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शनिवार, 2 अगस्त 2025

जीवन का सफर

 पूरा जीवन का सफर किया,
 कुछ चलते-चलते भाग-भाग 
कुछ थके ,रुक गए सुस्ताए 
कुछ सोते-सोते, जाग जाग 

कुछ दिन गुजरे लाचारी में 
कुछ त्रस्त रहे बीमारी में 
जीवन की आपथापी में
 दुनिया की मारामारी में 
की पार राह की बाधाएं,
कुछ उचक उचक, कुछ लांघ लांघ 
पूरा जीवन का सफर किया 
कुछ चलते-चलते, भाग भाग 

कुछ दोस्त मिले ,कुछ दुश्मन भी 
कांटों में उलझा दामन भी 
जो गले लगाया कोई ने 
तो हुई किसी से अनबन भी 
बस बीत गया पूरा जीवन
 कुछ देते देते ,मांग मांग 
पूरा जीवन का सफर किया 
कुछ चलते-चलते, भाग भाग 

कोई ने बीच राह छोड़ा 
कोई ने आ रिश्ता जोड़ा 
कोशिश लाख की दुनिया को
 हम समझ सके थोड़ा-थोड़ा 
कोई संग जीवन डोर बंधी 
पाया कोई का अनुराग 
जीवन का सफर किया पूरा
 कुछ चलते-चलते ,भाग भाग

जो लिखा भाग्य अनुसार किया 
दिल दिया किसी से प्यार किया 
कुछ रोते ,कुछ हंसते गाते
 इस भवसागर को पार किया 
लहरों से रहे जूझते हम 
मन का सारा भय त्याग त्याग 
पूरा जीवन का सफर किया 
कुछ चलते-चलते भाग भाग

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जय श्री कृष्णा ,जय श्री राम 

बोलो कृष्णा कृष्णा कृष्णा 
बोलो राम राम राम 
राम कृष्ण दोनों अवतारी 
दोनों बड़े महान 
बोलो कृष्णा कृष्णा कृष्णा 
बोलो राम राम राम 

रामचंद्र की तीन माताएं ,उन पर प्यार लुटाए थी 
एक देवकी ,एक यशोदा ,कृष्ण की भी दो माएं थी 
तीन भाई थे रामचंद्र के
 कृष्ण भाई बलराम 
बोलो कृष्णा कृष्णा कृष्णा 
बोलो राम राम राम 

 राम का बचपन अनुशासित था
करते गुरु की सेवा 
 नटखट कृष्ण ,चुरा कर माखन 
करते रोज कलेवा 
कृष्ण का बचपन गांव और वन में राजमहल में राम पले 
बाद राम जी वन वन घूमे 
सिंहासन पर कृष्ण चढ़े 
एक द्वारका जाकर बस गए
 एक अयोध्या धाम
 बोलो कृष्ण कृष्ण कृष्ण,
 बोलो राम राम राम 

एक ने अपनी मुरली धुन पर
 पाया राधा का प्यार 
एक ने चलाना सीखा गुरु से 
अस्त्र-शस्त्र हथियार 
राम के हाथों धनुष बाण था 
कृष्ण के हाथ सुदर्शन 
सोलह कला कृष्ण को आई 
राम पुरुष पुरुषोत्तम 
त्रास मिटाने सबका आए 
धरती पर भगवान 
बोलो कृष्ण कृष्ण 
बोलो राम राम राम 

एक पत्नी व्रत श्री राम का 
कृष्ण के आठ आठ रानी 
दोनों ख्याल प्रजा का रखते 
राज धर्म के ज्ञानी 
पत्नी के संग राम पुजाते 
सिया राम का बंधन 
मगर प्रेमिका राधा के संग
राधा कृष्ण का पूजन 
परम भक्त हनुमान राम के 
 कृष्ण का ना हनुमान 
बोलो कृष्ण कृष्ण कृष्ण
बोलो राम राम राम

मदन मोहन बाहेती घोटू 
करती है मुझको बहुत सुखी,
 जब बिटिया रहती है पापा 
ऐसा लगता कोयल कूकी ,
जब बिटिया रहती है पापा 

करती है मुझसे प्यार बहुत 
रखती है साज संभाल बहुत 
खुश रहती ,हरदम मुस्काती 
मुझसे मिलती ,आती जाती 
सेवा करने में ना चूकी,
 जब बिटिया रहती है पापा
ऐसा लगता कोयल कूकी,
जब बिटिया रहती है पापा 

वह बहुत चुलबुली ,खुशमिजाज
 मुझको है उसे पर बहुत नाज़ 
सबसे मिलती है मिलनसार 
करते हैं उससे सभी प्यार 
आती है लहर एक खुशबू की,
 जब बिटिया रहती है पापा 
ऐसा लगता कोयल कूकी,
जब बिटिया कहती है पापा 

ऐसा है उसमें कुछ जादू 
सब रहते हैं उसके काबू 
उसका व्यक्तित्व निराला है 
वह जग में सबसे आला है 
उसकी प्रतिभा है बहुमुखी 
जब बिटिया रहती है पापा 
ऐसा लगता कोयल कूकी,
जब बिटिया रहती है पापा

मदन मोहन बाहेती घोटू 

मेरी प्यारी पत्नी तारा 
इसका है व्यक्तित्व निराला 
वो तारा नहीं ,वह तो है चांद
 चांद सी शीतल और शांत
चेहरे पर वैसी ही चमक
रूप में वैसी ही दमक 
हमेशा चेहरे पर मुस्कान
उसका व्यतित्व है महान
संभालती मुझको और घर सारा 
 मेरी प्यारी पत्नी तारा

वह तो ग्रहणी एक कुशल है 
उसके हाथों में कौशल है 
बनाती मधुर मधुर पकवान 
जब भी आते हैं मेहमान 
गजब की उसकी मेहमाननवाजी  
सभी को रखती है वह राजी 
चाहती वह आए दोबारा 
मेरी प्यारी पत्नी तारा 

