एक सन्देश-

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सोमवार, 3 नवंबर 2025

लंबा जीवन 


लंबे से लंबा जीऊं मैं ,यह कोशिश है, बाकी सब ऊपर वाले पर छोड़ दिया है


सुबह-सुबह उठ सैर और व्यायाम कर रहा 

खुद को प्राणायाम ध्यान से जोड़ लिया है 

खान-पान में प्रतिबंधों का ढेर लगा है, ना मीठा ना तली हुई कुछ चाट पकौड़ी


कई मधुर फल आम और अंगूर, शरीफा केला भी ना और मधुर लीची भी छोड़ी


 मेरी अति प्रिय गरम जलेबी और इमरती

अब तो रसगुल्ले खाने पर भी पाबंदी है


कभी-कभी एक छोटा पैग पिया करता  था

किंतु आजकल लागू पूर्ण नशाबंदी है


मेरी इसी लालसा ने लंबा जीने की,

मेरी जीवन की शैली को मोड़ दिया है 


लंबे से लंबा जीऊं मैं यह कोशिश है 

बाकी सब ऊपर वाले पर छोड़ दिया है


 कई बार पर मन में द्वंद उठा करता है यह भी कोई जीवन है खाओ ना पियो


करो न कोई मस्ती पिकनिक मौज पार्टी, सिमटे चारदिवारी में बस जीवन जियो 


आठ वर्ष तक तड़प तड़प जीने के बदले

चार वर्ष तक मौज मस्ती का जीवन अच्छा 


इतने सुख के साधन हैं,उपभोग न करना

ना अपनी मर्जी का खाना पीना अच्छा


लंबे समय बुढ़ापे के दुख नहीं झेल कर,

मैंने मौज मस्ती से जीवन जोड़ लिया है


अब तो हंसी खुशी यह जीवन जीना है,

 बाकी सब ऊपर वाले पर छोड़ दिया है 


मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 1 नवंबर 2025

मेरा जीवन

मुझे ना उधो से कुछ लेना
मुझे ना माधो को कुछ देना 
बड़े प्यार से खाता जो भी 
 मिलता चना चबेना 
जब से मन से निकल गई है 
कुछ पाने की तृष्णा 
बड़े प्रेम से जपता हूं अब 
जय राधा जय कृष्णा

 मैं त्यागी मोह और माया
 निर्मल हो गई मेरी काया 
भाव घृणा का दूर हो गया,
सब पर प्रेम लुटाया 
करता सबसे प्यार ,
घृणा का बचा न कोई प्रश्न ना 
बड़े प्रेम से जपता हूं अब 
जय राधा जय कृष्णा  

 मैंने दिया अहम को त्याग 
सभी के प्रति मन में अनुराग 
अब तक सोई पड़ी आत्मा 
आज गई है जाग 
अब तो सबकी सेवा करना 
अपना प्यार परसना 
बड़े प्रेम से जपता हूं मैं,
जय राधा जय कृष्णा 

किसी से ना झगड़ा ना रार 
सभी के प्रति मन में है प्यार 
दीन दुखी की सेवा करना 
धर्म-कर्म व्यवहार 
मन में भक्ति भाव लिए अब
 सबके दिल में बसना 
बड़े प्रेम से जपता हूं मैं 
जय राधा जय कृष्णा 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
बोनस वाली जिंदगी 

मैंने एक भरपूर जिंदगी जी ली है,
काट रहा हूं बाकी जीवन बोनस में 
अपने साथी संगी और परिवार जनों
 के प्रति मेरा प्यार भरा है नस-नस में

जीवन के कुछ दिन मस्ती में बीत गए, किलकारी भरते, मुस्काते, बचपन में 
कुछ दिन बीते यूं ही किशोर अवस्था में 
उच्छृंखल से, मौज मनाते ही यौवन में और फिर शादी हुई गृहस्थी बोझ बड़ा, गया उलझता मैं कमाई की उलझन में
पग पग बाधाओं से टकराव हुआ ,
कितने सुख-दुख झेले अबतक जीवन में पाले पोसे बच्चे, उनके पंख उगे ,
नीड़ बसा कर अपना, चले गए बसने 
 मैंने एक भरपूर जिंदगी जी ली है,
 काट रहा हूं बाकी जीवन बोनस में 

इस जीवन में खट्टे मीठे कितने ही, अनुभव पाकर के अब जब परिपक्व हुआ 
धीरे-धीरे सीख सीख दुनियादारी 
अच्छा बुरा समझने में कुछ दक्ष हुआ
 दबे पांव आ गया बुढ़ापा ,यह बोला 
बूढ़े हो तुम ,किसी काम के नहीं रहे जबकि चुस्त दुरुस्त काम में यह बूढ़ा, अपने मन की पीर बताओ किसे कहे कार्य शैली में अंतर दोनों पीढ़ी का 
सोच नहीं उनकी मिलती है आपस में
 मैंने एक भरपूर जिंदगी जी ली है 
काट रहा हूं बाकी जीवन बोनस में 

यह सच है की बढ़ती हुई उम्र के संग 
हुआ समय का भी कुछ ऐसा पगफेरा तने हुए तन में कमजोरी समा गई तरह-तरह की नई व्याधियों ने घेरा 
काम धाम कुछ बचा नहीं है करने को,
खालीपन ही खालीपन है जीवन में 
 लाचारी ने मुझे निकम्मा बना दिया,
रह रह टीस उठा करती मेरे मन में 
कल तक तो चलता फिरता था फुर्तीला देखो आज हो गया कितना बेबस मै 
मैंने एक भरपूर जिंदगी जी ली है, 
काट रहा हूं बाकी जीवन बोनस में

वृद्धावस्था मुझे इस तरह सता रही पिछले जन्मों की मुझे मिल रही कोई सजा
 रह गया वस्तु में एक चरण छूने की बस 
 मेरे सर पर जब से बुजुर्ग का ताज सजा जी करता है त्यागूं सभी मोह माया ,
कुछ पुण्य कमा लूं,राम नाम का जप करके 
तीर्थाटन और दान धर्म थोड़ा कर लूं 
करूं प्रायश्चित पापों का जीवन भर के कोशिश करूं कि तर जाऊं मै बैतरणी , यही कामना ईश कृपा की मानस में 
मैंने एक भरपूर जिंदगी जी ली है 
काट रहा हूं बाकी जीवन बोनस में

