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रविवार, 23 जुलाई 2023

पसंद अपनी अपनी ,ख्याल अपना-अपना 

मैं पत्नी से बोला तुम लगती अच्छी हो 
भोली भाली सीधी और मन की सच्ची हो  
तुम्हारा चेहरा खिलता हुआ गुलाब है 
तुम्हारे होठों में सबसे महंगी शराब है 
तुम्हारी चंचल आंखें बिजलियां गिराती है 
तुम्हारे गालों की रंगत मदमाती है 
तुम्हारी मुस्कान ,प्यार की परिभाषा है 
तुम्हारे शरीर को भगवान ने खुद तराशा है 
तुम्हारी चाल में हिरणी सी चपलता है 
तुम्हारी हर बात में अमृत बरसता है 
तुम कनक की छड़ी हो लेकिन कोमल हो 
तुम सुंदर अति सुंदर और चंचल हो 
तुम्हारा प्यार अनमोल है हीरे जैसा 
अब तुम मुझे बता दो मैं तुम्हें लगता हूं कैसा 
पत्नी बोली कि बतलाऊं मैं सच सच 
तुम बड़े प्यारे हो *आई लव यू वेरी मच *
तुम गोलगप्पे की तरह स्वाद से भरे हो 
तुम मन को ललचाते ,स्वादिष्ट दही बड़े हो 
पापड़ी चाट की तरह चटपटे और स्वाद हो 
मुंबई की भेलपूरी की तरह लाजवाब हो 
आलू टिक्की की तरह कुरकुरे और लजीज हो पाव भाजी की तरह मनभाती  चीज हो 
प्यार से भरा हुआ गरम गरम समोसा हो 
मन को सुहाता हुआ इडली और डोसा हो
मुझे ऐसे भाते हो जैसे बारिश में पकोड़े 
जलेबी से रस भरे पर टेढ़ेमेढ़े हो थोड़े 
रसगुल्ले गुलाबजामुन से मीठे और रसीले हो 
मूंग दाल हलवे की तरह पर थोड़े ढीले हो
रसीली इमरती की तरह सुंदर बल खाते हो 
आइसक्रीम की तरह जल्दी पिघल जाते हो राजस्थान का प्यार भरा दाल बाटी चूरमा हो 
मैं तुम्हें बहुत चाहती हूं तुम मेरे सूरमा हो 
अब आप समझ ही गए होंगे अपनी चाहत 
अलग अलग तरीके से प्रकट करते हैं सब 
अपने ढंग से अपना प्यार बतलाता है हर जना पसंद अपनी अपनी  ,ख्याल अपना अपना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 13 जुलाई 2023

अपना अपना घर 

तुमने अपने मां-बाप का घर,
 जो कि तुम्हें अपना घर लगता था,
 एक दिन छोड़ दिया क्योंकि ,
 तुम्हें मेरे साथ मिलकर 
अपना घर बसाना था
 
हमारे बच्चों ने भी हमारा घर ,
जो कि उनका भी उतना ही अपना था 
शादी के बाद छोड़ दिया क्योंकि 
उन्हें अपने पत्नी के साथ 
अपना घर बसाना था

  ये अपना घर छोड़ने का सिलसिला ,
  सभी के साथ उम्र भर चलता है
  हम अपनापन भूल कर ,
  अपना घर छोड़ देते हैं  
  अलग से अपना घर बसाने को 

कितने ही अपने अक्सर
हो जाते है पराये क्योंकि 
उन्हें अपने ढंग से जीने के लिए,
अपना अलग अस्तित्व बनाना होता है 
  
  हमारा यह शरीर भी तो 
  हमारी आत्मा का अपना ही घर है 
  जिसे  एक दिन किसी और शरीर में
  अपना घर बसाने को,
अपना घर छोड़ कर जाना होता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 


प्रार्थना 

जीर्णशीर्ण तन हुआ दिनोंदिन, बढी उम्र के साथ 
कई व्याधियों ने आ घेरा ,मचा रही उत्पात 
बहुत ही बिगड़ रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