भले ही मेरी तरह वृद्ध है
फिर भी काम करने को कटिबद्ध है 
कभी भी नहीं है थकती 
हमेशा मेरा ख्याल रखती है 
उसकी सेवा और संभाल 
ने मेरी उम्र बढ़ा दी कुछ साल 
इसका श्रेय उसको जाता है सारा 
मेरी प्यारी पत्नी तारा 

मदन मोहन बाहेती घोटू 



गुरुवार, 31 जुलाई 2025

श्याम बाबा कीर्तन 

इस दुनिया में, सबसे पूजित, सबका दाता श्याम
ओ खाटू के श्याम देवता, शत-शत तुझे प्रणाम 
तेरी सुंदर छवि है प्यारी, मेरे श्याम बाबा तू है कलयुग का अवतारी ,मेरे श्याम बाबा 
तेरी महिमा बड़ी निराली, मेरे श्याम बाबा तुझको पूजे दुनिया सारी,मेरे श्याम बाबा मेरे श्याम बाबा, मेरे श्याम बाबा

महाभारत में कृष्ण चंद्र ने तेरी शक्ति जानी 
मांगा शीश ,कर दिया अर्पित ,तूनेओगढ़
दानी 
 कृष्ण प्रभु ने खुश होकर के दिया तुझे वरदान 
कलयुग में पूजे जाओगे लेकर श्याम का नाम 
तेरी महिमा जानी मानी, मेरे श्याम बाबा तू है सबसे बड़ा महान मेरे श्याम बाबा बाबा 

 हम सब जाने तेरी शक्ति 
हम सब करते तेरी भक्ति 
तेरे दर्शन का सुख पाने,
भीड़ बहुत भक्तों की लगती 
तेरा प्यारा खाटू धाम , मेरे श्याम बाबा हम सब जपते तेरा नाम, मेरे श्याम बाबा

 हम सब आए हैं ध्वज लेकर 
तुझको नमा रहे अपना सर 
हम भक्तों के संकट ले हर 
मनोकामनाएं पूरी कर 
तुझको अर्पित है निशान,मेरे श्याम बाबा मेरा सच्चा तुझे प्रणाम ,मेरे श्याम बाबा

 जय जय खाटू के नरेश 
तुझको पूजे सारा देश 
हम है तेरे भक्त विशेष 
काटो हम सबके तुम क्लेश 
हर लो मुश्किल हमारी तमाम बाबा 
मेरे श्याम बाबा ,मेरे श्याम बाबा 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

हैप्पीनेस का सॉन्ग 


 हैप्पी ,मै हैप्पी 

हैप्पी , तू हैप्पी 

हैप्पी हैप्पी हैप्पी हैप्पी ऑल

खुशी से खुश मै

 खुशी से खुश तू 

सारी दुनिया खुशी से मालामाल 

हैप्पी मै हैप्पी 

हैप्पी तू हैप्पी 

हैप्पी हैप्पी हैप्पी आल 

तो आओ खुशी से मनाएं मौज हम 

 डेली डेली डेली,रोज रोज हम 

नाचे नाचे नाचे , गाएं गाएं गाएं 

मर्जी का पीएं और मर्जी का खाएं

 खुशियां मनायें पूरे साल 

इधर तू हैप्पी, उधर मैं हैप्पी 

हैप्पी हैप्पी हैप्पी हैप्पी आल


 तुझे ना गम है ,मुझे ना गम है 

इसलिए हैप्पी हैप्पी हरदम है 

नहीं तू सॉरी, नहीं मैं सॉरी 

ना कोई झगड़ा न मारा मारी 

आपस में लुटाएं प्यार 

 इधर तू हैप्पी, इधर मैं हैप्पी

 हैप्पी हैप्पी हैप्पी संसार 

 हैप्पी हैप्पी हैप्पी हैप्पी आल 


कोई जो दुखी है,तो गम को मिटा दो 

चेहरे पे उसके ,तुम मुस्कान ला दो

करोगे करम ये, धरम होगा हैप्पी

करोगे जो हैप्पी,रहोगे तुम हैप्पी

सारी दुनिया रहेगी खुशहाल 

हैप्पी हैप्पी हैप्पी हैप्पी आल


मदन मोहन बाहेती घोटू

हैप्पीनेस का सॉन्ग 

 हैप्पी ,मै हैप्पी 
हैप्पी , तू हैप्पी 
हैप्पी हैप्पी हैप्पी हैप्पी ऑल
खुशी से खुश मै
 खुशी से खुश तू 
सारी दुनिया खुशी से मालामाल 
हैप्पी मै हैप्पी 
हैप्पी तू हैप्पी 
हैप्पी हैप्पी हैप्पी आल 
तो आओ खुशी से मनाएं मौज हम 
 डेली डेली डेली,रोज रोज हम 
नाचे नाचे नाचे , गाएं गाएं गाएं 
मर्जी का पीएं और मर्जी का खाएं
 खुशियां मनायें पूरे साल 
इधर तू हैप्पी, उधर मैं हैप्पी 
हैप्पी हैप्पी हैप्पी हैप्पी आल

 तुझे ना गम है ,मुझे ना गम है 
इसलिए हैप्पी हैप्पी हरदम है 
नहीं तू सॉरी, नहीं मैं सॉरी 
ना कोई झगड़ा न मारा मारी 
आपस में लुटाएं प्यार 
 इधर तू हैप्पी, इधर मैं हैप्पी
 हैप्पी हैप्पी हैप्पी संसार 
 हैप्पी हैप्पी हैप्पी हैप्पी आल 
पूरी दुनिया रहे खुशहाल 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 13 जुलाई 2025