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025

आओ फिर लड़ लें,झगड़ लें 

बहुत दिन से तुम न रूठी ,
और ना मैंने मनाया 
फेर कर मुंह नहीं सोये,
एक दूजे को रुलाया 
देर तक भूखी रही तुम,
और मैं भी न खाया 
फिर सुलह के बाद वाला ,
नहीं सुख हमने उठाया 
रूठने का, मनाने का ,
बहाना हम कोई गढ़ ले 
आओ फिर लड़ लें,झगड़ ले 

चलो फिर से याद कर ले ,
उम्र वह जब थी जवानी 
दिन सुनहरे हुआ करते, 
और रातें थी सुहानी 
पागलों सा प्यार था पर ,
एक दूजे की न मानी 
चाहते ना चाहते भी ,
हुआ करती खींचातानी 
हुई अनबन रहे कुछ क्षण,
राह कुछ ऐसी पकड़ ले 
आओ फिर लड़लें ,झगड़लें 

सिर्फ मीठा और मीठा ,
खाने से मन है उचटता 
बीच में नमकीन कोई ,
चटपटा है स्वाद लगता 
इस तरह ही प्यार में जो ,
झगड़े का तड़का न लगता 
तो मनाने बाद फिर से ,
मिलन का सुख ना निखरता 
रुखे सूखे होठों पर वह ,
मिलन चुंबन पुनः जड़ लें 
आओ फिर लड़लें, झगड़लें 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 26 अक्टूबर 2025

खींच सकता हूं जितना 

झेलता सब परेशानी,
बुढ़ापे की बीमारी की, 
अभी तक काटा ये जीवन,
हमेशा गाते ,मुस्काते

जिऊंगा यूं ही हंस हंस कर 
जब तलक मेरे दम में दम 
मौत भी डगमगाएगी,
मेरे नजदीक को आते 

क्योंकि हथियार मेरे संग,
दुआएं दोस्तों की है,
 है रक्षा सूत्र बहनों का ,
भाइयों का है अपनापन 

असर पत्नी के सब व्रत का, 
है करवा चौथ, तीजों का 
मिलेगा फल उसे निश्चित,
रहेगी वह सुहागन बन

प्यार में मेरा भी सबसे 
बन गया इस तरह बंधन 
मोह में और माया में ,
उलझ कर रह गया है मन 

मज़ा जीने में आता है 
चाहता दिल, जियूँ लंबा
जब तक खींच सकता हूं 
मैं खींचूंगा मेरा जीवन

मदन मोहन बाहेती घोटू 
गुनगुनाते रहो 

भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो 
पंछियों की तरह चहचहाते रहो 

रोने धोने को ना,है ये जीवन मिला 
ना किसी से रखो कोई शिकवा गिला 
प्रेम का रस सभी को पिलाते रहो
भुनभुनाओ नहीं ,गुनगुनाते रहो 

आएंगे सुख कभी, छाएंगे दुख कभी 
तुम रखो हौसला, जाएंगे मिट सभी 
तुम कदम अपने आगे बढाते रहो 
भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो 

देख औरों की प्रगति, न मन में जलो
जीत जाओगे तुम, दो कदम तो चलो 
जश्न खुशियों का अपनी मनाते रहो भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो 

मुश्किलें सब तुम्हारी,सुलझ जाएगी 
जिंदगी हंसते गाते,गुजर जाएगी 
तुम त्यौहार हर दिन मनाते रहो 
भुनभुनाओ नहीं, गुनगुनाते रहो

मदन मोहन बाहेती घोटू 

मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

श्री गणेश लक्ष्मी पूजन दीवाली पर एक साथ क्यों?

अभी कुछ दिन पहले ही तो,
 बड़े भक्ति भाव से हमने ,
गणेश जी को विदा देकर किया था रवाना  
यह कह कर कि है गणपति बप्पा अगले बरस तुम जल्दी आना 
और बरस भर की जरूरत ही नहीं पड़ी बहुत जल्दी हमें पड़ गया उनको फिर से बुलाना 
क्योंकि दिवाली आ गई है 
घर-घर में लक्ष्मी जी छा गई है 
उल्लू पर सवार लक्ष्मी माता अपनी महिमा दिखने लगी है 
पति विष्णु तो सोए हुए हैं लंबी नींद 
और यह अपने दोनों हाथों से सिक्के बरसाने लगी है 
लक्ष्मी माता चंचल है और धन समृद्धि के साथ खो न दे अपने बुद्धि और विवेक इसलिए उन पर संतुलन बनाने के लिए निमंत्रित किया जाते हैं श्री गणेश 
लक्ष्मी माता एक स्थान पर स्थिर नहीं होती है 
श्री गणेश बुद्धि के स्वामी है लक्ष्मी को स्थिर करने के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है 
श्री गणेश जी लक्ष्मी जी को स्थिर रखकर लंबे समय तक रखते हैं टिकाए इसलिए दीपावली पूजन में लक्ष्मी जी के साथ बिठाकर गणेश जी भी जाते हैं पूजाएं 
आपने देखा होगा लक्ष्मी की तस्वीरों में जब वो अकेली होती है ,
दोनों हाथों से धन बरसाती है 
और जब गणेश जी साथ होती हैं 
तो शांति मुद्रा में पूजी जाती है
गणेश जी की सलाह से धन बरसाते हुए अच्छे बुरे का करती संतुलन है
दीपावली पर गणेश पूजन का यही तो कारण है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

शादी 

जैसे ,पतझड़ के बाद हो बसंत ऋतु में फूलों का महकना 
जैसे ,प्रात की बेला में पक्षियों का मधुर करलव , चहकना 
 जैसे ,सर्दी की गुनगुनी धूप में छत पर बैठ मुंगफलियां खाना 
जैसे ,गर्मी में लोकल ट्रेन में आकर ठंडे पानी से नहाना 
जैसे ,तपती हुई धरती पर बारिश की पहली फुहार का गिरना 
जैसे ,उपवन के पेड़ पर चढ़कर पके फलों को चखना 
जैसे, पूनम के चांद का थाली भरे जल में उतरना 
जैसे , बौराई अमराई में कोकिल का पीयू पीयू चहकना 
जैसे ,सवेरे उठकर गरम-गरम गुलाबी चाय की चुस्कियां लेना 
जैसे ,दीपावली की रात में दीपक की लौ से बिखरता हुआ प्रकाश 
जैसे ,चटपटा खाने के बाद मुंह में घुल जाए गुलाब जामुन की मिठास 
जैसे ,होली के रंगों में जीवन के बिखरे हो अबीर गुलाल 
जैसे ,वीणा और तबले की आपस में मिल जाए ताल से ताल 
जैसे ,जीवन के कोरे कागज पर लिख दे प्रणय गीत 
जैसे , वीराने में बहार बनकर आ जाए कोई मनमीत 
जैसे ,सोलह संस्कारों में सबसे प्यारा मनभावन संस्कार 
जैसे ,ईश्वर द्वारा मानव को दी गई सबसे अच्छी सौगात

