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शनिवार, 16 नवंबर 2019

सख्त और नरम

मत सख्त रहो और इतराओ
तुम नरम बनो ,नरमी लाओ

हम सख्त अन्न ना खा पाते
पिसवा कर आटा बनवाते
आटा भी ना खाया  जाता
बन नर्म न जब तक गुंथ जाता
उसकी रोटी बन सिक जाती
खाने के काम तभी आती
लोगों के काम आप आओ
तुम नरम बनो,नरमी लाओ

है दानेदार ,शकर बोरी
मीठी, खाई न जाय कोरी
काम आ जाती आसानी में
चाशनी बने घुल पानी में
रस पिये  जलेबी, मन भाये
रसगुल्ला, रस से सन जाये
बूंदी,गुलाबजामुन खाओ
तुम नरम बनो,नरमी लाओ

हरदम करते रहना सख्ती
कोई को भली नहीं लगती
होते जो लोग नरम दिल है
सब खुश होते उनसे मिल है
ना अच्छी सख्तमिजाजी है
रखती न किसी को राजी है
बन नम्र ,प्रेम सबका पाओ
तुम नरम बनो ,नरमी लाओ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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