चन्दन और पानी
तुमने अपने मन जीवन में ,
जबसे मुझे कर लिया शामिल
जैसे चन्दन की लकड़ी को,
गंगाजल का साथ गया मिल
कभी चढूं विष्णु चरणों पर
कभी चढूं शिव के मस्तक पर
अपनेजीवन करू समर्पित,
प्रभु पूजन में ,घिस घिस,तिल तिल
सुखद सुरभि मै फैलाऊंगा
शीतलता ,तन पर लाऊंगा
औरों को सुख देना ही तो,
मेरा मकसद,मेरी मंजिल
घोटू
तुमने अपने मन जीवन में ,
जबसे मुझे कर लिया शामिल
जैसे चन्दन की लकड़ी को,
गंगाजल का साथ गया मिल
कभी चढूं विष्णु चरणों पर
कभी चढूं शिव के मस्तक पर
अपनेजीवन करू समर्पित,
प्रभु पूजन में ,घिस घिस,तिल तिल
सुखद सुरभि मै फैलाऊंगा
शीतलता ,तन पर लाऊंगा
औरों को सुख देना ही तो,
मेरा मकसद,मेरी मंजिल
घोटू
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