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

चौरासी पार 

हो गए हम चौरासी पार 
देश विदेश घूम कर देखा, देख लिया संसार 
हो गए हम चौरासी पार 

बचपन में गोदी में खेले ,निश्चल और 
अबोध 
हंसते कभी,कभी रोते थे ,नहीं काम और क्रोध 
फिर जब दुनियादारी सीखी ,पड़ी वक्त की मार
हो गए हम चौरासी पार 

उड़ते रहते थे पतंग से ,जब थी उम्र जवान 
कटी डोर तो गिरे धरा पर रही आन ना शान 
वक्त संग लोगों ने लूटा ,हमको सरे बाजार 
हो गए हम चौरासी पार 

जैसे जैसे उम्र बढी ,आई जीवन की शाम
तो संभाल और देखभाल में, मुश्किल आई तमाम
धीरे धीरे लगा बदलने, लोगों का व्यवहार 
हो गए हम चौरासी पार
 
अब तन जर्जर,अस्थि पंजर, हुआ समय का फेर 
आया बुढ़ापा ,कई व्याधियां, हमको बैठी घेर 
अब तक जीवन की उपलब्धि ,
पाया सबका प्यार 
हो गए हम चौरासी पार

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

टेंशन 


मेरे घर में टेंशन का कुछ काम नहीं

क्योंकि टेंशन है तो फिर आराम नहीं

इसके लिए अटेंशन देना पड़ता है

बात-बात पर ब्लड प्रेशर ना बढ़ता है

छोटी बातें सहज सुलझ जो सकती है

इस जीवन में बड़ी अहमियत रखती है

उनका करो निदान इसलिए जल्दी से 

हट जाएगी परेशानियां सब जी से 

अगर सवेरे आए नहीं काम वाली 

परेशान हो मत दो उसको तुम गाली

परेशानियों को तुम दोगे यूं ही भगा 

क्या होगा जो एक दिन पोंछा नहीं लगा

फोन करो स्वीगी को खाना मंगवा लो

मनपसंद खाना होटल का तुम खा लो

पढ़ने में यदि लगता ना मन बच्चों का

तुम टेंशन जो लोगे इससे क्या होगा 

उनको इंसेंटिव दो आगे बढ़ने का 

शौक उन्हें लग जाए जिससे पढ़ने का

दोस्त तुम्हारे होंगे और कुछ दुश्मन भी

कभी किसी से होगी थोड़ी अनबन भी 

कोई हो नाराज खफा तुमसे काफी

होकर निसंकोच मांग लो तुम माफी 

एक तुम्हारा शब्द सिर्फ सॉरी कहना 

दूर तुम्हें कर देगा टेंशन से रहना

परेशानियां सुख-दुख आते जाते हैं 

लोग व्यर्थ ही टेंशन से घबराते हैं 

लेते यूं ही बहाना टेंशन करने का 

जैसे पत्नी को टेंशन है मरने का 

अगर मैं गई पहले टेंशन यह भारी

देखभाल फिर कौन करेगा तुम्हारी 

 तुम जो पहले गए टेंशन यह होगा

 मैं पड़ जाऊं अकेली मेरा क्या होगा 

जो भी होनी है तो होगी निश्चय है 

तो फिर व्यर्थ तुम्हारे मन में क्यों भय है

चार दिनों का पाया हमने यह जीवन

उसमें भी यदि रहे पालते हम टेंशन 

नहीं काटना यह जीवन है रो रो कर

इसीलिए बस हंसो जियो तुम खुश होकर

अगर नहीं जो सर पर पालोगे टेंशन 

नहीं मिलेगा तुम्हें उम्र का एक्सटेंशन

मानो मेरी बात, नजरिया तुम बदलो 

जीना है जो लंबा ,तो टेंशन मत लो


मदन मोहन बाहेती घोटू 

मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025

प्रार्थना 

हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो 
और दीनों के नाथ हो 
अपने भक्तों के सुख-दुख में 
सदा निभाते साथ हो
 जय जय जय जय जय गिरधारी 
हर लो मेरी विपदा सारी 

परमात्मा हो तुम परमेश्वर 
और तुम ही अखिलेश हो 
आदिकाल से पूजे जाते
 ब्रह्मा विष्णु महेश हो 
भाग्यवान है वे सब जिनके 
सर पर तुम्हारा हाथ हो 
 हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो  
और दीनों के नाथ हो 
जय जय जय जय जय त्रिपुरारी 
 हर लो मेरी विपदा सारी 

जबभी जिसने सच्चे दिल से 
दुख में तुम्हें पुकारा है 
उसकी सारी विपदा हर कर 
तुमने दिया सहारा है 
उसके कष्ट निवारण करके 
करी प्रेम बरसात हो 
हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो 
और दीनों के नाथ हो 
जय जय चक्र सुदर्शन धारी
हर लो मेरी विपदा सारी 

जब-जब पाप बढ़ा धरती पर 
फैला अत्याचार हुआ 
तब तब दुष्ट हनन करने को 
तुम्हारा अवतार हुआ 
तुमने शांति, धर्म फैलाया 
दूर किया उत्पात हो 
हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो 
और दीनों के नाथ हो 
जय जय रामचंद्र अवतारी 
हर लो मेरी विपदा सारी 

कभी राम बनकर तुम जन्में 
रावण का संहार किया 
कभी कृष्ण बन लीलाधारी 
दुष्ट कंस का को मार दिया 
कभी प्रकट नरसिंह रूप में
 बचा लिया प्रहलाद हो 
हे प्रभु तुम तो दीनबंधु हो 
और दीनों के नाथ हो 
जय जय जय जय कृष्ण मुरारी 
हर लो मेरी विपदा सारी 

कभी मोहनी रूप लिया 
और देवों में अमृत बांटा 
धोखे से जो आए पीने 
राहु केतु का सिर काटा 
भस्मासुर को भस्म कराया 
रख सर खुद का हाथ हो 
हे प्रभु दीन बंधु हो तुम तो
और दीनों के नाथ हो 
जय जय जय भोले भंडारी
हर लो मेरी विपदा सारी 