हरा-भरा मैं एक वृक्ष था, घना ,मनोहर, प्यारा 
कई टहनियां, कोमल पत्ते, लदा फलों से सारा 
नीड़ बनाकर पंछी रहते, चहका करते दिनभर और गर्मी की तेज धूप में ,छाया देता शीतल लेकिन ऐसा पतझड़ आया ,पीले पड़ गए पात बहुत ही बिगड़ रहे  हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

तने तने से सुंदर तन से ,गायब हुई लुनाई 
चिकने चिकने से गालों पर आज झुर्रियां छाई ढीले ढाले अंग पड़ गए ,रही नहीं तंदुरुस्ती 
यौवन वाला जोश ढल गया, ना फुर्ती ना चुस्ती 
कमर झुक गई थोड़ी-थोड़ी थके पांव और हाथ 
बहुत ही बिगड़ रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

डॉक्टर कहते शुगर बढ़ गई ,किडनी करे न काम 
खानपान में मेरे लग गई ,पाबंदियां तमाम 
बढ़ा हुआ रहता ब्लडप्रेशर दिल का फंक्शन ढीला 
लीवर में भी कुछ गड़बड़ है, चेहरा पड़ गया पीला 
आंखों से धुंधला दिखता है ,पीड़ा देते दांत 
बहुत ही बिगड़ रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ 

मोह माया में फंसा हुआ मन, चाहे लंबा जीना मौज और मस्ती खूब उड़ाना ,अच्छा खाना-पीना 
सच्चे दिल से करूं प्रार्थना तुमसे मैं भगवान 
ऐसी संजीवनी पिला दो ,फिर से बनूं जवान सवामनी परशाद चढ़ाऊं ,मैं श्रद्धा के साथ 
बहुत ही बदल रहे हालात 
ठीक तुम कर दो दीनानाथ

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 10 जुलाई 2023

हम ,घड़ी के दो कांटे

मैं और मेरी पत्नी 
मैं घड़ी के छोटे कांटे जैसा, 
और वह घड़ी के बड़े कांटे जितनी 
वह जब चलती है 
बात का बतंगड़ बना देती है 
घड़ी के बड़े कांटे जैसी,
 एक घंटे में पूरी घड़ी का चक्कर लगा लेती है और मैं बड़े आराम से चलता हूं 
वही बात में पांच मिनट की दूरी में 
 कह दिया करता हूं 
 वह कभी चुप नहीं रह सकती 
 और दिन भर टिक टिक है करती 
 मैं एक आदर्श पति की तरह मौन रहता हूं 
 और दिन रात उसकी किच किच सहता हूं 
 फिर भी हम दोनों में है बहुत प्यार
 हम एक घंटे में मिल ही लेते हैं एक बार 
 कभी झगड़ा होता है तो हो जाते हैं आमने सामने 
पर हम दोनों एक दूसरे के लिए ही है बने 
बारह राशियों में बंटे हुए हैं 
 फिर भी एक धुरी पर टिके हुए हैं 
 और यह बात भी सही है 
 एक दूसरे के बिना हमारा अस्तित्व ही नहीं है

मदन मोहन बाहेती घोटू 


अतुल सुनीता परिणय उत्सव पर 
1
अतुल सुनीता व्याह को, बीते पैंतीस साल 
जोड़ी है अति सुहानी ,सबसे मृदु व्यवहार 
सबसे मृदु व्यवहार ,लुटाते प्रेम सभी पर 
सबसे हंस कर मिलते, देते खुशियां जी भर 
इनके अपनेपन ने सबका हृदय छुआ है 
जियें सैकड़ों साल, हमारी यही दुआ है 
2
कार्यकुशल कर्मठ अतुल ,मनमौजी है मस्त सुनीता है ग्रहणी कुशल ,गुण से भरी समस्त 
गुण से भरी समस्त ,धार्मिक संस्कार है 
पूरे परिवार का इनको सदा ख्याल है 
कार्तिकेय है पुत्र, शिवांगी प्यारी बिटिया 
ईश्वर दे इन सब को दुनिया भर की खुशियां

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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