अठहत्तरवे जन्मदिन पर
मुश्किलों से लड़ ,निपट कर
जिंदगी के कठिन पथ पर
कर लिया है पार मैंने ,
मील का एक और पत्थर
उम्र अब मेरी अठहत्तर
हुआ मैं जब जब त्रसित ,
पीड़ाग्रसित ,तुमने संभाला
कदम जब भी डगमगाये ,
दिया बाहों का सहारा
पड़ा मैं कमजोर जब जब ,
तुम मेरा संबल बनी तब
तुम्हारी ही प्रेरणा से ,
पहुँच पाया मंजिलों पर
उम्र अब मेरी अठहत्तर
हम बहुत कुछ चाहते पर ,
चाहने से कुछ न मिलता
मगर मेहनत और चाहत
ने तुम्हारी ,दी सफलता
साथियों ने साथ दे कर
मुश्किलों को मात दे कर
निखारा ,मुझको संवारा ,
और दिनोदिन किया बेहतर
उम्र है मेरी अठहत्तर
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
मुश्किलों से लड़ ,निपट कर
जिंदगी के कठिन पथ पर
कर लिया है पार मैंने ,
मील का एक और पत्थर
उम्र अब मेरी अठहत्तर
हुआ मैं जब जब त्रसित ,
पीड़ाग्रसित ,तुमने संभाला
कदम जब भी डगमगाये ,
दिया बाहों का सहारा
पड़ा मैं कमजोर जब जब ,
तुम मेरा संबल बनी तब
तुम्हारी ही प्रेरणा से ,
पहुँच पाया मंजिलों पर
उम्र अब मेरी अठहत्तर
हम बहुत कुछ चाहते पर ,
चाहने से कुछ न मिलता
मगर मेहनत और चाहत
ने तुम्हारी ,दी सफलता
साथियों ने साथ दे कर
मुश्किलों को मात दे कर
निखारा ,मुझको संवारा ,
और दिनोदिन किया बेहतर
उम्र है मेरी अठहत्तर
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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