विपुल संपदा के दाता तुम 
सबके भाग्य विधाता हो 
उसे कमी क्या,जिसकी पत्नी 
स्वयं लक्ष्मी माता हो 
मुझको दो धन-धान्य 
तुम्हारा भजन करूं दिन रात हो
 हे प्रभु दिन बंधु हो तुम तो 
और दीनों के नाथ हो
मैं हूं आया शरण तिहारी 
हर लो मेरी विपदा सारी 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

रावण की पीड़ा 


कल रावण मेरे सपने में आया 

परेशान था और झल्लाया 

बोले में रावण हूं 

दुनिया में नंबर वन हूं 

मेरे पास अतुलित दौलत है 

बाहुबली हूं ,मुझ में ताकत है 

कोई मुझसे मेरे हथियारों के कारण डरता है 

कोई मुझसे मेरे स्वर्ण भंडारों के कारण डरता है 

मेरे वर्चस्व को सब मानते हैं 

और जो नहीं मानते मेरी, वे बैर ठानते हैं मैं उन्हें तरह-तरह से करता हूं प्रताड़ित 

अपनी पूरी शक्ति से करता हूं दंडित 

फिर भी कुछ राम और हनुमान 

मेरी धमकियों पर नहीं देते हैं ध्यान 

मेरी बातों को करते हैं अनसुना 

मैं उन पर टैरिफ लगा देता हूं चौगुना लोग कहते हैं अपने अहम के बहम में पगला गया हूं 

पर कुछ दोस्त मेरी बात नहीं सुनते,

 मैं उनसे तंग आ गया हूं 

उनके देश में गांव-गांव और शहरों में हर साल 

मेरे पुतले जलाकर मनाया जाता है दशहरे का त्यौहार 

देखो कैसा अमानवीय है उनका व्यवहार पिछले कई सालों से नहीं है यातना भुगतता चला आ रहा हूं 

प्रतिशोध की आग में जला जा रहा हूं फिर भी मौन और शांत हूं ,

ना कोई बदला है ना प्रतिकार 

अब आप ही बतलाइए ,क्या मैं नहीं हूं शांति के नोबेल प्राइज का हकदार 

कई देशों के बीच हो रही थी लड़ाई 

मैंने  अपने रुदबे से रुकवाई 

तो क्या यह नहीं है जाईज 

कि मुझे दिया जाए शांति का नोबेल प्राइज 

अगर लोग मेरी बात नहीं मानेंगे

 मेरे वर्चस्व को नहीं जानेंगे 

मैं दुनिया में उथल-पुथल मचा दूंगा

जब तक मुझे शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिल जाएगा मैं किसी को शांति से जीने नहीं दूंगा 

और शांत नहीं बैठूंगा


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 25 सितंबर 2025

कुकुर अभिनंदन 

मैंने एक कुत्ते से पूछा 
हे पशु श्रेष्ठ 
पालतू जानवरों की श्रेणी में तुम हो बेस्ट तुम्हारे चाहने वाले तुम्हें इतना प्यार करते हैं 
कि अपनी पत्नी को खुला छोड़ देते हैं पर तुम्हारे गले में पट्टा बांधकर रखते हैं यह पट्टा नहीं, उनके प्यार का बंधन है तुम्हारा अभिनंदन है 

हे अनजान आगंतुकों को देखकर भौंकने वाले पशुवर 
आप रहते हैं जिस घर पर 
वहां जाने में सबको लगता है डर मेजबान को 
मेहमानो को घर के द्वार तक 
लेने और विदा करने स्वयं जाना पड़ता है ना चाहते हुए भी इस औपचारिकता को निभाना पड़ता है 

 हे दुम हिलाते कुकुर भाई 
तुमने भी क्या किस्मत है पाई 
बड़े-बड़े सुंदर बंगले में रहते हो तुम 
रोज सवेरे तुम्हें घूमाते साहब मैडम 
तुम प्राणी हो स्वेच्छाचारी
उनके बेडरूम तक सीधी पहुंच तुम्हारी गोरी गोरी सुंदर मांसल
 मेमों साहबों की गोदी का 
निर्मल सुख तुम नित पाते हो 
उनके साथ बड़ी कारों में सदा घूमने तुम जाते हो 
तुम हरदम चौकन्ने रहते 
तुम्हारी तीखी सी नजरें 
करती घर की देखभाल है 
और तुम्हारी स्वामी भक्ति बेमिसाल है 

हे प्यारे कुकुर महोदय 
तुम्हें देखकर सबको ही लगता है भय जब खुल्ले में रहते हो सामान्य पशु बन बड़ी शान से गली मोहल्ले में चलता तुम्हारा शासन 
तुम्हारा काटा पानी भी नहीं मांगता 
उसे लगाने पड़ते हैं चौदह इंजेक्शन 

हे कुत्ते जी
साथ गली में जब मिलजुल कर 
शोर मचाते हो तुम तीखा 
ऐसा लगता तुम तो गुरु हो नेताओं के 
संसद और विधानसभा में 
शोर मचाना और चिल्लाना तुमसे सीखा 
इसीलिए जब न्यायालय ने 
तुम्हारे हल्ले और हमले के कारण 
तुम्हें जेल में भिजवाने का आदेश सुनाया तुम्हारे प्यारे चेले इन नेताओं ने 
तुम्हें बचाया 
करो शुक्रिया इनका 
इनने निज कर्तव्य निभाया 

हे श्वान सुज्ञानी 
बात पुरानी है लेकिन है जानी-मानी साथ युधिष्ठिर गए स्वर्ग थे तुम विमान मे, तुम दुनिया के पहले पशु प्राणी 
रूस देश ने पहला जीव
अंतरिक्ष में जो भेजा था 
तुम्हारी फीमेल नस्ल थी 
और उसका था नाम लाइका 
देशभक्ति में और सेना में 
कद्र तुम्हारी की जाती है
 तुम्हारी सूंघने की शक्ति 
 बदमाशों को पकड़वाती है 
सच श्वान जी तुम महान हो 
इस धरती की बड़ी शान हो 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 21 सितंबर 2025

हम जन्मदिन मनाएं 

जीवन के बचे कुछ दिन 
चल रहा प्रहर अंतिम 
सर पर सफेदी छाई 
देता है कम दिखाई 
सुनते हैं थोड़ा ऊंचा 
जर्जर है तन समूचा 
हालात दिल की खस्ता
 हाथों में ले गुलदस्ता 
क्यों ना मिठाई खाएं 
हम जन्मदिन मनाएं 

