एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 29 जुलाई 2019

 तुझको  नींद नहीं  आये

मेरी नींद चुराने वाले ,तुझको नींद नहीं आये
तुम खर्राटे भरो और मैं जागूँ ,यह ना हो पाय

रोज लिपट कर सोते थे हम ,रात बिताते मतवाली
तुमने तकिये रखे बीच में ,और दीवार बना डाली
बिन तेरे तन की खुशबू के मुझको नींद नहीं आती
तुम बिन मैं तड़फा करता हूँ ,रात नहीं काटी जाती
पास प्रिया पर छू ना पायें ,कैसे दिल को समझायें
मेरी नींद चुराने वाले ,तुझको नींद नहीं आये

राम करे कि भूत चुड़ैलों के सपने तुमको आये
घबराहट से सो न सके तू ,डरे  ,पसीने आ जाये
या जंगल में गुम होवे तू  ,शेर बबर तुझ  पर झपटे
इतनी ज्यादा तू डर जाये ,झट से मुझसे आ लिपटे
मैं तुझको बाहों में बाँधूँ ,ढाढ़स दूँ ,हम सो जाये
मेरी नींद  चुराने वाले ,तुझको नींद नहीं आये  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
कबूतरों से

हे प्रेम के प्रतीक परिंदों !
अपनी चमकती गर्दन को मटका कर ,
तुम्हारे प्रेमप्रदर्शन का अंदाज
सचमुच है लाजबाब
तुम्हे अपनी प्रेमिका के साथ
गुटरगूँ करते हुए देख कर ,
कितने ही नवप्रेमी ,भावुक हो जाते है
प्रेमशास्त्र का पहला  अध्याय सीख कर ,
एक दूसरे में खो जाते है

हे पंख फड़फड़ाते हुए आशिकों !
तुम तो हो मोहब्बत के फ़रिश्ते
हर तीसरे चौथे दिन किसी नई कबूतरनी संग ,
जोड़ लिया करते हो रिश्ते
और घर की मुंडेरों पर हो नज़र आते
उनके संग इश्क़ लड़ाते
खुले आम ,सामने सारे जहाँ के
हमें भी बता दो
लड़की पटाने का ये हुनर ,
तुमने सीखा है कहाँ से

हे मुकद्दर के सिकंदरों !
तुमने मेहरुन्निसा के हाथो से उड़ ,
उसका मुकद्दर चमका दिया
और एक दिन  उसे नूरजहां बना दिया
वैसी ही तक़दीर हमारी भी चमका दो
किसी बड़ी हस्ती का ,
लख्तेजिगर बनवादो

हे चापलूस चुहलबाजों !
तुम अक्सर
आते हो नज़र
'हाँ 'कहनेवाली मुद्रा में ,
गर्दन हिलाते हुए ,
ऊपर से नीचे ,नीचे से ऊपर
दाएं बाए गरदन हिलाकर ,
कभी भी नहीं करते हो नाहीं
क्या इसी तरह हर बात मान कर ,
 लड़की जाती है पटाई

हे गगन बिहारी प्रेमियों !
तुम्हारा दिशाज्ञान
सचमुच है महान
तुम्हे कितना ही छोड़ दो खुला
पर जैसे ही दिन ढला
तुम आज्ञाकारी पतियों की तरह ,
लौट कर ,सीधे आ जाते हो घर
और बन जाते हो लोटन कबूतर

हे प्रेमसन्देश के वाहकों !
एक जमाने में  प्रेमिकाएं ,
अपने पहले प्यार की पहली चिट्ठी
तुम्हारे माध्यम से भिजवाती थी
और कबूतर जा जा गाना जाती थी
लेकिन तुम खुद तो ,
कभी प्रेम संदेशा भिजवाने की ,
नौबत ही नहीं आने देते हो
गुटरगूँ करते हुए ,गरदन मटका कर ही
कबूतरनी को पटा  लेते हो

हे शांति के दूतों !
तुम्हारे श्वेतवर्णी भाइयों को ,
शांति का प्रतीक मान कर लोग है उड़ाते
पर तुम शांति से बैठे हुए ,
कभी भी हो नज़र नहीं आते
हमेशा देखा है तुम्हे व्यस्त ,
किसी न किसे कबूतरनी के साथ ,
टांका बिठाते

