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Naquan
रविवार, 12 नवंबर 2023
हां,हम दिल्ली में रहते हैं
जुलूस, रैलियां और धरनों की,
पीड़ाएं निश दिन सहते हैं
हां,हम दिल्ली में रहते हैं
बड़ी अभागन है यह दिल्ली,
परेशान रहती बेचारी
इसका मालिक कौन
हो रही राज्य केंद्र में मारामारी
कहे केजरी ये मेरी है,
राज्यपाल अपनी बतलाता
इन दोनों की खींचतान में ,
दम दिल्ली का निकला जाता
हम पिसते रहते मुश्किल में
नहीं किसी से कुछ कहते हैं
हां , हम दिल्ली में रहते हैं
मुफ्त रेवड़ी बांट बांट कर
मुख्यमंत्री बना जुगाड़ू
ऐसा चिन्ह चुनाव बनाया
दिल्ली पर लगवा दी झाड़ू
कर ढपोर शंखों से वादे
करता बातें ऊंची ऊंची
काम एक भी ना कर पाया
रही प्रदूषित दिल्ली समूची
अब भी कचरे के पहाड़ से ,
बदबू के झोंके बहते हैं
हां ,हम दिल्ली में रहते हैं
हवा भरी है धूल ,धुंवे से,
मुश्किल श्वास, घुट रहा दम है
खांसी और खराश गले में,
आंखों में हो रही जलन है
वृद्ध घूमने अब ना जाते,
बच्चे बाहर खेल न पाते
वातावरण और शासन का
पॉल्यूशन हम झेल न पाते
झाग भरी जमुना मैया की
आंखों से आंसू बहते है
हां, हम दिल्ली में रहते हैं
घर से हुआ निकालना मुश्किल,
बाहर जाते, मन घबराता
दिन में सूरज, दिखे चांद सा,
और चांद तो नज़र न आता
परतें काले अंधियारे की,
छाई मन के अन्दर, बाहर
क्या ऐसे ही जीना होगा,
हमको जीवन भर, घुट घुट कर
छट दिवाली मना न पाते,
सूने सब उत्सव रहते हैं
हां, हम दिल्ली में रहते हैं
मदन मोहन बाहेती घोटू
गुरुवार, 9 नवंबर 2023
दीपावली पर भेंटआई
एक सदाबहार मिठाई ?
बड़े प्रेम से और हर्ष से दीपावली मनाई जाती
इष्ट मित्र रिश्तेदारों से,बहुत मिठाई है आ जाती
रसगुल्ला ,मिठाई छेने की, दो दिन में निपटा देते हम
क्योंकि अगर जो हुई पुरानी ,उन में आ जाता खट्टापन
भले जलेबी हो या इमरती ,अच्छी लगती गरम-गरम है
गाजर हलवा गरम सुहाता ,जब होता ठंडा मौसम है
काजू कतली थोड़े दिन में, चिपचिप करती नहीं सुहाती
और सभी रस भरी मिठाई ,कुछ दिन में
सूखी पड़ जाती
सब मिठाईयां होती बासी ,कुछ दिन में ढल जाए जवानी
केवल एक मिठाई ऐसी, जिसका नहीं कोई भी सानी
वह चिरयुवा ,स्वाद और सुंदर ,मुंह में रखो पिघल जाती है
पीतवर्ण,मनभावन ,प्यारी , सोहनपपड़ी कहलाती है
उसका लंबा टिकने वाला , यौवन ही उसका दुश्मन है
इस दिवाली भेंट मिली तो अगली तक निपटाते हम हैं
सबसे सुंदर स्वाद स्वदेशी ,यह मिष्ठान बड़ा प्यारा है
कभी प्रेम से खा कर देखो इसका स्वाद बड़ा न्यारा है
चॉकलेट से ज्यादा प्यारी ,पर लोगों नाम धर दिया
इसके स्वस्थ दीर्घ जीवन ने,है इसको बदनाम कर दिया
सोहनपपड़ी भेंट मिले तो, सुनो दोस्तों डब्बा खोलो
उसका प्यारा स्वाद चखो तुम ,अपने मुंह में अमृत घोलो
मदन मोहन बाहेती घोटू
बुधवार, 1 नवंबर 2023
एक शेर : हो गया ढेर
हां मैं कभी शेर था
सब पर सवा सेर था
रौबीला ,जोशीला ,जवानी से भरपूर था अपनी ताकत के नशे में चूर था
गर्व से दहाड़ा करता था
हर कोई मुझसे डरता था
फिर एक दिन में एक चंचल हिरणिया
के चक्कर में पड़ गया
उसके प्यार का भूत मेरे सर पर चढ़ गया मैं उसकी प्यारी आंखों का हो गया दीवाना वह बन गई मेरी जाने जाना
मुझे उस हो गया उससे प्यार
उसकी अदाओं ने ,कर लिया मेरा शिकार
मेरा सारा शेरत्व हो गया गुम
मैं उसके आगे हिलाने लगा दुम
और फिर जब पड़ा गृहस्थी का बोझ
मैं नौकरी पर जाने लगा रोज
पर वहां मेरा बॉस था एक गधा
मुझ पर रौब डालता था था सदा
कई बार गुस्सा तो इतना आता था कि झपट्टा मार कर उसे खा जाऊं
पर मैं उसका मातहत था ,
उसके आगे करता था म्याऊं म्याऊं
हालत में मुझे कहां से कहां ला दिया था एक शेर को बिल्ली बना दिया था
फिर मेरे घर जन्मे दो प्यारे बच्चे
कोमल मुलायम खरगोश की तरह अच्छेे
वे मेरे मन को बहुत भाते थे
मेरे साथ खेलते थे ,
कभी गोदी में कभी सर पर चढ़ जाते थे