थोड़ा बचा है ईंधन 
गाड़ी चलेगी कुछ दिन 
फिर भी रहें चलाते 
और रह कर मुस्कुराते 
हम केक भी काटेंगे 
और सबको ही बाटेंगे 
जब तक है जिंदा थोड़े 
जिंदादिली ना छोड़े 
सबको गले लगाएं 
हम जन्मदिन मनाएं 

जीवन की आपाधापी 
कर लिया काम काफी 
मस्ती का आया मौसम 
आराम कर रहे हम 
आए हैं ऐसे दिन अब
 अपनी कमाई दौलत 
अपने पर करें खर्चा 
चारों तरफ हो चर्चा 
खुशियों के नाच गाएं 
हम जन्मदिन मनाएं 

यारों के साथ मिलके  
करें शौक पूरे दिल के 
रंगीन यह खुदाई 
ईश्वर ने है बनाई 
दुनिया की सैर कर ले 
खुशियों का ढेर भर ले 
अरमान सब अधूरे 
जल्दी से कर ले पूरे 
मस्ती से पियें खायें 
हम जन्मदिन मनायें 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
सच्ची पूजा 

मैंने तुझे देवता माना, 
लेकिन तू तो पत्थर निकला 
हीरा समझ तुझे पूजा था
 पर तू तो संगेमर निकला 

 मैने श्रद्धा और लगन से ,
निशदिन सेवा और पूजा की 
चावल अक्षत पुष्प चढ़ाएं 
कर्मकांड कुछ बचा न बाकी 
मैंने सुना था दानवीर तू ,
बिन मांगे सब कुछ दे देगा 
लेकिन तूने नहीं कृपा की 
केवल मुझे दिखाया ठेंगा 
कैसे करूं प्रसन्न तुझे मैं 
मैं बस यही सोच कर निकला
मैने तुझे देवता माना, 
लेकिन तू तो पत्थर निकला 

मैंने सोचा हो सकता है
 त्रुटियां कुछ मैंने की होगी 
मेरा भाग्य संवर ना पाया 
इसीलिए अब तक हूँ रोगी 
ईश्वर प्यार उसे करता है 
प्यार करे जो उसके जन को 
दीन दुखी की सेवा करना 
अच्छा लगता है भगवन को 
बात समझ में जब आई तो 
मैं फिर राह बदल कर निकला 
 मैंने तुझे देवता माना ,
लेकिन तू तो पत्थर निकला

मैंने तेरी सेवा से बढ़ 
ध्यान दिया दीनों दुखियों पर 
प्यासे को पानी पिलवाया 
और भूखों को भोजन जी भर 
तृप्त हुई जब दुखी आत्मा 
उन्हें दी आशीषें जी भर 
खुशियां मेरे आंगन बरसी 
मेरे संकट सभी गए टल 
मेरी व्याधि दूर हो गई ,
फल इसका अति सुंदर निकला 
मैंने तुझे देवता माना ,
लेकिन तू तो पत्थर निकला

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 20 सितंबर 2025

यह जाना बुढ़ापे में 

कौन पराया कौन है अपना 
कौन प्यार करता है कितना 
बड़ी स्वार्थी ,दुनिया सारी 
है दिखावटी ,रिश्तेदारी 
सब है मतलब के यार 
यह जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में 

बीत गए दिन जब जवान था 
हर कोई मुझ पर मेहरबान था 
कुछ ना कुछ मुझे पाते थे 
हरदम मेरे गुण गाते थे 
प्रभु कृपा से धन दौलत थी 
खुल्ले हाथ मदद की सबकी 
स्रोत संपत्ति का सूख रहा अब 
हर कोई मुझसे रूठ रहा अब 
बदल रहा व्यवहार सभी का 
दुनियादारी ,अब मैं सीखा 
जब खाई उन्हीं से मार,
यह जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में 

हुआ कभी गर्वित मैं थोड़ा 
कोई का दिल मैंने तोड़ा 
मुझ में आया कभी अहम था 
अब जाना वो सिर्फ बहम था 
भले बुरे सब हालातो में 
तुम शालीन रहो बातों में 
बिगड़े नहीं किसी से रिश्ते 
रहो सभी से मिलते जुलते 
कभी किसी पर क्रोध न जागे 
टूटे नहीं प्रेम के धागे 
सुख के पल हो या दुख मातम 
प्रभु का नाम सुमरना हरदम 
एक वही करेगा बेड़ा पार 
ये जाना बुढ़ापे में 
बड़ा छलिया है संसार 
ये जाना बुढ़ापे में

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जय जय लक्ष्मी माता 

जय जय श्री लक्ष्मी माता 
तू सुख और संपति दाता 
तेरी कृपा दृष्टि जो पाता 
हरदम तुझको शीश नमाता 
थोड़ा मुझ पे भी लुटा दे प्यार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू भर दे मेरा भंडार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

तेरी छवि है धन बरसाती 
जल स्नान कराते हाथी 
कमल पुष्प पर तेरा आसन 
हाथ जोड़कर खड़े भक्तजन 
तेरी पूजा करें संसार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू भर दे मेरे भंडार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

माता तू है धन प्रदायिनी 
नारायण की अंकशायनी 
शेषनाग पर ,बीच समंदर 
रहती पति सेवा मे तत्पर 
तुझ में सेवा भाव अपार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तू कर दे मेरा भी उद्धार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

आया शरण तिहारी माते 
मुझ पर कृपा दृष्टि बरसा दे 
मेरे भाग्य को तू चमका दे 
मेरा वैभव खूब बढ़ा दे 
मेरा बेड़ा लगा दे पार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
तेरी महिमा अपरंपार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 

मैया तू है देवी धन की 
तुझ बिन गति नहीं जीवन की 
 तू है , सुंदर परिधान है
तू है, अच्छा खानपान है
तुझे पूजूं में बारंबार 
ओ मैया लक्ष्मी जी 
कर दे मुझ पर भी उपकार 
ओ मैया लक्ष्मी जी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 13 सितंबर 2025