हे कुलबुलाते हुए कपोतों !
तुम भी आजकल के कपूतों की तरह ,
उड़ना सीख लेने पर
चले जाते हो अपने माँ बाप को छोड़कर
अपना अलग घर बसा लेते हो
उनके प्यार और त्याग का ,
यही सिला देता हो

हे कलाबाज कबूतरों !
तुम दिखने में इतने सीधे सादे हो
पर क्या सचमुच ही वैसे हो जैसे दिखते हो
मुझे तो तुम आवारा प्रेमी लगते हो
कभी भी  एक जगह नहीं टिकते हो

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '


   

शनिवार, 27 जुलाई 2019

हम सब कांवड़िये है

जीवन में हर एक काँधे पर होती  कांवड़
संभल संभल जो  चलते वो पाते आगे बढ़    

एक तरफ कांवड़ में परिवार और घर है
और दूसरी तरफ काम है और दफ्तर है
दोनों पर ही पूर्ण ध्यान देना आवश्यक ,
ऊंच नीच थोड़ी सी भी कर देती गड़बड़
जीवन में हर एक काँधे पर होती  कांवड़

कांवड़ में एक तरफ पत्नी का अधिकार है  
एक तरफ माँ और पिता का भरा प्यार है
दोनों का संतुलन अगर थोड़ा  बिगड़ा ,
जीवन यात्रा में कितनी मुश्किल जाती पड़
जीवन में हर एक काँधे पर होती  कांवड़

हर कावड़ में एक तरफ खुशियां  सुख है
परेशानियां ,दूजी और  भरे   दुःख है
सुख दुःख में संतुलन बना कर जो जीते ,
वो ही सफलता की मंजिल को पाते चढ़
जीवन में हर एक  काँधे पर होती कांवड़  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

गुरुवार, 25 जुलाई 2019

       मुझसे झगड़ा न करो रानी

मुझ भोले भाले ,बैठे ठाले ,ढीले ढाले मानव से ,
तुम नए निराले नखरों से ,हरदम अकड़ा न करो रानी
                                   मुझसे झगड़ा न करो रानी
 
माना तुम गोरी चमड़ी की ,चिकनी हो ,लाल चुकंदर सी
मैं बुद्धू, श्याम वरन का हूँ ,मेरी सूरत है  बंदर  सी  
तुम पहलवान हो किंगकॉन्ग सी ,मुझे मर्ज है टीबी का
पर मुझसे क्यों झगड़ा करती ,क्या यही फर्ज है बीबी का
मुझ दुबले पतले प्राणी पर ,बेलन के वार चलाती हो
सलवार धार कर तानो की तीखी तलवार चलाती हो
मैं तंग आ गया तुम्हारी ,जिव्हा की तेज कतरनी से
घरवाला  तो हूँ ,हार मानता लेकिन अपनी घरनी  से
मेरे चूहे से कान ,मानता हूँ ,लेकिन ये कोमल है ,
इनको इतनी आज़ादी से ,ऐसे पकड़ा न करो रानी
                               मुझसे झगड़ा न करो रानी

देखो मैं तुम्हारे कितने ,नखरे और नाज़ उठाता हूँ
पर फिर भी तुम्हारे खिलाफ ,मैं ना आवाज उठाता हूँ
पिक्चर का मूड कभी होता तो तुमको राजी करता हूँ
तुम्हारी रूप प्रशंसा कर ,मैं मख्खनबाजी करता हूँ
लेकिन तुम एक टके  जैसा उत्तर दे टरका देती हो
मेरे पॉकेट के सब रूपये ,चुपके से सरका लेती हो
मैं  इतना काम किया करता पर फिर भी भीगी बिल्ली सा
तुम बम्बई सी भड़कीली ,मैं मौन शांत हूँ दिल्ली सा
तुम्हारी बिना इजाजत के ,मैं नहीं कहीं भी जा सकता ,
भारत स्वतंत्र फिर बंधन में ,मुझको जकड़ा न करो रानी
                                     मुझसे झगड़ा न करो रानी

