जमाना बदल गया है
मेरा देश कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था ,
पर देखो परिस्थितियों कितनी बदल गई है आज सोना आसमान को छू रहा है , और
आसमान में चिड़िया नजर आती नहीं है
मेरे देश की धरती जो कभी सोना थी
उगलती
आज उन खेतों में पराली है जलती
कभी हरियाली से भरे हुए जंगल हुआ करते थे ,
आज जाने कहां खो गए हैं
जिधर देखो उधर कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं
कभी मेरे देश में बहती थी दूध दही की नदियां खूब
और आजकल प्लास्टिक की पैकिंग में मिल रहा है दूध
पश्चिम की हवाओं ने पूरब की लाली को ऐसा बुझाया है
कि मेरी देश की संस्कृति और संस्कारों को मिटाया है
अब जन्म दिवस की तिथि ऐसे मनाई जाती है
दीप जलाये नहीं जाते,
मोमबत्ती बुझाई जाती है
पहले जहां पग पग रोटी पग पग नीर
हुआ करता था
अब नीर प्लास्टिक की बोतल में दिख रहा है ,
और हर तरफ ढाबे खुल गए हैं जहां रोटी और खाना बिक रहा है
पुराने ऋषि मुनियों के गुरुकुल
हो गए हैं गुल
और जगह-जगह कोचिंग क्लासेस गई है खुल
अतिथि देवो भव की परंपरा अब सिर्फ पांच सितारा होटल में पाई जाती है
अब खुशी के मौका पर गुड़ और पताशे नहीं बंटते ,केक खाई जाती है
शादी के पहले साथ रहने का चलन चल गया है
पता नहीं हम बदले हैं या जमाना बदल गया है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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