी गुणों की खान है;
हिंदी अहित है देश अहित,
हिंदी हिन्दुस्तान है |
हिंदी हिन्दुस्तान है |

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 रविकर की टिप्पणियां-इस सप्ताह

 (१)
घनाक्षरी --
खनन उपक्रम का, बेबस राजधर्म का
लूट-तंत्र बेशर्म का, सुवाद अंगूरी है |
राजपाट पाय-जात, धरती का खोद-खाद
लूट-लूट खूब खात, यही तो जरुरी है |
कहीं कांगरेस राज, भाजप का वही काज
छोट न आवत  बाज, भेड़-चाल पूरी है |
चट्टे-बट्टे थैली केर, सारे साले एक मेर,


 है देर न अंधेर है,  आम मजबूरी है || 
  
(२)


देख सकने की,
जरा बकने की,
हंसीं सपने की,
तन्हा तपने की,
आदत है |
बुरी लत है ||

(३)


कुण्डली-
जब तक दुनिया है सखे, तब तक पत्थर राज |
पत्थर  से  टकराय  के,  लौटे   हर  आवाज  ||
लौटे   हर  आवाज,  लिखाये  किस्मत  लोढ़े,
कर्मों पर विश्वास, करे  क्या  किन्तु  निगोड़े ?
कोई  नहीं  हबीब,  मिला जो उसको अबतक,
जिए  पत्थरों  बीच, रहेगा जीवन जब तक ||
(४)
कुण्डली-
बड़ा प्रफुल्लित हो रहा, मिला शरद सा बाप |
मौज  करे  वो  ठाठ  से,  न  कोई  संताप ||
न   कोई    संताप ,  उडाये   आसमान  में,
मन  के  घोड़े  ख़ास, रहता  ख़ूब  गुमान  में ||
अब क्रिकेट का राज,  जभी रैना को पकड़ा,
सौंपेगा  साम्राज्य,  जोड़-जोड़  करता बड़ा ||
(५)

हिंदी की जय बोल |
मन की गांठे खोल ||

विश्व-हाट में शीघ्र-
बाजे बम-बम ढोल |

सरस-सरलतम-मधुरिम
जैसे चाहे तोल |

जो भी सीखे हिंदी-
घूमे वो भू-गोल |

उन्नति गर चाहे बन्दा-
ले जाये बिन मोल ||

हिंदी की जय बोल |
हिंदी की जय बोल |
(६)

सच्चाई की बात अजीब,
धूप - चांदनी पर खीज  |
तक़दीर फांके धूल-
उनको फूल सी चीज ||


भ्रूण में मारी हीर
है बड़ा बदतमीज |
खुशियाँ दी बेच
आँखे रही भीज ||


समझ की लाली
जिलाए रक्तबीज |
सहकर जुल्म हुआ
मुजरिम नाचीज || 

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

सपनों की दुनिया

सपनों की  दुनिया     

आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें 
जहाँ दूर तक खुली फिजां हो 
हरी भरी वादियाँ हो 
नदियाँ और झरने हों 
चहचहाते पंछी और फूल हों 
दूर तक फैली हरियाली हो
आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
जहाँ किसी के चीखने की आवाज ना हो
किसी भूखें बच्चे का रोना ना हो 
किसी औरत की बेबसी ना हो 
किसी पर अत्याचार ना हो 
कहीं भ्रष्टाचार ना हो

आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें 
जहाँ हर तरफ शांति सुकून हो 
आपस मैं अपनापन हो 
पुलकित प्रफुलित  चेहरे हों
और जहाँ हो सिर्फ 
प्यार-प्यार-प्यार
            


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