तुम पढ़ीलिखी हो समझदार हो ,दो बच्चों की मम्मी हो
मैं एक नए पैसे जैसा हूँ तो तुम एक अठन्नी हो
तुम एवरेस्ट सी ऊंची हो तो मैं हूँ एक टिबड्डा सा
तुम पेसेफिक सी गहरी हो मैं हूँ बरसाती गड्डा सा
सब कहते है मैं हूँ गदहा पर  मैंने हथिनी पायी है
लेकिन है गर्व मुझे ,मैंने तुम जैसी पतनी पायी है
तुम मच्छरदानी जैसी हो मैं मच्छर जैसा हूँ सजनी
पर मैं तुम्हारा पति जो हूँ ,परमेश्वर जैसा हूँ सजनी
मेरी पूजा यदि नहीं करो तो मुझको भक्त बना लो तुम ,
मेरी पूजा स्वीकार करो दिल यूं सकडा  न करो रानी
                                 मुझसे झगड़ा न करो रानी

वो तो मैं ही हूँ ढीठ बना सब बात तुम्हारी सुन लेता
एक बात के उत्तर में ,मैं आठ तुम्हारी सुन लेता
पर अब ये अल्टीमेटम है कि तुमसे नहीं डरूंगा मैं
यह हड़ताली युग आया देवीजी हड़ताल करूँगा मैं
इन रोज रोज की झिड़की से जो लगी एक भी बात मुझे
तो निश्चित ही बनना होगा फिर कोई तुलसीदास मुझे
मैं साधू कवि बन गया तो ,मेरी जग में इज्जत होगी
लेकिन इतना तो सोचो तुम ,तुम्हारी क्या हालत होगी  
मुझको बैरागी बनने से ,जो अगर बचाना है तुमको
ना झगडोगी लो कसम प्रिये ,हमसे अकड़ा न करो रानी
                                    मुझसे झगड़ा न करो रानी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
एक सलाह -शादी के बारे में

मेरे मित्रों ,उस लड़की से शादी करना,जो काली हो
सास ससुर हो दिलवाले ,वो भले जेब से खाली हो

चिकनी चमड़ी ही मत देखो शादी जीवन का सौदा है
रंग रूप दिखावा है केवल ,असली तो दिल ही होता है
मत देखो गोरा तन केवल ,बाहर से सभी चमकते है
ऊंची दूकान वाले फीके पकवान सजा कर रखते है
बासी सफ़ेद रसगुल्लों से ,ताज़ा गुलाबजामुन अच्छा ,
काली लड़की है ,हाँ भर दो ,चाहे ना देखी  भाली हो
मेरे मित्रों उस लड़की से शादी करना जो काली हो

उजले तन को क्या चाटोगे ,असली होता उजला मन है
चमकीला कांच तभी होगा ,जब पीछे काला रोगन  है
जिसको निज रूप सदा प्यारा वो प्यार पति को क्या देगी
मेकअप से छुट्टी नहीं जिसे, उपहार पति को क्या देगी
गोरी बीबी को बाज़ारों में ,लोग घूर कर तकते  है ,
इससे काली बीबी अच्छी जो लम्बे घूंघट वाली हो
मेरे मित्रों उस लड़की से शादी  करना जो काली हो

जो लक्ष्मी के दीवाने है ,कोई से प्यार न करते है
पैसे वाले ये सास ससुर ,दामाद ख़रीदा करते है
पैसे वालों की बेटी जी को पतिगृह नहीं सुहाता है
अक्सर पीहर में मन लगता ,पीघर से मन उकताता है
उस बड़े बाप की बेटी से जो नहीं पकाना तक जाने ,
अच्छी गरीब की बेटी ,कामधाम  तो करने वाली हो
मेरे मित्रों उस लड़की से शादी करना जो काली हो

मेरे मत में संसार सार ,केवल ससुराल हुआ करता
ससुराल बड़े घर के में तो ,कैदी सा हाल हुआ करता
इससे गरीब ही अच्छे है ,जो दिल का रिश्ता समझेंगे
बेटी का बोझ किया हल्का ,वो तुम्हे फरिश्ता समझेंगे
भोले भाले हो सास ससुर ,काली बीबी जीवन साथी ,
ससुराल स्वर्ग बन जाएगा ,यदि कोई छोटी साली हो
मेरे मित्रों उस लड़की से शादी करना जो काली हो

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-