कीर्तन ,माता रानी का


नवरात्रि के नव रूपों में,

 भव्य तेरा श्रृंगार 

अपने भक्तजनों पर माता,

सदा लुटाती प्यार 

तेरी महिमा सब ने जानी 

मेरी माता रानी 

मुझ पर कर दे मेहरबानी

 मेरी माता रानी


  जपूं में नाम तेरा दिन रात 

  चाहिए तेरा आशीर्वाद 

  मुझे दे चरण चढ़ा परसाद 

   हमेशा  सर पर रखना हाथ

 मेरे मन में बसी हुई है

 तेरी छवि सुहानी

 मुझ पर कर दे मेहरबानी

 मेरी माता रानी 


तुझको चुनर मै चढ़ाऊ

 तुझको टीका मैं लगाऊं 

तुझे माला मैं पहनाऊं 

तुझपर परसाद चढ़ाऊ 

तेरी आरती उतारू 

अपना सब कुछ तुझ पर वारूँ 

तेरी महिमा जानी मानी

 मेरी माता रानी 

कर दे मुझ पर मेहरबानी 

मेरी माता रानी 


तेरी भक्ति की शक्ति का 

कैसे करूं बखान 

जी करता है माता गाउं 

सदा तेरा  गुणगान 

तेरी शक्ति है निराली 

तू है दुर्गा तू है काली 

देवी तू है खप्पर वाली 

तू ही वैष्णो देवी प्यारी  

भक्त निकलते हैं घर घर से 

तेरे दर्शन को हैं तरसते 

तेरी कृपा दृष्टि है पानी 

मेरी माता रानी 

कर दे सब पे मेहरबानी 

मेरी माता रानी


माता तू सुख शांति दात्री 

तुझको पूजूं मै नवरात्रि 

अपने घर में, कलश धरूं मैं 

पूरे नौ दिन, वरत करूं मैं

श्रद्धा और आस्था भर के 

नौ कन्या का पूजन कर के 

गाउं आरती सुहानी 

मेरी माता रानी 

कर दे सब पर मेहरबानी 

मेरी माता रानी 


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 10 सितंबर 2025

श्राद्ध मनाओ 

जिन पूर्वज पुरखों के कारण पाया यह जीवन है 
जिनके कारण रक्त प्रभावित रग रग में हर क्षण है 
जिनके संचित सत्कर्मों का हम है लाभ उठाते 
उनके पावन श्री चरणों में श्रद्धा सुमन चढ़ाते 
तुम श्रद्धा से श्राद्ध पक्ष में उन्हें नमाओ शीश 
तृप्ति मिलेगी उन्हें स्वर्ग में ,देंगे वह आशीष 
उनकी मरण तिथि अवसर पर ब्राह्मण भोज कराओ 
श्रद्धा से दे दान दक्षिणा, ढेरों पुण्य कमाओ 
नाम तुम्हारे के पीछे है अब भी जिनका नाम 
अपने सभी दिवंगत पुरखों को तुम करो प्रणाम

मदन मोहन बाहेती घोटू 
हमारा श्राद्ध 

एक दिन बाद 
बहू को आया याद 
अरे कल तो था ससुर जी का श्राद्ध 
बहू ने झट से मोबाइल उठाया 
डोमिनो को फोन कर 
एक पिज़्ज़ा पंडित जी के घर भिजवाया 
ब्राह्मण भोजन का यह उसका नया स्टाइल था 
दक्षिणा के नाम पर कोक मोबाइल था 
रात ससुर जी सपने में आए 
मुस्कराए 
और बोले बहू धन्यवाद 
इतने दिनों बाद 
कर लिया हमें याद 
तुम्हारा भिजवाया गया पिज़्ज़ा था बहुत स्वाद 
ऐसे पहले भी तुम पिज़्ज़ा मंगवाती थी 
पर अपने कमरे में अपने पति के साथ ही खाती थी 
कभी कभार एक टुकड़ा मुझे भी भिजवाती थी 
पर अब की बार तो पिज़्ज़ा पूरा था 
चीज से भरा था 
मैंने प्रेम से खाया 
साथ में उर्वशी और रंभा को भी खिलाया 
उन्हें भी बहुत पसंद आया 
बहू बोली आप स्वर्ग में भी मजा कर रहे हैं 
और हम यहां महंगाई से मर रहे हैं
अब तो आपकी पेंशन का पैसा भी नहीं आता है 
घर का बजट मुश्किल से चल पाता है 
आपको पता है आजकल पिज़्ज़ा भी छह सौ रुपए में आता है 
हमने कहा हम स्वर्ग में है पर धरती की सभी खबरों का पता है
आजकल पिज़्ज़ा के साथ नई स्कीम चल रही है और कोक फ्री में मिलता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 6 सितंबर 2025

मैं बूढ़ा नहीं हूं 

काम की हूं चीज मैं कूड़ा नहीं हूं 
बूढ़ा दिखता हूं मगर बूढ़ा नहीं हूं 

कोई मेरे दिल के अंदर झांक देखें 
मेरे मन की भावना को आंक देखें
पाएगा वह एक कलेजा जलता जलता जवानी का जूस है जिसमें उबलता 
वीक थोड़ी बैटरी पर हो गई है 
चेहरे की चमक थोड़ी खो गई है परिस्थितियों हो गई प्रतिकूल सी है 
मगर खुशबू अब भी कायम फूल सी है उमर बढ़ती ने मुझे ऐसा ठगा है 
फूल सा ये बदन मुरझाने लगा है 
मगर चेहरा मेरा अब भी मुस्कुराता 
अब भी हंसता हूं खुशी के गीत गाता देख करके हुस्न मन अब भी उछलता 
अभी भी कायम पहले जेसी ही चंचलता कड़कते व्यवहार में आई नमी है 
बस जरा सी कहीं, कुछ आई कमी है 
 तन बदन पर आ गई कुछ सलवटें है
 उड़ न पाते अधिक,क्योंकि पर कटे हैं जवानी का जोश थोड़ा हो गया कम
मगर जज्बा पुराना अब भी है कायम
 ढोल में है पोल फिर भी बज रहा है 
रंगीला मिज़ाज फिर भी सज रहा है 
ठीक से नव पीढ़ी संग जुड़ा नहीं हूं 
बूढ़ा दिखता हूं मगर बूढ़ा नहीं हूं 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
नाश्ता 

आओ डियर करें नाश्ता 
मैं खाऊंगा पूरी कचोरी ,
और तुम पिज़्ज़ा और पास्ता 
आओ डियर करें नाश्ता 