जय जय लक्ष्मी महारानी 


जय जय जय लक्ष्मी महारानी 

जय जय लक्ष्मी महारानी 

पूजा करते सभी तुम्हारी 

महिमा जानी मानी 

जय जय जय लक्ष्मी महारानी 

ओम श्री महालक्ष्मैंये नमः 

ओम श्री महालक्ष्मैये नमः 


कमलासन पर तुम विराजती 

जल बरसाते हाथी 

अपने दोनों हाथों से तू 

सब पर धन बरसाती 

माते ,सब पर धन बरसाती 

करती हो संपन्न हमें तुम 

माता सुखी दाता 

आशीर्वाद तुम्हारे पाने 

हर कोई शीश नमाता 

माते हर कोई शीश नमाता 

 तेरी कृपा चाहते हैं सब 

रंक ,राजा और ज्ञानी 

जय जय लक्ष्मी महारानी 

जय जय लक्ष्मी महारानी 

ओम श्री महालक्ष्मी नमः 

ओम श्री महालक्ष्मी नमः 


दिवाली पर दीप जला 

सब करते तेरा वंदन 

बड़े प्रेम से तुम्हें चढाते 

हल्दी, रोली ,चंदन 

माते हल्दी, रोली चंदन 

उसे दिन तेरे साथ विराजा 

करते गौरी नंदन 

रिद्धि सिद्धि के दाता का

 करते हैं सब अभिनंदन 

माते करते सब अभिनंदन 

माता सभी चाहते हरदम

 तेरी मेहरबानी 

जय जय लक्ष्मी महारानी 

जय जय लक्ष्मी महारानी 


दीपावली यह पर्व प्रेम का 

जगमग ज्योति जलती 

अंधकार को दूर भगा 

तू जग को रोशन करती 

माता जग को रोशन करती 

हंसी खुशी सब रहे प्रेम से 

जग में शांति छाये 

सभी सुखी संपन्न रहे 

और रोज दिवाली आए 

माता रोज दिवाली आए 

श्री गजानन और लक्ष्मी सब पर सुख बरसानी जय जय जय मां लक्ष्मी महारानी

 जय जय मां जय लक्ष्मी महारानी 

ओम श्री महालक्ष्मी में नमः 

ओम श्री महालक्ष्मी नमः


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 9 जुलाई 2025

यह जिव्हा 

यह जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 
समोसा न होता, पकौड़ी न होती 

नहीं दही भल्लों की चाटें सुहानी 
नहीं गोलगप्पों का खट्टा सा पानी 
आलू की टिक्की, कचोरी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

ना तो पाव भाजी , न इडली न डोसा 
न मोमो ,न नूडल ,ना पिज़्ज़ा ही होता 
छोले और भटूरे की जोड़ी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

 ना लड्डू ,ना बर्फी ,जलेबी का जलवा 
रसगुल्ला प्यारा,ना गाजर का हलवा
रबड़ी,इमरती सुनहरी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी ना होती

सभी बात दिल की , इसी से निकलती 
कभी चलती कैंची ,कभी यह फिसलती 
सभी राज दिल के, ये खोली न होती 
ये जिव्हा अगर जो ,चटोरी न होती

कभी करती बकबक,मधुर गीत गाती 
करो जो मोहब्बत,बहुत काम आती 
लबों वाले चुंबन ,की चोरी न होती 
ये जिव्हा अगर जो,चटोरी ना होती

दुआ जिव्हा को दो,उसके ही कारण 
मज़ा खाने पीने का ये ले रहे हम
क्या होता अगर ये निगोड़ी न होती
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

मदन मोहन बाहेती घोटू 


सोमवार, 7 जुलाई 2025

मां से 

तुम चली गई ,अब नहीं रही, पर शेष तुम्हारी यादें हैं 
हे मां तुम्हारे संस्कार ,सब परिवार को बांधे है

वह भोली भाली सी सूरत, वो आँखें जिनमें प्यार बसा 
वह हाथ उठा जो करते थे, देने को आशीर्वाद सदा 
वह हंसता मुस्काता चेहरा ,वह ममता और वह अपनापन 
तेरे आंचल की छाया में ,हमने काटा अपना बचपन
वह सौम्य रूप सीधा-सादा,वह प्यार लुटाते युगल नयन 
करते संचार शक्ति का थे, तेरे बोले हर मधुर वचन 
संघर्ष करो ,उत्कर्ष करो , यह गुण तुमसे ही पाया है 
तुझको झुकना ना आता था ,ना झुकना हमें सिखाया है 
अपने हाथों से मेरा सर सहला कर करती थी दुलार 
तूने हमको सद्बुद्धि दी, उत्तम शिक्षा अच्छे विचार

 रह रह आती याद हमें,तेरी गरिमा और स्वाभिमान 
तेरे हाथों से पका हुआ , पोषक भोजन और खानपान 
पथ सदा प्रदर्शित करता है ,तेरी शिक्षा और दिया ज्ञान 
ओ माता तेरे चरणों में मेरा कोटिश-कोटिश प्रणाम

मदन मोहन बाहेती घोटू 
उपहार

चौराविसवें में जनम दिवस पर मुझको यह उपहार चाहिए 
मुझे आपका प्यार प्यार बस सिर्फ प्यार ही प्यार चाहिए 

 जीवन की आपाधापी में ,कभी खुशी थी और कभी गम 
कभी ताप गर्मी का झेला, कभी शीत में ठिठुराये हम 
अब सूखा सूखा मौसम है ,बारिश की बौछार चाहिए 
मुझे आपका प्यार प्यार बस, सिर्फ प्यार ही प्यार चाहिए 

मैंने अब तक अपना जीवन ,स्वाभिमान के साथ जिया है 
नहीं किसी से कुछ मांगा है ,सिर्फ दिया ही दिया दिया है 
शुभकामनाएं मिले आपकी,आशीर्वाद हजार चाहिए  
मुझे आपका प्यार प्यार बस सिर्फ प्यार ही प्यार चाहिए

 गुलदस्ते में फूल महकते,हो कोई भी कांटा ना हो 
रहे प्रेम से हंसते गाते ,जीवन में सन्नाटा ना हो
 बचे हुए जीवन मुझको, पतझड़ नहीं , बहार चाहिए 
मुझे आपका प्यार प्यार बस सिर्फ प्यार ही प्यार चाहिए 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
समझौता 

बचे हैं जीवन के कुछ साल 
आओ दे मन का मैल निकाल 

कभी मैंने तुमसे कुछ भला बुरा कहा होगा 
कभी तुमने मुझसे कुछ भला बुरा कहा होगा 
कभी तुम्हें मेरे व्यवहार से बुरा लगा होगा 
कभी मुझे तुम्हारे व्यवहार से बुरा लगा होगा 
पर जो हो गया सो हो गया, सब कुछ भुला दे 
हम अपने संबंधों को एक नया सिलसिला दें भूल जाए जो भी हैं शिकवे गिले 
और आपस में दिल खोल कर मिले 
और प्रेम से हो जाए मालामाल 
आओ दे मन का मैल निकाल 

