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बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

सज़ा

आज अपने दिल को सज़ा दी मैंने
उस की हर बात भुला दी मैंने 

एक एक पल दफ़ना दिया मैंने
गुलदस्ता यादों का जला दिया मैंने
बात जिस पर वो मुस्कुराती थी 
वोह हर अलफ़ाज़ मिटा दिया मैंने 

मेरी दुनिया तो खाख़ से आबाद हुई 
दिल-इ-आतिश को ही बुझा दिया मैंने 

आज यादों की मज़ार पर आई थी वोह 
मुंह फेर के अपना भुला दिया मैंने 

अब कोई रिश्ता नहीं है दरमियाँ अपने 
अकेलेपन से भी एक रिशा बना लिया मैंने 

आज अपने दिल को सज़ा दी मैंने
उस की हर बात भुला दी मैंने....

सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

राजभोग से

                राजभोग से

भोज थाल में सज,सुन्दर से
भरे हुऐ  ,पिस्ता  केसर से
अंग अंग में ,रस है तेरे
लुभा रहा है मन को मेरे
स्वर्णिम काया ,सुगठित,सुन्दर
राजभोग  तू ,बड़ा मनोहर
बड़ी शान से इतराता है
तू  इस मन को ललचाता है
जब होगा उदरस्त  हमारे
कुछ क्षण स्वाद रहेगा प्यारे
मज़ा आएगा तुझ को खाके
मगर पेट के अन्दर  जाके
सब जाने नियति क्या होगी
और कल तेरी गति क्या होगी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

अपने अपने ढंग

       अपने अपने ढंग

जब भी ये आये है तो ,रोकी नहीं जाये  फिर ,
                करोगे नहीं तो देगी ,दम ये निकाल कर 
बैठे बैठे नारी करे,खड़े खड़े नर करे ,
                सड़क किनारे कभी ,तो कभी दीवार पर 
शिशु करे सोते सोते ,गोदी में या रोते रोते,
                 पंडित करे है कान  पे  जनेऊ  डाल   कर
कोई डर  जाये  करे,कोई पिट जाये  करे,
                  बूढ़े करे धीरे धीरे ,देर तक ,संभाल   कर 
टांग उठा ,करे कुत्ता,जगह को सूंघ सूंघ ,
                  बिजली का खम्बा कोई,पास देख भाल कर
करने  के सबके है ,अपने तरीके अलग,
                    बड़ा ही सुकून मिले  ,इसको निकाल कर

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

रविवार, 17 फ़रवरी 2013

माँ की महानता

            माँ की महानता

माँ महान है                                बुद्धि दायिनी      
माँ उड़ान है                                  सुख प्रदायिनी 
स्वाभमान है -माँ                         जन्मदायिनी--माँ 
माँ विशेष है                                ज्ञान सुरसरी 
माँ सन्देश है                                प्यार से भरी 
माँ स्वदेश है -माँ                          ममता माधुरी -माँ 
माँ तरंग है                                    माँ जीवन है 
माँ उमंग है                                    माँ आँगन है 
सदा संग है -माँ                             वृन्दावन  है-माँ 
माँ संगीत है                                 माँ है जननी 
माँ पुनीत है                                  ज्ञान वर्धिनी 
प्रेमगीत है --माँ                            पथप्रदार्शिनी -माँ 
माँ है शिक्षा                                 माँ गंगा   है 
माँ है दीक्षा                                 जगदम्बा  है
और परीक्षा -माँ                          अनुकम्पा है-माँ 
सद विचार है                               बुद्धि प्रदाता 
प्रीत धार है                                   सुख की दाता 
मधुर प्यार है -माँ                          भाग्य विधाता -माँ 
माँ भोली है                                  माँ  कविता है 
माँ डोरी है                                    माँ सरिता है 
 माँ लोरी है-माँ                             और गीता है -माँ 
माँ विकास है                              आशीषें भर 
माँ प्रकाश है                                करे निछावर    
माँ मिठास है-माँ                          जो जीवन भर -माँ 
माँ अनूप है                                माँ पोषण है 
ज्ञान कूप है                                 माँ चन्दन है 
 देवी रूप है -माँ                           आराधन है -माँ 
माँ दीया  है                                  माँ ममता है 
कुछ न लिया है,                          माँ समता  है 
सदा दिया है-माँ                            माँ बस माँ है -माँ 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

भाग्य का आलेख

            भाग्य  का आलेख

कोई कितना भ्रमित करदे ,स्वप्न  सुनहरे दिखा कर
हमें बस मिलता वही है,लाये है जो हम लिखा   कर
भाग्य के आलेख को ,कोई बदल सकता नहीं है
लिखा है तकदीर में जो,हमें बस मिलता वही है 
हम कहाँ की सोचते है,पहुँचते है  कहाँ  जाकर
हमें बस मिलता वही है ,लाये हैं जो हम लिखा कर
कर्म निज करते रहें हम,स्वयं में विश्वास रख     कर
बढ़ें आगे ,लक्ष्य पाने ,धेर्य को निज,साथ रख कर
नियति अपने आप देगी,सफलताओं से मिला कर
हमें  बस मिलता वही है,लाये है जो भी लिखा कर
दिग्भ्रमित करने तुम्हारी,राह में अड़चन मिलेगी
कभी कांटे भी चुभेंगे , कभी ठोकर भी लगेगी   
अँधेरे में ,पथ प्रदर्शन,करे वो दिया  जलाकर
हमें बस मिलता वही है,लाये है,जो भी लिखाकर
भाग्य में यदि महाभारत ,लिखी है जो विधाता ने
कृष्ण खुद ही आयेंगे ,बन सारथी  ,रथ को चलाने
युद्ध में तुमको जिताएंगे  तुम्हारा हक दिला कर
हमें बस मिलता वही है ,लाये हैं हम जो लिखा कर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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