पसंद अपनी अपनी ,ख्याल अपना-अपना
मैं पत्नी से बोला तुम लगती अच्छी हो
भोली भाली सीधी और मन की सच्ची हो
तुम्हारा चेहरा खिलता हुआ गुलाब है
तुम्हारे होठों में सबसे महंगी शराब है
तुम्हारी चंचल आंखें बिजलियां गिराती है
तुम्हारे गालों की रंगत मदमाती है
तुम्हारी मुस्कान ,प्यार की परिभाषा है
तुम्हारे शरीर को भगवान ने खुद तराशा है
तुम्हारी चाल में हिरणी सी चपलता है
तुम्हारी हर बात में अमृत बरसता है
तुम कनक की छड़ी हो लेकिन कोमल हो
तुम सुंदर अति सुंदर और चंचल हो
तुम्हारा प्यार अनमोल है हीरे जैसा
अब तुम मुझे बता दो मैं तुम्हें लगता हूं कैसा
पत्नी बोली कि बतलाऊं मैं सच सच
तुम बड़े प्यारे हो *आई लव यू वेरी मच *
तुम गोलगप्पे की तरह स्वाद से भरे हो
तुम मन को ललचाते ,स्वादिष्ट दही बड़े हो
पापड़ी चाट की तरह चटपटे और स्वाद हो
मुंबई की भेलपूरी की तरह लाजवाब हो
आलू टिक्की की तरह कुरकुरे और लजीज हो पाव भाजी की तरह मनभाती चीज हो
प्यार से भरा हुआ गरम गरम समोसा हो
मन को सुहाता हुआ इडली और डोसा हो
मुझे ऐसे भाते हो जैसे बारिश में पकोड़े
जलेबी से रस भरे पर टेढ़ेमेढ़े हो थोड़े
रसगुल्ले गुलाबजामुन से मीठे और रसीले हो
मूंग दाल हलवे की तरह पर थोड़े ढीले हो
रसीली इमरती की तरह सुंदर बल खाते हो
आइसक्रीम की तरह जल्दी पिघल जाते हो राजस्थान का प्यार भरा दाल बाटी चूरमा हो
मैं तुम्हें बहुत चाहती हूं तुम मेरे सूरमा हो
अब आप समझ ही गए होंगे अपनी चाहत
अलग अलग तरीके से प्रकट करते हैं सब
अपने ढंग से अपना प्यार बतलाता है हर जना पसंद अपनी अपनी ,ख्याल अपना अपना
मदन मोहन बाहेती घोटू