गलतफहमियां कुछ तुमने हमने भी पाली होगी किसी ने बीच में अलगाव की दीवार डाली होगी 
चलो वो दीवार को तोड़ दें, रिश्तो में तनाव न रहे आपस में हो प्रेम भाव ,कोई मनमुटाव न रहे 
 बची हुई जिंदगी हंसी खुशी से मिलकर कांटे जितना भी हो सके प्रेम हम सब में बांटे 
आपस में मिलजुल कर 
प्रेम करें हम खुल कर
बचीखुची जिंदगी,हो जाए खुशहाल 
आओ दें मन का मैल निकाल 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 16 जून 2025

हम तुम और बीमारी 

बीमार तुम भी, बीमार हम भी 
बचा ना हम मे ,कोई दम खम भी 

चरमरा करके चलती जीवन की गाड़ी
कभी तुम अगाड़ी, कभी हम अगाड़ी 
बुढ़ापे का होता, यही आलम जी 
लाचार तुम भी, लाचार हम भी

न कुछ तुमसे होता, न कुछ हमसे होता
जैसे तैसे भी करके समझौता 
कभी मन में खुशियां ,तो कभी गम भी 
बीमार तुम भी ,बीमार हम भी 

कई चिंताओ व्याधियों ने है घेरा 
सहारा मैं तेरा ,सहारा तू मेरा 
डगमगाते चलते, हमारे कदम भी 
बीमार तुम भी ,बीमार हम भी 

संग संग हम हैं सुखी है इसी से 
बचा है जो जीवन काटें खुशी से 
करो प्यार तुम भी , करें प्यार हम भी
 बीमार तुम भी ,बीमार हम भी 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
यह जिव्हा 

यह जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 
समोसा न होता, पकौड़ी न होती 

नहीं दही भल्लों की चाटें सुहानी 
नहीं गोलगप्पों का खट्टा सा पानी 
आलू की टिक्की, कचोरी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

ना तो पाव भाजी , न इडली न डोसा 
न मोमो ,न नूडल ,ना पिज़्ज़ा ही होता 
छोले और भटूरे की जोड़ी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

 ना लड्डू ,ना बर्फी ,जलेबी का जलवा 
रसगुल्ला प्यारा,ना गाजर का हलवा
रबड़ी,इमरती सुनहरी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी ना होती

दुआ जिव्हा को दो,उसके ही कारण 
मज़ा खाने पीने का ये ले रहे हम
क्या होता जो ये निगोड़ी न होती
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

मदन मोहन बाहेती घोटू 


घोटू के पद 

घोटू,मन मेरा चौकीदार 
मेरे जीवन की हर क्रिया उसके कहे अनुसार

कब सोना,कब जगना,खाना ,कब हंसना, कब रोना
पढ़ना लिखना ,प्यार मोहब्बत, मन के कहे ही होना 

मन माफिक यदि कुछ ना होता ,मन हो जाता भारी 
सुख देती है वह क्रिया ,जो मन को लगती प्यारी

 जिस पर मन आ जाता ,जुड़ता जनम जनम का नाता 
मन होता गतिमान पलों में कहां-कहां हो आता 

सुख में मन होता है हल्का दुख में होता भारी अंदर ही अंदर घुटने की मन को लगे बीमारी 

यदि जीवन सुख से जीना है,सदा सुखी जो रहना
करो वही जो मन कहता है ,मानो उसका कहना

मन प्रसन्न तो झंकृत होते, मन वीणा के तार 
घोटू ,मन मेरा चौकीदार

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 15 जून 2025

जब से तुम बीमार पड़े हो 

प्रिय, जब से तुम बीमार पड़े हो 
बदल ही गई है मेरी जिंदगानी 
मेरी दिनचर्या, मेरे जीवन का क्रम,
 सब बदल गया है, मेरे चेहरे पर,
मुस्कान के बदले छाई रहती है परेशानी

एक जमाना था जब मुझे देखकर
 तेज हो जाती थी तुम्हारी दिल की धड़कन , अब जब तुम्हारी धड़कन में तेज होती है तो डर लगता है कि कहीं तुम्हारा ब्लड प्रेशर तो नहीं बढ़ गया है 
पहले रातों को तुम्हारा स्पर्श 
मुझे रोमांचित करता था 
परअब रात को जब तुम्हारा बदन
 छूती हूं तो टटोल कर देखती हूं 
कि कहीं बुखार तो नहीं चढ़ गया है 

तुम्हारी चाल ढाल व्यवहार की थोड़ी सी भी हरकत मुझे परेशानी की आहट देती है 
तुम्हारी हल्की सी भी खांसी 
तुम्हे सर्दी जुकाम न हो गया हो घबराहट देती है

 तुम जब भी इधर-उधर घूमने जाते हो तो मैं तुम्हारे साथ जाती हूं कि कहीं तुम 
डगमगा कर गिर ना जाओ सड़क के बीच
तुम जब प्रसाद के डब्बे से मोतीचूर का लड्डू खाने लगते हो तो मैं तुम्हारा हाथ पकड़ लेती हूं क्योंकि कहीं बढ़ न जाए तुम्हारी डायबिटीज

तुम्हारी बीमारी के कारण 
डॉक्टर ने तुम्हारे खानपान पर
लगा दिए है इतने रिस्ट्रिक्शन 
कि मैं चाहते हुए भी तुम्हे खिला नहीं पाती
तुम्हारा मनचाहा भोजन  

मेरी याददाश्त बुढ़ापे के कारण कमजोर हो गई है और कई चीज रख कर भूल जाती हूं 
पर तुम्हें समय पर दवा की गोलियां 
देना कभी नहीं भूल पाती हूं 