मैं उनको पीठ पर बिठा कर घुमाता था अपने प्यारे प्यारे खरगोशों के लिए
मैं घोड़ा बन जाता था
फिर एक दिन में हो गया रिटायर
और धीरे धीरे बन गया एकदम कायर
मेरे अंदर का बचा कुछ शेर
धीरे-धीरे हो गया ढेर
हर शहर का शायद यही होता हैअंत
कि बुढ़ापे में वह बन जाता है संत
मदन मोहन बाहेती घोटू
सोमवार, 30 अक्तूबर 2023
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बीमा सुरक्षा और सुनिश्चित धन वापसी - कविता - अविनाश वाचस्पति - ##AssuredIncomePlanPolicy निश्चित धन वापसी और बीमा सुविधा संदेह नहीं यह पक्का बनाती है विश्वास विश्वास में ही मौजूद रहती है यह आस धन भी मिलेगा और निडर ...8 वर्ष पहले
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विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग - *विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग* हममें से अधिकांश लोगों को टंकण करना काफी श्रमसाध्य एवं उबाऊ कार्य लगता है और हम सभी यह सेाचते हैं कि व्यक...8 वर्ष पहले
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Happy Teacher's Day - “गुरु का हाथ” - *पिसते… घिसते… तराशे जाते…* *गिरते… छिलते… लताडे जाते…* *मांगते… चाहते… ठुकराए जाते…* *गुजर जाते हैं चौबीस या इससे ज्यादा साल…* *लगे बचपन से… बहुत लोग फरिश...9 वर्ष पहले
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हमारा सामाजिक परिवेश और हिंदी ब्लॉग - वर्तमान नगरीय समाज बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस परिवेश में सामाजिक संबंध सिकुड़ते जा रहे हैं । सामाजिक सरोकार से तो जैसे नाता ही खत्म हो गया है। प्रत्येक...9 वर्ष पहले
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ज़िन्दगी का गणित - कोण नज़रों का मेरे सदा सम रहा न्यून तो किसी को अधिक वो लगा घात की घात क्या जान पाये नहीं हम महत्तम हुए न लघुत्तम कहीं रेखा हाथों की मेरे कुछ अधिक वक्र ...9 वर्ष पहले
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कम्बल और भोजन वितरण के साथ "अपंगता दिवस" संपन्न हुआ - *नई दिल्ली: विगत 3 दिसम्बर 2014 दिन-बधुवार को सुबह 10 बजे, स्थान-कोढ़ियों की झुग्गी बस्ती,पीरागढ़ी, दिल्ली में गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट (पंजीकृत) दिल...9 वर्ष पहले
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जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से) - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) चुपके-खुल कर अमन जलाते | खिलता महका चमन जलाते || अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते || हिंसा के दुर्दम प...10 वर्ष पहले
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झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत | - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) दरिद्रता-दुःख-दीनता, निर्धनता की मार ! कितना पीड़ित विश्व में, है आधा संसार !! पुत्र कुबेरों के कई, कारूँ के कुछ लाल ! ज...10 वर्ष पहले
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आहटें ..... - *आज भोर * *कुछ ज्यादा ही अलमस्त थी ,* *पूरब से उस लाल माणिक का * *धीरे धीरे निकलना था * *या * *तुम्हारी आहटें थी ,* *कह नहीं सकती -* *दोनों ही तो एक से...10 वर्ष पहले
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झाँसी की रानी पर आधारित "आल्हा छंद" - झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत' पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का. सन पैंतीस नवंबर उ...10 वर्ष पहले
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हम,तुम और गुलाब - आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गया था और उसकी हर पंखुड़िय...10 वर्ष पहले