मुझे दही संग अच्छे लगते 
गरम पराठे आलू वाले 
गरम टोस्ट पर लगा के मक्खन 
साथ जाम के तू भी खा ले 
मुझे बेड़मी आलू भाते 
और साथ में गरम समोसा 
तुझे चाहिए इडली सांभर 
आलू भरा मसाला डोसा 
भले हमारे दिल मिलते हो 
खान-पान का अलग रास्ता 
आओ डियर करें नाश्ता 

तुझे विदेशी चीज भाती
देसी स्वाद मेरा मन मोहे 
मुझे चाहिए गरम जलेबी 
और साथ इंदौरी पोहे 
पोहे में नींबू निचोड़कर 
साथ सेव के जो खाएगी
तो फिर चाऊमीन चोप्सी 
स्प्रिंग रोल भूल जाएगी 
खाले छोले और भटूरे 
बड़ा चटपटा मज़ा स्वाद का 
आओ डियर करें रास्ता 

गरम-गरम गुलाब जामुने
या फिर मूंग दाल का हलवा 
थोड़ा तू भी चख ,देखेगी 
देसी ब्रेकफास्ट का जलवा 
भूलेगी एस-प्रेसो कॉफी 
दही की लस्सी जो पी लेगी 
तो फिर इटली चाइनीज का 
स्वाद विदेशी सब भूलेगी 
मेरे देसी ब्रेकफास्ट का 
हर एक आइटम बड़ा खास था 
आओ डियर करें नाश्ता

मदन मोहन बाहेती घोटू 
पत्नी का मैके जाना 

मेरी पत्नी गई है मैके 
है हाल मेरे कुछ ऐसे 
सुख बोलूं या दुख बोलूं 
जो मुझे गई वो मुझको देके 

सुख उसे इसलिए कहता
मैं आजादी से रहता 
मैं अपने मन का मौजी
मन चाहे वैसा रहता

ना रोक ना टोका टाकी 
और ना अनुशासन बाकी 
स्वछंद गगन में उड़ता 
मै बंद पिंजरे का पांखी 

 बस एक-दो दिन या राती 
 आजादी मन को भाती 
फिर हर पल हर क्षण रह रह,
 पत्नी की याद सताती 

हो जाती शुरू मुसीबत 
खाने पीने की दिक्कत 
खुद खाओ खुद ही पकाओ 
बर्तन मांजो की आफत 

एकाकी मान ना लगता 
मैं रात रात भर जगता 
करवट बदलो तो बिस्तर 
खाली-खाली सा लगता 

बेगम जो नहीं तो गम है 
तन्हाई का आलम है 
बीवी को कहीं ना भेजो 
अब खा ली मैंने कसम है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 1 सितंबर 2025

डर लगता एकाकीपन से 

रह गया अकेला जीवन में 
डर लगता एकाकीपन से 

मैं डरता बहुत बुढ़ापे से, 
मुझ पर छाये इस दुश्मन से 

रिमझिम रिमझिम कर बरस रहे 
इस मुझे चिढ़ाते सावन से 

देते हैं व्यर्थ सांत्वना जो,
 कुछ अपनों के अपनेपन से 

उचटी नींदें,बिखरे सपने,
नैनो से बहते अंसुवन से 

मालूम नहीं कब छूटेगा 
इस मोह माया के बंधन से 

डर लगता एकाकीपन से

मदन मोहन बाहेती घोटू 

प्रभु भवसागर से पार करो 


 हे प्यारे दीनानाथ प्रभो 

काटो मेरे सब पाप प्रभो 

श्री राम राम श्री कृष्ण कृष्ण

करता मैं हरदम जाप प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


मैं मोह माया में फंसा हुआ 

मैं दुख पीड़ा से डसा हुआ 

आया में शरण तिहारी हूं 

और तुम्हें नमाता माथ प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


क्षण क्षण जर्जर होता है तन 

दुनियादारी में उलझा मन 

मैं भटक रहा हूं इधर-उधर 

है अच्छे ना हालात प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


सब पुण्य पाप जीवन भर के 

लाया हूं झोली में भर के 

माफ़ी देना ,दंडित करना ,

सब कुछ है तुम्हारे हाथ प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


मैं भी संतान हूं तुम्हारी 

और तेरे प्यार का अधिकारी 

मेरे सर रख दो हाथ प्रभो 

और दे दो आशीर्वाद प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पार करो 


तुम भक्तों के दुख करते हो 

और मदद सभी की करते हो 

मैं हाथ जोड़कर मांग रहा 

दो मुझे मोक्ष सौगात प्रभो 

प्रभु जी मेरा उद्धार करो 

और भवसागर से पर करो 


मदन मोहन बाहेती घोटू

विश्व पत्र लेखन दिवस पर विशेष

 लाल डब्बे की पीर

ख़ून के आंसू लाल डब्बा रो रहा है 
जुल्म उसके साथ क्या-क्या हो रहा है 

था जमाना रौब जब उसका बड़ा था
चौराहों पर शान से रहता खड़ा था

उसकी लाली करती आकर्षित तभी तो 
खोल कर मुख करता आमंत्रित सभी को

अपने सारे सुखऔर दुख पत्र में लिख 
मेरे मुंह में डाल मुझको करते अर्पित  

बुरे या अच्छे तुम्हारे हाल सारे 
पहुंचाता था सभी अपनों को तुम्हारे 

प्रेमी अपने प्यार के सारे संदेशे 
डालते थे लिफाफे में बंद करके 

मेघदूतों की तरह उड़ान भर के 
पहुंचा देता पास में लख्ते जिगर के 

खबर दुःख की जैसे कोई के मरण की 
या खुशी नवजात कोई आगमन की 

कोई अर्जी भेजता था नौकरी की 
मेरी झोली संदेशों से ही भरी थी 

सुहागन सा लाल वस्त्रों से सजा था 
चिट्ठियों से हमेशा रहता लदा था 

वक्त ने लेकिन किया ऐसा नदारद 
कहीं भी आता नजर ना किसी को अब

अपनी सारी अहमियत वह खो रहा है 
ख़ून के आंसू लाल डब्बा रो रहा है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 28 अगस्त 2025