तुम्हें संभालते संभालते मैं 
अपने को संभालना भूल गई हूं 
मुझ में सजने संवरने की अब नहीं रही चाह 
अब नहीं रहा वो पहले जैसा 
घूमने फिरने का उत्साह   

तुम्हारे शरीर की थोड़ी भी हलचल 
मेरे शरीर में हलचल भर देती है 
मुझे बेचैन और बेकल कर देती है 

क्योंकि तुम हो तो मेरी मांग में सिंदूर है 
तुम हो तो मेरी करवा चौथ है 
तुम हो तो मेरी पहचान है 
तुम हो तो मेरा अस्तित्व है 

मैं सावित्री की तरह तुम्हें यमराज से बचा तो नहीं सकतीहूँ 
 पर जब तक तुम जिंदा हो 
तुम्हारी जिंदगी में खुशियां तो भर सकती हूँ 

अब मेरा संकल्प यही है
और यही कामना है मेरी 
जब तक जिंदा रहूं,
तुम्हारी सेवा करती रहूं 

मदन मोहन बाहेती घोटू 


सोमवार, 26 मई 2025

हनुमान भजन 

हनुमान मेरे, हनुमान मेरे 
तेरी भक्ति के सागर में,
 डूबे रहते हैं प्राण मेरे 
हनुमान मेरे, हनुमान मेरे 

तुम डूबे राम की भक्ति में 
मैं डूबा तुम्हारी भक्ति में 
तुमको भी पता,मुझको भी पता 
कितनी शक्ति है भक्ति में 
तेरे दिल में है बसे हुए ,
भगवान मेरे ,श्री राम मेरे 
हनुमान मेरे ,हनुमान मेरे 

देखी सिंदूरी सिंदूरी 
मां सीताजी की मांग भरी 
पूछा तो कारण बतलाया 
इससे खुश रहते राम हरी 
तबसे सिंदूरी रंग रहते 
जिससे प्रसन्न हो राम मेरे 
हनुमान मेरे ,हनुमान मेरे 

एक दिन प्रसन्न जब हुए राम 
एक मोती माला दी इनाम 
तुमने सब मोती तोड़ दिए 
ना मिला कहीं भी राम नाम
 माला फेंकी तुम यह बोले,
 बिन राम न आएगी काम मेरे 
हनुमान मेरे ,हनुमान मेरे 

तुम भगत राम के हो प्यारे 
सब रिपु राम के संहारे 
अष्ट सिद्धि और नवनिधि की,
सब शक्ति पास है तुम्हारे 
करते उपकार सभी का हो 
तुम श्रद्धा के हो धाम मेरे 
हनुमान मेरे, हनुमान मेरे

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 24 मई 2025

चिंताहरण

कल पत्नी जी ने अपने मन की झिझक खोली 
और सहमते सहमते बोली 
आजकल रोज टीवी और अखबार
 बार-बार दे रहे हैं समाचार 
हिंदुस्तान और पाकिस्तान 
बन रहे हैं युद्ध का मैदान 
ड्रोन और मिसाइल चल रहे हैं 
खेत और मकान जल रहे हैं 
मुझे बहुत घबराहट हो रही है 
मेरे मन की शांति खो रही है 
गलती से कोई मिसाइल या बम 
हमारे घर पर गिर गया,
 तो हो जाएगा सब कुछ खतम 
मैंने कहा पगली क्यों परेशान हो रही है 
हमारे घर बम का पहुंचना आसान नहीं है तुझे काहे को लग रहा है डर 
अगर कोई बम गिर भी गया हम पर 
तो हम दोनों ही उसकी लपेट में आएंगे साथ-साथ जी रहे हैं, साथ साथ ही जाएंगे 
ना तुझे अकेला जीना पड़ेगा ना मुझे,
बुढ़ापे में अकेले जीने की त्रासदी से बच जाएंगे 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 5 मई 2025

