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बुधवार, 25 सितंबर 2019

कैसे कैसे लोग

इसतरह के होते है कुछ आदमी
ढूंढते  रहते  है औरों  में  कमी
मगर वो खुद कमी का भंडार है
ठीक होने की जिन्हे दरकार है

प्रबल इतना हुआ उनका अहम है
उनसे बढ़ कर कोई ना ये बहम  है
कमी खुद की ,नज़र उनको आई ना
देखते वो ,नहीं शायद ,आइना

घोटालों में लिप्त जिनके हाथ है
स्वार्थी  चमचे कुछ उनके साथ है
बुरे धंधे , नहीं उनसे  छूटते
जहाँ भी मिलता है मौका ,लूटते

अहंकारों से भरा हर एक्ट है
समझते खुद को बड़ा परफेक्ट है
शरीफों पर किया करते चोंट है
छुपी कोई उनके मन में खोट है

चाहते सत्ता में रहना लाजमी
इस तरह के होते है कुछ आदमी

घोटू 

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