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गाँव का दर्द - गांव हुए हैं अब खंढहर से, लगते है भूल-भुलैया से। किसको अपना दर्द सुनाएँ, प्यासे मोर पप्या ? आंखो की नज़रों की सीमा तक, शहरों का ही मायाजाल है, न कहीं खे...10 वर्ष पहले
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संघर्ष विराम का उल्लंघन - जम्मू,संघर्ष विराम का उल्लंघनकरते हुए पाकिस्तानी सेना ने रविवार को फिर से भारतीय सीमा चौकियों पर फायरिंग की। इस बार पाकिस्तान के निशाने पर जम्मू जिले के का...11 वर्ष पहले
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प्रतिभा बनाम शोहरत - “ हम होंगें कामयाब,हम होंगें कामयाब,एक दिन ......माँ द्वारा गाये जा रहे इस मधुर गीत से मेरे अन्तःकरण में नए उत्साह का स्पंदन हो रहा था .माँ मेरे माथे को ...11 वर्ष पहले
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आवरण - जानती हूँ तुम्हारा दर्प तुम्हारे भीतर छुपा है. उस पर मैं परत-दर-परत चढाती रही हूँ प्रेम के आवरण जिन्हें ओढकर तुम प्रेम से भरे सभ्य और सौम्य हो जाते हो जब ...11 वर्ष पहले
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OBO -छंद ज्ञान / गजल ज्ञान - उर्दू से हिन्दी का शब्दकोश *http://shabdvyuh.com/* ग़ज़ल शब्दावली (उदाहरण सहित) - 2 गीतिका छंद वीर छंद या आल्हा छंद 'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक ...11 वर्ष पहले
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इंतज़ार .. - सुरसा की बहन है इंतज़ार ... यह अनंत तक जाने वाली रेखा जैसी है जवानी जैसी ख्त्म होने वाली नहीं .. कहते हैं .. इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं ख़त्म भ...12 वर्ष पहले
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यार की आँखों में....... - मैं उन्हें चाँद दिखाता हूँ उन्हे दिखाई नही देता। मैं उन्हें तारें दिखाता हूँ उन्हें तारा नही दिखता। या खुदा! कहीं मेरे यार की आँखों में मोतियाबिंद...12 वर्ष पहले
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आज का चिंतन - अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमय...12 वर्ष पहले
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क्राँति का आवाहन - न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र। कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र। ……… अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन ...12 वर्ष पहले
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कल रात तुम्हारी याद - कल रात तुम्हारी याद को हम चाह के भी सुला न पाये रात के पहले पहर ही सुधि तुम्हारी घिर कर आई अहसास मुझको कुछ यूँ हुआ पास जैसे तुम हो खड़े व्याकुल हुआ कुछ मन...12 वर्ष पहले
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HAPPY NEW YEAR 2012 - *2012* *नव वर्ष की शुभकामना सहित:-* *हर एक की जिंदगी में बहुत उतार चढाव होता रहता है।* *पर हमारा यही उतार चढाव हमें नया मार्ग दिखलाता है।* *हर जोखिम से ...12 वर्ष पहले
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"भइया अपने गाँव में" -- (बुन्देली काव्य-संग्रह) -- पं० बाबूलाल द्विवेदी - We're sorry, your browser doesn't support IFrames. You can still <a href="http://free.yudu.com/item/details/438003/-----------------------------------------...13 वर्ष पहले
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अपनी भाषाएँ - *जैसे लोग नहाते समय आमतौर पर कपड़े उतार देते हैं वैसे ही गुस्से में लोग अपने विवेक और तर्क बुद्धि को किनारे कर देते हैं। कुछ लोगों का तो गुस्सा ही तर्क...13 वर्ष पहले
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