गृह शांति 


पत्नी मूड अगर हो बिगड़ा 

नहीं चाहते घर में झगड़ा 

पुरुषत्व पर तुम मत ऐंठो 

बेहतर है चुप होकर बैठो 

कुछ ही देर में देखोगे तुम 

बदल जाएगा घर का मौसम 

चार मिनट चुप्पी तुम्हारी 

करती दूर मुसीबत सारी 

भले तुम्हारी बात सही हो 

पत्नी जी ही गलत रही हो 

लेकिन उस क्षण में विवाद के

 रहो सदा तुम मौन साध के 

यदि कुछ बोला तो भुगतोगे 

 एक कहोगे, चार सुनोगे 

 पत्नी को यदि क्रोध आएगा 

तो गृह युद्ध भड़क जाएगा 

इसीलिए ऐसे अवसर पर 

रक्षक होता मौन अधिकतर 

धीरज अगर रखोगे कुछ क्षण 

रह सकती गृह शांति कायम


मदन मोहन बाहेती घोटू

मेरे भगवान,मेरे माता-पिता 


मेरे माता-पिता भगवान है 

मेरा शत-शत उन्हे प्रणाम है 


उनने मुझको जन्म दिया है 

पाल पोस कर बड़ा किया है 

मैं रोया तो दूध पिलाया 

गोदी में ले मुझे सुलाया 

मुझपे उनके बहुत एहसान है 

मेरे माता-पिता भगवान है 


उंगली पकड़ सिखाया चलना 

अक्षर ,गिनती ,लिखना,पढ़ना 

मुझे सिखाई ,दुनियादारी 

कितनी बातें प्यारी प्यारी 

दिया उनका सभी कुछ ज्ञान है 

मेरे माता-पिता भगवान है 


मेरे सुख-दुख के हर क्षण में 

मेरा साथ दिया जीवन में 

आगे बढ़कर दिया सहारा 

साथ निभाया ,भाग्य संवारा 

उनका हरदम ही गुणगान है 

मेरे माता-पिता भगवान है 


उनसे जो कुछ सीखा , पाया

काम बहुत जीवन में आया 

उनकी आशीषों का फल है 

मेरा जीवन हुआ सफल है 

उनने हरदम दिया वरदान है 

मेरे माता-पिता भगवान है 


मेरे लिए वह देव तुल्य है

दिया ज्ञान उनका मूल्य है 

उनके आदर्शों पर चलकर 

जीवन आज बना है सुंदर 

 उनका व्यक्तित्व महान है 

 मेरे माता-पिता भगवान है 


मेरे माता-पिता, मेरे माता-पिता

 मेरी रामायण, है मेरी गीता 

मेरे रामचंद्र, है मेरी सीता 

सबके सुखदायक,सर्वहिता 

वह तो सर्वश्रेष्ठ इंसान है

 मेरे माता-पिता भगवान है 

मेरा शत-शत उन्हे प्रणाम है


मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 4 मई 2025

मेरे भगवान,मेरे माता-पिता 

मेरे माता-पिता भगवान है 
मेरा शत-शत उन्हे प्रणाम है 

उनने मुझको जन्म दिया है 
पाल पोस कर बड़ा किया है 
मैं रोया तो दूध पिलाया 
गोदी में ले मुझे सुलाया 
मुझपे उनके बहुत एहसान है 
मेरे माता-पिता भगवान है 

उंगली पकड़ सिखाया चलना 
अक्षर ,गिनती ,लिखना,पढ़ना 
मुझे सिखाई ,दुनियादारी 
कितनी बातें प्यारी प्यारी 
दिया उनका सभी कुछ ज्ञान है 
मेरे माता-पिता भगवान है 

मेरे सुख-दुख के हर क्षण में 
मेरा साथ दिया जीवन में 
आगे बढ़कर दिया सहारा 
साथ निभाया ,भाग्य संवारा 
उनका हरदम ही गुणगान है 
मेरे माता-पिता भगवान है 

उनसे जो कुछ सीखा , पाया
काम बहुत जीवन में आया 
उनकी आशीषों का फल है 
मेरा जीवन हुआ सफल है 
उनने हरदम दिया वरदान है 
मेरे माता-पिता भगवान है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
पत्नी जी के जन्मदिन पर 

जन्मदिन आया तुम्हारा 
 प्यार तुमको ढेर सारा 
डूबते मेरे हृदय को, 
दिया तुमने आ सहारा 

आई तुम तकदीर बनकर 
मरुस्थल में नीर बनकर
 जिंदगी मेरी संवारी ,
मेरे दिल की हीर बनकर

 प्यार हो तुम प्रेयसी तुम
 मेरे दिल में आप बसी तुम 
जिंदगी महकाई तुमने,
मेरे जीवन की खुशी तुम

कई जन्मों के हम साथी 
मैं दिया हूं, तुम हो बाती 
रहो हरदम खुश हमेशा 
प्यार ऐसे ही लुटाती

मदन मोहन बाहेती घोटू 

पाबंदी 


 मिष्ठान और मीठे फल ,

खाने को यदि वर्जित है 

कभी-कभी चखने पर 

पाबंदी नहीं होनी चाहिए 


सुंदर जवान लड़कियों से,

 छेड़छाड़ ठीक नहीं 

मगर उन्हें तकने पर ,

पाबंदी नहीं होनी चाहिए 


दहेज का आदान-प्रदान,

 शादी में गलत रीत,

प्रेमपत्र के आदान प्रदान पर 

पाबंदी नहीं होनी चाहिए 


दिल तो बावरा है ही,

 जाने क्या-क्या चाहता है

आशिकाना मिजाज रखने पर 

पाबंदी नहीं होनी चाहिए 


मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

मैंने तुझको देख लिया है 


मैंने पंखुड़ी में गुलाब की , हंसती बिजली ना देखी थी 

बारह मास रहे जो छाई,ऐसी बदली ना देखी थी

ना देखे थे क्षीर सरोवर,उन में मछली ना देखी थी 

सारी चीजें नजर आ गई ,मैंने तुझको देख लिया है 


तीर छोड़ कर तने रहे वो तीर कमान नहीं देखे थे

पियो उमर भर पर ना खाली हो वो जाम नहीं देखे थे 

गालों की लाली में सिमटे , वो तूफान नहीं देखे थे 

सारी चीजें नजर आ गई मैंने तुझको देख लिया है 


ढूंढा घट घट, घट पर पनघट, घट पनघट पर ना देखे थे 

कदली के स्तंभों ऊपर ,लगे आम्र फल ना देखे थे 

सरिता की लहरों में मैंने,भरे समंदर ना देखे थे 

सारी चीजें नजर आ गई ,मैंने तुझको देख लिया है


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 16 अप्रैल 2025

मुक्तक 

1
अचानक एक दिन यूं ही तमाशा कर दिया मैंने 

 खुलासा करने वालों का खुलासा कर दिया मैंने

 वो तड़फे, तिलमिलाए पर,नहीं कुछ कर सके मेरा ,
बहुत बनते थे बस नंगा जरा सा कर दिया मैंने
2
बड़े तुम बोल,ना बोलो अपनी तारीफ मत हांको 

कभी भी दूसरों को अपने से छोटा नहीं आंकों

तुम्हारी क्या हकीकत है की दुनिया जानती है सब, 
फटा का गरेंबां हो जब, फटे दूजे में मत झांको 

मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 14 अप्रैल 2025

बदलाव 

मैंने देखा साथ वक्त के 
कैसे लोग बदल जाते हैं 
बीज वृक्ष बन जाता उसमें,
 फूल और फिर फल आते हैं 

दूध फटा बन जाता छेना 
जमता दूध ,दही कहलाता 
सूख खजूर ,छुहारा बनता,
रूप रंग सब बदला जाता 

और अंगूर सूख जब जाते,
 हम उनको किशमिश कहते हैं 
नाले निज अस्तित्व मिटाते,
तो फिर नदिया बन बहते हैं 

चावल पक कर भात कहाते 
गेहूं पिसते ,बनता आटा 
गर्म तवे पर बनती रोटी ,
घी लगता बन जाए परांठा 

पक जाने पर हरी मिर्च भी,
रंग बदल कर,लाल सुहाती 
और सूखे अदरक की गांठे ,
बदला नाम, सोंठ कहलाती 

उंगली पकड़ चले जो बच्चे,
तुमको उंगली दिखलाते हैं 
मैंने देखा साथ वक्त के,
 कैसे लोग बदल जाते हैं 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 13 अप्रैल 2025