प्रभु सिमरन 

जीवन में जब विपदा आये ,तुम प्रभु का नाम सुमर लेना 
सच्ची श्रद्धा से निज मन को ,तुम भक्ति भाव से भर लेना 
करुणा निधान ,भगवान प्रभु सब कष्ट निवारण कर देगा 
सुख सारे ,खुशियां ही खुशियां
 तेरी झोली में भर देगा 
वह हरण कर रहा सबके दुख ,
तब ही तो हरी है कहलाता 
अन्न जल सारे जग को देता 
जग में सबसे ऊंचा दाता 
प्राण दायिनी वायु बनकर 
वह प्राण सभी में है भरता 
सूरज बनकर ऊर्जा देता 
और जग को है रोशन करता
वह ही बन कर के इंद्रदेव 
करवाता जल की बरसाते 
उसके कारण हरियाली है 
हैं पुष्प महकते मुस्कुराते 
वह परमपिता परमात्मा है 
उसकी झोली है सदा भरी 
श्रद्धा से पुकारा जिसने भी 
उसने उनकी है पीर हरी 
गज ,ग्राह के मुख से छुड़वाया 
प्रहलाद अगन से बचवाया 
संकट आया जब भक्तों पर 
नंगे पांव ,दौड़ा आया 
सच्चे मन भाव लगन से झुक
जो उसकी शरण में है जाता
उसके सब संकट कट जाते 
बिन मांगे सब कुछ पा जाता 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 24 अगस्त 2025

देव वंदन 

हे परमपिता भगवान राम 
हे द्वारकेश ,घनश्याम श्याम 
हे महादेव ,जय शिव शंकर 
हे नारायण, तू परमेश्वर 
मैं तेरा परम पुजारी हूं 
मैं आया शरण तिहारी हूं 
कर दो मेरा उद्धार प्रभु 
मुझ पर बरसा दो प्यार प्रभु 

हे आदि शक्ति दुर्गा माता 
जय सरस्वती, विद्या दाता 
हे महालक्ष्मी ,धन दात्री 
 मैं पूजूं सबको नवरात्रि 
तुम मुझ पर कृपा की दृष्टि करो  
धन और बुद्धि की वृष्टि करो 
कर दो मेरा उद्धार मात 
मुझ पर बरसा दो प्यार मात 

जय गणपति जय गौरी नंदन
पहली पूजा तुमको अर्पण 
तुम रिद्धि सिद्धि के हो दाता 
मैं तुम्हें नमाऊँ निज माथा 
मेरे कारण निर्विघ्न करो 
तुम मेरे सर पर हाथ धरो 
करता पूजा तेरी सदैव 
मुझ पर बरसा दो प्यार देव

 हे पवन पुत्र हनुमान प्रभो 
तुम हो शक्ति के धाम प्रभो 
तुमसा न कोई बलवान प्रभो 
है इष्ट तुम्हारे राम प्रभो 
तुम महावीर हो बजरंगी
तुम बुद्धिमान, सुमति संगी
मेरी किस्मत चमका दो तुम
बाधाएं सकल हटा दो तुम

जय राधा कृष्ण जुगल जोड़ी 
करो सीताराम कृपा थोड़ी 
 लक्ष्मी नारायण कृपा करो 
गौरी शंकर दुख सकल हरो 
जय अग्नि वरुण और इंद्रदेव 
 तुम ऊर्जा देते सूर्य देव 
तुमसे ही चलती यह सृष्टि 
 मुझ पर प्रभु रखना कृपा दृष्टि 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 18 अगस्त 2025

संतुष्ट जीवन 

जो भी जिसके लिए कर सका,
 मैं वह जी खोल किया है 
मेरे मन में संतुष्टि है ,
मैंने जीवन सफल जिया है 

मिली मुझे जो जिम्मेदारी 
मैंने वह कर्तव्य निभाया 
इसकी नहीं कभी चिंता की
 मैंने क्या खोया क्या पाया 
पथ में बाधाएं भी आई,
 रहा जूझता हर मुश्किल से 
लेकिन काम किया जितना भी 
लगन लगाकर सच्चे दिल से 
इसका है परिणाम सभी ने
 मुझको जी भर प्यार दिया है 
मेरे मन में संतुष्टि है 
मैंने जीवन सफल जिया है 

हालांकि जीवन के पथ पर 
मै एकाकी, चला अकेला 
जो भी मिला मुझे रस्ते में
 मैंने उस पर प्यार उंडेला 
मैंने सबको दिया ही दिया
 बदले में कुछ भी न मांगा 
रहा हमेशा अनुशासन में 
मर्यादा को कभी ना लांघा 
सिद्धांतो पर सदा चला और 
सत पथ का अनुसरण किया है
 मेरे मन में संतुष्टि है 
मैंने जीवन सफल जिया है 

हरदम चला धर्म के पथ पर
 और सत्कर्म रहा मैं करता 
बना सत्य को अपना साथी 
हरदम रहा पाप से डरता
रहा पुण्य की हांडी भरता 
सदा बुराई से मुख मोड़ा 
सेवा भाव सदा रख मन में 
कभी किसी का दिल ना तोड़ा 
जितना भी हो सका हमेशा,
 मैंने सबका भला किया है 
मेरे मन में संतुष्टि है 
मैंने जीवन सफल जिया है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 9 अगस्त 2025

जीवन जीना 

आतेजाते हैं जीवन में 
कई जटिल तूफान 
सबसे लड़ते ,आगे बढ़ते 
जुझारू इंसान
जब तलक जिंदा स्वाभिमान 
तब तलक है जीने की शान 

कदम बढ़ाए फूंक फूंक कर 
देखें पीछे ,आगे 
राष्ट्र प्रेम की मन के अंदर,
सदा भावना जागे 
अगर किसी के काम आ सको 
जीवन धन्य तुम्हारा 
सेवा की और सद्भावों की 
मन में बहती धारा 
सत के पथ पर चले ना डिगे 
छोड़े ना ईमान 
जब तलक जिंदा स्वाभिमान 
तब तलक है जीने की शान 

 जो भी करें काम जीवन में
 मेहनत और लगन हो 
परोपकार के लिए हमारे 
जीवन का हर क्षण हो 
दीन दुखी की सेवा करना 
नहीं किसी का बुरा सोचना 
और दुर्भाव न रखना 
कभी किसी से कुछ पाने की 
तुम उम्मीद न रखना 
तभी तुम कहलाओगे महान
जब तलक जिंदा स्वाभिमान 
तब तलक है जीने की शान

सब के प्रति सदभाव रखें 
और बुरा न चाहे किसी का 
सदाचार से जीवन जीना 
होता नाम इसी का 
हंसते-हंसते सबसे मिलना 
और रहना मिलजुल कर 
नहीं किसी से कभी दुश्मनी 
जीवन जीना खुलकर 
मिलेगा तुम्हें बहुत सम्मान 
जब तलक जिंदा स्वाभिमान 
तब तलक है जीने की शान 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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