समझौता
बचे हैं जीवन के कुछ साल
आओ दे मन का मैल निकाल
कभी मैंने तुमसे कुछ भला बुरा कहा होगा
कभी तुमने मुझसे कुछ भला बुरा कहा होगा
कभी तुम्हें मेरे व्यवहार से बुरा लगा होगा
कभी मुझे तुम्हारे व्यवहार से बुरा लगा होगा
पर जो हो गया सो हो गया, सब कुछ भुला दे
हम अपने संबंधों को एक नया सिलसिला दें भूल जाए जो भी हैं शिकवे गिले
और आपस में दिल खोल कर मिले
और प्रेम से हो जाए मालामाल
आओ दे मन का मैल निकाल
गलतफहमियां कुछ तुमने हमने भी पाली होगी किसी ने बीच में अलगाव की दीवार डाली होगी
चलो वो दीवार को तोड़ दें, रिश्तो में तनाव न रहे आपस में हो प्रेम भाव ,कोई मनमुटाव न रहे
बची हुई जिंदगी हंसी खुशी से मिलकर कांटे जितना भी हो सके प्रेम हम सब में बांटे
आपस में मिलजुल कर
प्रेम करें हम खुल कर
बचीखुची जिंदगी,हो जाए खुशहाल
आओ दें मन का मैल निकाल
मदन मोहन बाहेती घोटू
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