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रविवार, 10 मार्च 2013

शिवरात्री-एक जिज्ञासा

      शिवरात्री-एक जिज्ञासा

ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश,हमारे तीन देवता ,
                                    कर्ता ,भर्ता और हर्ता ये देव कहाते 
 कब जन्मे,कैसे जन्मे ,कुछ पता नहीं है,
                                     ये तीनो तो आदि पुरुष है ,पूजे जाते
ब्रह्मा जी के संग ,सरस्वती जी है दिखती,
                                  मगर कहीं इनके रिश्ते का  जिक्र नहीं है
और विष्णु जी है लक्ष्मी- रमना कहलाते,
                                  पत्नीवत लक्ष्मी जी इनके संग रही है
वो भी तब,समुन्द्रमंथन से थी वो प्रकटी ,
                                    उसके पहले शायद विष्णु ,रहे अकेले
एक केवल शंकर जी है जिनकी शादी का ,
                                     जिक्र किताबों में मिलता है सबसे पहले
ब्रह्मा जी,शंकर जी दोनों 'परमानेन्ट' है,
                                      'डेपुटेशन'  पर केवल विष्णु जी हैं जाते
लेते है अवतार धरा पर ,कई रूप धर ,
                                       जन्मदिवस उन अवतारों का सभी मनाते 
ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश  ,देव तीनो महान है,
                                       इनका जन्म दिवस पर दुनिया नहीं मनाती
ब्रह्मा,विष्णु की शादी का दिवस पता ना,
                                      शिव रात्रि है पर्व ,हुई जब शिव की शादी
मै मूरख,अज्ञानी तो बस इतना जानू,
                                      आदि पुरुष ये ,इनका जन्म दिवस ना मनता 
ब्रह्मा विष्णु की शादी भी अगर हुई है ,
                                       तो फिर उनका परिणय दिवस क्यों नहीं मनता?


मदन मोहन बाहेती'घोटू'
  

शनिवार, 9 मार्च 2013

स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम

     घोटू के दोहे
स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
           1
धन और पोजीशन करे,देखो कैसे काम
कल तक 'परस्या'कहाता ,'परशराम 'अब नाम 
                      स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
            2
काजल जो लागे कहीं,तो कालिख कहलाय
गौरी  की आँखों  अंजे,दूनो रूप   बढ़ाय
                       स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
              3
बीस तीस की माखनी ,दाल मिले जो आम
पहुँची होटल मौर्या ,हुए  आठ सौ   दाम
                       स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
                  4
गौरी की गोदी  रहे ,श्वान लिपट इतराय
देख गली के कूतरे ,भौंक भौंक चिल्लाय
                        स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
                    5
गूदे संग जब तक बंधा ,कहलाता है आम 
गूदा खा फेंका गया ,अब गुठली है नाम
                         स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
                   6
रोड़ा पत्थर राह का,हर कोई देय  हटाय
मंदिर में सिन्दूर लग,निशदिन पूजा जाय
                         स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
                  7
गति बदले हर चीज की,जगह बदल जब जाय
पहुँच प्लेट से पेट में ,क्या से क्या बन जाय़

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'  

शुक्रवार, 8 मार्च 2013

बिन घूँघरू ,नारी नाची रे

        घोटू के पद 
महिला दिवस पर विशेष

बिन घूँघरू ,नारी नाची रे

घरवाले सब नाच नचायें,फिरती भागी भागी रे
रही रात भर ,नींद उचटती ,सो ना पायी जागी रे
ससुर साहब ,खर्राटे भरते,सास रात भर खांसी रे
सुबह हुई ,जुट गयी काम में ,ले ना पायी उबासी रे
 चूल्हा चौका,झाड़ू पोंछा,बन गयी घर की दासी रे 
शाम पड़े तक ,पस्त होगई ,मुख पर छाई उदासी रे
सोते ही बस ,आँख लग गयी,पिया मिलन की प्यासी रे 
'घोटू'कठिन,नारी का जीवन ,खेल नहीं ना हांसी रे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सभी जगह छाई है महिला

            महिला दिवस पर विशेष 
                             
               सभी जगह छाई है महिला
   
विद्या देवी सरस्वती जी
धन की देवी श्री लक्ष्मी जी
शक्ति की देवी दुर्गा  है
इस जग की जननी ,महिला है
कांग्रेस में सोनिया गाँधी
दिल्ली की शासक  शीला जी 
तमिलनाडु में जय ललिता
तो फिर कोलकता में ममता
सभी जगह छाई है महिला
उनका नंबर सबसे पहला
हम सब ही नारी के बस है
अपना हर दिन,नारी दिवस है
                      
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

गुरुवार, 7 मार्च 2013

कत्था-चूना

       कत्था-चूना

देश को चूना लगाने वाले इन पनवाडियों  ने  
सत्ताधारियों ने
जनता के (खान)पान में ,इतना चूना लगाया है
कि  सारा का सारा मुख उपड आया है
और छाले पड  गए है जबान में
अब तो बस आएगा वो ही काम में
जो फटे हुए मुंह पर लगाएगा कत्था
अगली बार,वो ही पायेगा सत्ता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


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