अपनो से 

तुम मुझसे मिलने ना आते,
तो मुझे बुरा नहीं लगता है ,
पर कभी-कभी जब आ जाते,
तो यह मन खुश हो जाता है 

मैं यही सोच कुछ ना कहता,
तुम बहुत व्यस्त रहते होंगे ,
क्या मुझसे मिलने कभी-कभी,
 मन तुम्हारा अकुलाता है 

कोशिश करोगे यदि मन से 
तो समय निकल ही जाएगा,
मिलने जुलने से प्रेम भाव 
आपस वाला बढ़ जाता है 

है दूरी भले घरों में पर ,
तुम दिल में दूरी मत रखना ,
यह कभी टूट ना पायेगा,
 मेरा तुम्हारा नाता है 

इतनी तो अपेक्षा है तुमसे,
तुम कभी उपेक्षा मत करना 
वरना तुम्हारी यह करनी ,
हर दम मुझको तड़पाएगी 

मैं हूं उसे मोड़ पर जीवन के,
क्या पता छोड़ दूं कब सबको ,
तुम कभी-कभी मिल लिया करो,
 तो उम्र मेरी बढ़ जाएगी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
घर का खाना

वही अन्न है, वो ही आटा ,
वही दाल और मिर्च मसाला 
फिर भी हर घर के खाने का,
 होता है कुछ स्वाद निराला 

हर घर की रोटी रोटी का ,
अपना स्वाद जुदा होता है 
घर की रोटी के आटे में,
 मां का प्यार गुंथा होता है 

कोई मुलायम फुल्का हो या
गरम चपाती , टिक्कड़ मोटी 
अलग-अलग पर सबको भाती ,
है अपने ही घर की रोटी

कुछ सिकती है अंगारों पर,
 कोई तवे पर फूला करती 
कोई तंदूरी होती है ,
स्वाद निराला अपना रखती

जला उंगलियां जिसे सेकती 
है मां वो रोटी है अमृत 
ममता के मक्खन से चुपड़ी ,
तुम्हें तृप्त करती है झटपट 

होटल से महंगीसे महंगी 
सब्जी तृप्त नहीं कर सकती 
पकवानों की भीड़ लगी पर 
पेट तुम्हारा ना भर सकती 

सब फीका फीका लगता है,
 घर वाले खाने के आगे 
तृप्त आत्मा हो जाती है 
अपने घर की रोटी खा के 

पांच सितारे होटल वालो 
के गरिष्ठ होते सब व्यंजन 
पर सुपाच्य और हल्का होता 
अपने घर का भोजन हरदम 

जिसके एक-एक ग़ासे में,
 स्वाद भरा हो अपनेपन का 
सबके ही मन को भाता है 
क्या कहना घर के भोजन का

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

शादी 

 बंधे प्रेम के बंधन में हम,
हो गई दिल की हेरा फेरी 
मैंने तुमसे शादी कर ली ,
मेरी *मैं* अब हो गई तेरी 
साथ रहेंगे अब हम दोनों ,
बन करके *हम* जब तक दम है ,
चांदी से उजले दिन होंगे ,
और सोने सी रात सुनहरी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

मुक्तक 


जो दे एहसास माता का, उसे हम सास कहते हैं 


पराई आस,पर खुद का ,जो हो विश्वास कहते हैं


बिना मतलब जरूरत के, बिना रोके बिना टोके,


लोग बकबक जो करते हैं ,उसे बकवास कहते हैं


मदन मोहन बाहेती घोटू

हृदय की बात 

हृदय हमारा कब अपना है 
यह औरों के लिए बना है 

इसको खुद पर मोह नहीं है,
 सदा दूसरों संग खुश रहता 
कभी ना एक जगह पर टिकता 
धक धक धक-धक करता रहता 

कल कल बहता नदियों जैसा,
 लहरों सा होता है प्यारा
मात-पिता के दिल में बसता,
 बन उनकी आंखों का तारा 

कभी धड़कता पत्नी के हित 
कभी धड़कता बच्चों के हित 
यह वह गुल्लक है शरीर का, 
प्यार जहां होता है संचित 

कोई हृदय मोम होता है 
झट से पिघल पिघल है जाता
 तो कोई पाषाण हृदय है ,
निर्दय कभी पसीज पाता 

हृदय हृदय से जब मिल जाते 
एक गृहस्थी बन जाती है 
होते इसके टुकड़े-टुकड़े 
जब आपस में ठन जाती है 

युवा हृदय आंखों से तकता,
रूप देखता लुट जाता है 
नींद ,चैन, सब खो जाते हैं ,
जब भी किसी पर यह आता है 

कभी प्रफुल्लित हो जाता है
 कभी द्रवित यह हो जाता है 
रोता कभी बिरह के आंसू ,
कभी प्यार में खो जाता है 

इसके एक-एक स्पंदन 
में बसता है प्यार किसी का 
इसकी एक-एक धड़कन में 
समा रहा संसार किसी का 

अगर किसी से मिल जाता है 
जीवन स्वर्ग बना देता है 
चलते-चलते अगर रुक गया 
तुमको स्वर्ग दिखा देता है 

इसके अंदर प्यार घना है 
हृदय तुम्हारा कब अपना है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 7 अप्रैल 2025

 दो मुक्तक 
1
यह जीवन कर्ज तेरा था, दिया तूने लिया मैंने

 दिए निर्देश जो जैसे ,उस तरह ही जिया मैंने

मैं मरते वक्त तक बाकी कोई उधार ना रखता ,

दिया था तूने जो जीवन, तुझे वापस किया मैंने 
2
हम अपने ढंग से जी लें,बुढ़ापा इसलिए उनने

अकेला छोड़कर हमको ,बसाया घर अलग उनने 

 हमारी धन और दौलत का,ध्यान पर रखते हैं बच्चे ,
कर लिया फोन करते हैं, हमारी खैरियत सुनने

