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शनिवार, 6 मई 2023

मां की याद 

बहुत आशिषे ,पाईं मैंने, मां छू चरण तुम्हारे 
तेरी सेवा करी ,मिल गए ,पुण्य जगत के सारे 

तेरी आंखों में लहराता था ममता का सागर 
तेरी शिक्षा से ही मेरा, जीवन हुआ उजागर 
मैंने पग पग चलना सीखा उंगली थाम तुम्हारी सदा स्नेह छलकाती रहती ,तेरी आंखें प्यारी 
जब भी कोई ,मुश्किल आई ,तूने रखा संभाले बहुत आशिषे,पाई मैंने , मां छू चरण तुम्हारे 

तूने पूरे परिवार को ,बांधे रखा हमेशा 
सब पर प्यार लुटाने वाला कोई न तेरे जैसा 
तेरी एक एक बातें मां , रह रह याद करूं मैं 
कोई गलत काम करने से, बचकर रहूं,डरूं मैं 
धर्म और सत्कर्म करो तुम ,थे आदर्श निराले 
बहुत आशिषे,पाई मैंने , मां छू चरण तुम्हारे

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जोरू के गुलाम 

बहुत बेहया,हम तो भैया, खुद की पोल खोलते हैं 
पत्नी जी के डर के मारे ,कुछ भी नहीं बोलते हैं 

हम तो लल्लू के लल्लू हैं ,पर स्मार्ट घरवाली है 
घर की सत्ता , उसने अपने हाथों रखी संभाली है 
कुछ भी अच्छा होता उसका सारा श्रेय स्वयं लेती 
और जो बुरा ,कुछ हो जाए, सारा ब्लेम हमें देती 
पत्नी जी के आगे पीछे, रहते सदा डोलते हैं 
बहुत बेहया, हम तो भैया खुद की पोल खोलते हैं

हमें उंगलियों पर नचवाती और हम नाचा करते हैं 
खुल्ले आम कबूल कर रहे, हम बीबी से डरते हैं 
उड़ा रही वह निज मर्जी से ,मेहनत कर हम कमा रहे 
हम सब सहते ,खुश हो ,घर में प्रेम भाव तो बना रहे 
यस मैडम,यस मैडम ही हम ,डर कर सदा बोलते हैं 
बहुत बेहया, हम तो भैया ,खुद की पोल खोलते हैं

हर घर का बस हाल यही है ,मर्द बहुत कुछ सहते हैं 
बाहर शेर,मगर बन भीगी ,बिल्ली घर पर रहते हैं 
प्यार का लॉलीपॉप खिलाकर, बीबी उन्हें पटाती है 
ऐसा जादू टोना करती ,मनचाहा करवाती है 
घुटते रहते हैं मन ही मन ,पर मुंह नहीं खोलते हैं 
बहुत बेहया ,हम तो भैया, खुद की पोल खोलते हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 30 अप्रैल 2023

भूलने की बिमारी

बुढ़ापे में मुश्किल यह भारी हुई है 
मुझे भूलने की बीमारी हुई है

नहीं याद रखा रहता ,कहां क्या रखा है 
याददाश्त देने लगी अब दगा है 
किसी का पता और नाम भूल जाता 
करने को निकला वह काम भूल जाता 
समय पर दवा लूं, नहीं याद रहता 
मस्तिष्क , मन में है अवसाद रहता 
यूं ही मुश्किलें ढेर सारी हुई है 
मुझे भूलने की बीमारी हुई है 

मगर याद रहती है बातें पुरानी 
वो बचपन के किस्से ,वो यादें पुरानी 
जवानी के दिन भी ,भुलाए न जाते 
वो जब याद आते ,बहुत याद आते 
अकेले में होती है यादें सहारा 
इन्हीं से गुजरता समय है हमारा 
घटनायें कितनी ही प्यारी हुई है 
मुझे भूलने की बीमारी हुई है 

नहीं भूल पाता वह ममता का आंचल 
मुझे याद आता ,पिताजी का वो डर
याद आती बचपन की शैतानियां सब 
गुजरे दिनों की वो नादानियां सब 
भाई बहन की , वो तू तू , वो मैं मैं
खुल्ली छतों पर , वो सोना मजे में 
बुढ़ापे में यादों से यारी हुई है 
मुझे भूलने की बीमारी हुई है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
किसी का मजाक मत उड़ाओ

अगर नहीं होना चाहते हो जीवन में परेशान 
तो कभी भी किसी का मजाक मत उड़ाओश्रीमान

 किसी की बोलचाल का 
 किसी की चाल ढाल का 
 किसी के भोलेपन का 
 किसी के मोटे तन का 
 किसी की काठी कद का 
 किसी के नीचे पद का 
 किसी के गंजेपन का 
 या किसी भी निर्धन का 
 कभी भी मजाक मत उड़ाओ 
 क्योंकि उसमें यह जो खामियां है 
 सब कुछ ईश्वर ने ही दिया है 
 और इनका मजाक है ईश्वर का अपमान 
 इसलिए किसी का मजाक मत उड़ाओ श्रीमान
 
 कई बार तुम्हारे व्यंग 
 किसी को चुभ जाए तो 
कर सकते हैं तुम्हे तंग 
द्रौपदी का एक व्यंग ,
 कि अंधों का बेटा भी होता है अंधा 
 भरी सभा में द्रोपदी को करवा सकता है नंगा इसी मजाक के कारण 
 हुआ था महाभारत का रण 
 लक्ष्मण ने सूर्पनखा की नाक काट कर
  उड़ाया था उसका उपहास 
  और झेलना पड़ा था सीता हरण का त्रास आपका कोई भी मजाक
  कब किस के दिल को ठेस पहुंचा दे 
  पता ही नहीं लगता 
  शब्दों का व्यंग बाण बहुत गहरा है चुभता इसलिए सोच समझकर इस्तेमाल करो अपनी जुबान
  और किसी का मजाक मत उड़ाओ श्रीमान

मदन मोहन बाहेती घोटू

कर्म करो 

जो होना है ,वह है होता 
करो नहीं तुम ,यह समझौता 
तुम तकदीर बदल सकते हो ,
भाग्य जगा सकते हो सोता 

सिर्फ भाग्य का रोना रोकर ,
अगर कर्म करना छोड़ोगे 
बिन प्रयास के आस करोगे 
तो अपना ही सर फाेड़ोगे 
सच्ची मेहनत और लगन से ,
अगर प्रयास किया है जाता 
बाधाएं सारी हट जाती 
ना मुमकिन ,मुमकिन हो जाता 
उसको कुछ भी ना मिल पाता,
 भाग्य भरोसे जो है सोता 
 जो होना है ,वह है होता 
 करो नहीं ,तुम यह समझौता 
 
सच्चे दिल से कर्म करोगे,
 तुम्हें मिलेगा फल निश्चय ही 
 मेहनत करके जीत मिलेगी 
 आज नहीं तो कल निश्चय ही 
 रखो आत्मविश्वास ,सफलता ,
 तब चूमेगी चरण तुम्हारे 
 वो ही सदा जीत पाते हैं ,
 कभी नहीं जो हिम्मत हारे 
 निश्चय उसे विजय श्री मिलती 
 कभी नहीं जो धीरज खोता
  जो होना है ,वह है होता 
  करो नहीं तुम यह समझौता 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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