एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 5 जनवरी 2019

धूप 

कुछ गरम गरम सी धूप 
कुछ नरम नरम सी धूप 
कुछ बिखरी बिखरी धूप 
कुछ निखरी निखरी धूप 

कुछ तन सहलाती धूप 
कुछ मन बहलाती धूप 
कुछ छत पर छाती धूप 
कुछ आती जाती धूप 

कुछ जलती जलती धूप 
कुछ ढलती ढलती  धूप 
कुछ चलती चलती  धूप 
कुछ यूं ही मचलती धूप 

कुछ चुभती चुभती धूप 
कुछ बुझती बुझती धूप 
कुछ उगती उगती धूप 
कुछ मन को रुचती धूप 

कुछ सर पर चढ़ती धूप 
कुछ पाँवों पड़ती   धूप 
कुछ आँखों गढ़ती धूप 
कुछ रूकती ,बढ़ती धूप 

कुछ रूपहरी सी धूप 
कुछ सुनहरी सी धूप 
कुछ दोपहरी सी धूप 
तो कुछ ठहरी सी धूप 

कुछ सुबह जागती धूप 
कुछ द्वार लांघती  धूप 
खिड़की से झांकती धूप 
संध्या को भागती  धूप 

कुछ शरमाती सी धूप 
कुछ मदमाती सी धूप 
कुछ गरमाती सी धूप 
कुछ बदन तपाती धूप 

कुछ भोली भोली धूप 
कुछ रस में घोली धूप 
सब की हमजोली धूप
करे आंखमिचोली धूप 

कुछ थकी थकी सी धूप 
कुछ पकी पकी सी धूप 
कुछ छनी छनी सी धूप 
कुछ लगे कुनकुनी धूप 

कुछ खिली खिली सी धूप  
मुश्किल से मिली सी धूप 
कुछ  रंगरंगीली  धूप 
है कई रूप की धूप 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '  
 

1 टिप्पणी:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-