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शुक्रवार, 15 मार्च 2013

हिंदी के मुहावरे

        हिंदी के मुहावरे

हिंदी के मुहावरे ,बड़े ही बावरे है
खाने पीने की चीजों से भरे है
कहीं पर फल है तो कहीं आटा दालें  है  
कहीं  पर मिठाई है,कहीं पर मसाले है 
फलों की ही बात लेलो ,
आम के आम,गुठलियों के भी दाम मिलते है
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे,खरबूजे को देख कर रंग बदलते है
कहीं दाल में काला है,
कोई डेड़ चांवल की खिचड़ी  पकाता है
कहीं किसी की दाल नहीं गलती,
कोई लोहे के चने चबाता है
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है 
मुफलिसी में जब आटा  गीला होता है ,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है
सफलता के लिए  बेलना पड़ते  है कई पापड
आटे  में नमक तो जाता है चल
,पर गेंहू के साथ,घुन भी पिस जाता है
अपना हाल तो बेहाल है
ये मुंह और मसूर की दाल है
गुड खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते है
और गुड का गोबर कर बैठते है 
कभी तिल का ताड़,कभी राई का पर्वत बनता है
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है ,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है
किसी के दांत दूध के है ,
किसी को छटी  का दूध याद आ जाता है 
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है ,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है
शादी बूरे  के लड्डू है ,जिनने खाए वो भी पछताए,
और जिनने नहीं खाए ,वो भी पछताते  है
पर शादी की बात सुन ,मन में लड्डू फूटते है ,
और शादी के बाद ,दोनों हाथों  में लड्डू आते है 
कोई जलेबी की तरह सीधा है ,कोई टेढ़ी खीर है
किसी के मुंह में घी शक्कर है ,
सबकी अपनी अपनी तकदीर है
कभी कोई चाय पानी करवाता है ,
कोई मख्खन लगाता है
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है ,
तो सभी के मुंह में पानी आता है
भाई साहब अब कुछ भी हो ,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है
जितने मुंह है,उतनी बातें है
सब अपनी अपनी बीन बजाते है
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है ,
सभी बहरे है,बावरें है
ये सब हिंदी के मुहावरें है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 14 मार्च 2013

ओ पाकिस्तानियों सुनलो

ओ पाकिस्तानियों सुनलो ,हमारी तो है ये आदत
जो मेहमां बन के आओगे ,तो देंगे हम तुम्हे दावत
अगर घुसपेठिये बन कर ,जो आओगे जेहादी बन ,
तो  नेस्तनाबूत  कर  देंगे,  बना देंगे  बुरी हालत  
घोटू

बुधवार, 13 मार्च 2013

लीन्हो वोटर मोल

     घोटू के पद
 लीन्हो वोटर  मोल

माई री  मै  तो,लीन्हो वोटर मोल
सस्तो महंगो ,कछु नहीं देख्यो,दीन  तिजोरी खोल 
आश्वासन को शरबत पिलवा ,मुंह में मिसरी घोल
वादों की रबड़ी  चटवाई ,  मीठो    मीठो     बोल 
मगर विरोधी ,दल वाले सब ,पोल रहे है खोल
टी वी पेपर वाले भी सब,रहे उडाय  मखौल 
चमचे सारे ,खनक रहे है,मेरी तारीफ़ बोल
'घोटू' अब वोटर की मर्जी ,जब होवेगा 'पोल '
ऊँट कौन करवट बैठेगा ,कोई सकत ना बोल

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कितना सुख होता बंधन का


           सुख बंधन का

कितना सुख होता बंधन का
एक दूजे के प्रति समर्पण ,प्रीत,प्यार और अपनेपन का
पानी में घिस घिस घुल कर के,लगे ईश सर,उस चन्दन का
लिपटी हुई लता से पूछो ,तरु संग कितना ,सुख जीवन का
कितना मादक ,उन्मादक सुख,भ्रमर ,पुष्प के अवगुंठन का
बादल बन ,मिल अम्बर से, फिर ,बरसे भू पर,उस जल कण का
एक बंधन को छोड़ दूसरे बंधन में बंधती दुल्हन का 
कान्हा की बंसी की धुन पर ,रास रचाते  ,बृन्दावन   का
बृज की गली गली में अब भी,बसा प्यार राधा मोहन का
संतानों के सुख में हँसते ,दुःख में रोते ,माँ के मन का
कभी किसी से बंध कर देखो ,सुख पाओगे ,पागलपन का
कितना सुख होता बंधन का 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सोमवार, 11 मार्च 2013

शिवरात्रि व्रत

                  घोटू के पद
                  शिवरात्रि  व्रत

मैंने शिवरात्रि  व्रत राख्यो
सुबह चाय  के संग बिस्कुट ना,ड्राई फ्रूट ही चाख्यो
फलाहार में भोग लगायो,रबड़ी और  हलवा को 
संग कुट्टू की तली पूरियां,और आलू टिकिया को
शाम करयो  सेवन बस पेड़ा ,मावे की गुझिया को
सिर्फ चाय पी या फल को रस,बाकी दिन भर फांको  
फ्रूट क्रीम,श्रीखंड रात में ,मन पर काबू  राख्यो 
और रात को दूध पियो बस ,केसर और पिस्ता को
'घोटू'बहुत कठिन व्रत  करना ,खायो बहुत ज़रा सो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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