जब से तुझसे नज़र लड़ गयी
जबसे तुझसे नज़र लड़ गयी
मचल उठा ये मन उन्मादी
पहले प्यार हुआ फिर शादी
तेरे साथ चोंचलों में ही ,
मैंने सारी उमर बिता दी
तेरे साथ साथ रहने की ,
ऐसी आदत मुझे पड़ गयी
जब से तुझसे नज़र लड़ गयी
सांझ सवेरे, पल पल क्षण क्षण
तेरे ख्यालों में खोया मन
ऐसा तूने अपने रंग में ,
मुझे रंग लिया ,ऐ रंगरेजन
मेरे दिल का चैन खो गया , ,
अब तो बात इस कदर बढ़ गयी
जब से तुझसे नज़र लड़ गयी
कभी ख़ुशी है और कभी गम
हरदम प्यार हमारा कायम
तेरा साथ नहीं छोड़ूगा ,
जब तक है मेरे दम में दम
निकल सके ना अब तू दिल से ,
तू दिल में तिरछी हो अड़ गयी
जब से तुझसे नजर लड़ गयी
घोटू
जबसे तुझसे नज़र लड़ गयी
मचल उठा ये मन उन्मादी
पहले प्यार हुआ फिर शादी
तेरे साथ चोंचलों में ही ,
मैंने सारी उमर बिता दी
तेरे साथ साथ रहने की ,
ऐसी आदत मुझे पड़ गयी
जब से तुझसे नज़र लड़ गयी
सांझ सवेरे, पल पल क्षण क्षण
तेरे ख्यालों में खोया मन
ऐसा तूने अपने रंग में ,
मुझे रंग लिया ,ऐ रंगरेजन
मेरे दिल का चैन खो गया , ,
अब तो बात इस कदर बढ़ गयी
जब से तुझसे नज़र लड़ गयी
कभी ख़ुशी है और कभी गम
हरदम प्यार हमारा कायम
तेरा साथ नहीं छोड़ूगा ,
जब तक है मेरे दम में दम
निकल सके ना अब तू दिल से ,
तू दिल में तिरछी हो अड़ गयी
जब से तुझसे नजर लड़ गयी
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।