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 26 मार्च 2025

गुलाब की पंखुड़ी 

सुंदर गुलाब की तू पंखुड़ी 

तेरा स्पर्श मुलायम है तुझसे खुशबू उमड़ी उमड़ी 

मखमली गुलाबी रंगत है,तू है गोरी के अधर चढ़ी 
तू ताजी ताजी नरम नरम चिकनी चिकनी निखरी निखरी 
वरमाला सी तू गले लगी और मिलन सेज पर तू बिखरी 
काम आई ईश वंदना में ,तू भाग्यवान प्रभु चरण चढ़ी 
तू मुझे देखकर मुस्कुराई ,अपनी तो किस्मत निकल पड़ी 
सुंदर गुलाब की तू पंखुड़ी 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
चाहत 

तुम्हें लौकी पसंद है तो पकाओ और खाओ तुम

मैं हूं पकवान का प्रेमी, मुझे हलवा खिलाओ तुम

पसंद हर एक इंसान की, होती अपनी-अपनी है,

पसंद तुम मेरे दिल की हो बस इतना जान जाओ तुम 
2
तुम्हारी आंख में बसता,भले ही काला काजल मै

 भरा हूं भावनाओं से,बड़ा गहरा हूं बादल मैं 

ये चाहत है मैं जब बरसूं,तेरा अंगना हो तू भीजे

रहे तू सामने हरदम , निहारूं तुझको पल-पल मै 
3
कसम तुमको मेरे दिल की ,कभी भी दूर मत होना 
जमाना लाख रोके पर ,कभी मजबूर मत होना

भले ही हुस्न बरपा है, खुदा ने अपने हाथों में,
चांदनी चार दिन की है ,कभी मगरूर मत होना
4
तुम्हारा चांद सा चेहरा ,वो जब मेरे करीबआया

उठी लहरें समंदर में,जलजला एक अजीब आया

 हमारा मिलना आपस में,खुदा ने ही लिखा होगा,
जो इतनी पास दोनों को हमारा यह नसीब लाया
 
मदन मोहन बाहेती घोटू 
किस्मत 

नहीं कुछ हाथ लगना है तो गम खाने से क्या होगा 
जहां ना दाल गलनी है, वहां जाने से क्या होगा

यही वह सोच है जो रोकती है हमको पाने से,

चुग गई खेत जब चिड़िया,तो पछताने से क्या होगा 
2
सकेगा रोक ना कोई, लिखा होगा जो किस्मत में

 परेशान व्यर्थ होते हो, यूं ही कोई की चाहत में

अगर जो ना मिला कोई, तुम्हें जीते जी दुनिया में,

यकीन मानो हजारों हूरें, मिल जाएगी जन्नत में

मदन मोहन बाहेती घोटू 

असर


जीतता ट्रंफ यू एस ए,मेरे शेयर लुढ़क जाते 


रूस यूक्रेन लड़ते तो भाव सोने की बढ़ जाते 


मेरे खाने में मिर्ची और नमक अनुपात बढ़ जाता,

 हमारा झगड़ा होता जब, तेरे तेवर में चढ़ जाते 


मदन मोहन बाहेती घोटू

मंगलवार, 25 मार्च 2025

कभी साबुन की बट्टी था, भरा खुशबू से जीवट मैं 

घिसा तुमको सजाने में ,रह गया एक चीपट मै 

काम आऊंगा मैं अंत तक, रखोगे चिपका जो मुझको,

अकेला छोड़ा तो गल कर, निपट जाऊंगा झटपट मैं

रविवार, 23 मार्च 2025

हमेशा मुस्कराएं हम 
1
न कोई मेरा दुश्मन है, नहीं कोई विरोधी है

फसल ऐसी मोहब्बत की,सभी के दिल में बो दी है 
कोई ने फेंका पत्थर तो, मैंने उत्तर में फल बांटे,

भलाई करने वालों की, हमेशा जीत होती है 
2
कभी हम तुममें झगड़ा था चलो अब भूल जाएं हम 
मिलाएं हाथ हाथों से और दिल से दिल मिलाएं हम 
बड़ी रंगीन और सुंदर लगेगी तुमको यह दुनिया,
जहां बस प्यार ही हो प्यार ,हरदम मुस्कुराए हम

मदन मोहन बाहेती घोटू 
मेरी फितरत 
1
मैं सबसे प्यार करता हूं ,मेरी फितरत बड़ी सादी 
मैं दादा हूं मगर दादा गिरी मुझको नहीं आती 
मैं देता सबको इज्जत हूं, मुझे भी मिलती है इज्ज़त, 
रहे यह जिंदगी हरदम, खुशी से यूं ही मुस्काती
2
मुझे कोई से कुछ शिकवा नहीं है ना शिकायत है 
जो होता है, वह होना था, समझना मेरी आदत है 
किसी से भी ,कभी कोई, अपेक्षा ना मेरे मन में, 
मोहब्बत मैं लुटाता हूं ,मुझे मिलती मोहब्बत है 
3
बची है जिंदगी कुछ दिन, बुढ़ापे की हकीकत है 
ना देती साथ काया है, मुसीबत ही मुसीबत है 
मेरा परिवार ,दोस्त और यार , लुटाते प्यार है मुझ पर ,
कमाई मैंने जीवन में ,अभी तक यह ही दौलत है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 21 मार्च 2025

जिंदगी का सफर 


1

हमारी जिंदगानी में मुसीबत आनी जितनी है 

न तेरी है ना मेरी है, हमारी है वो अपनी है 

हमें मिलजुल के करना सामना है उनसे लड़ना है,

तभी यह जिंदगानी शान से अपनी गुजरनी है

2

 कठिन पथ जिंदगी का है हमें जिससे गुजरना है

 मिला कर कंधे से कंधा ,हमेशा साथ चलना है

ना तो मतभेद हो कोई,नहीं मनभेद हो कोई,

बदल कर एक दूजे को, एक सांचे में ढलना है

3

तभी हम काट पाएंगे,विकट जीवन, कठिन पथ को 

रहेंगे जो सभी से मिल, बना रखेंगे इज्जत को

किसी की भावना को,ठेस ना पहुंचाएंगे हम , 

लगेगी ना नजर कोई की अपनी इस मोहब्बत को


मदन मोहन बाहेती घोटू

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