बदलते हालात
दो महीने की बिमारी ने,
हुलिया मेरा ऐसा बदला
कल तक था मैं मोटा ताजा,
आज हो गया दुबला पतला
एसी पीछे पड़ी बिमारी
कमजोरी से त्रस्त होगए
पहनू लगते झबले जैसे,
ढीले सारे वस्त्र हो गए
झूर्री झुर्री बदन हो गया
जो था चिकना भरा सुहाना
गायब सारी भूख होगई
हुआ अरुचिकर ,कुछ भी खाना
दिन भर खाओ दवा की गोली
जी रहता है मचला मचला
कल तक था मैं मोटा ताजा
आज होगा दुबला पतला
लेकिन मैंने हार न मानी,
हालातों से रहा जूझता
मन में श्रद्धा और लगन ले,
ईश्वर को मैं रहा पूजता
अगर दिये हैं उसने दुख तो
वो ही फिर सुख बरसाएगा
मेरी जीवन की शैली को
फिर से पटरी पर लाएगा
दृष्टिकोण आशात्मक रखकर
मैंने अपना मानस बदला
कल तक था मैं मोटा ताजा
आज हो गया दुबला पतला
मदन मोहन बाहेती घोटू
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