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मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

सब नंगें है

      सब नंगें है

कपड़े उतारते है हम या तो  हमाम मे
खुद का जिसम निहारते ,शीशे के सामने
या फिर सताया करता जब गर्मी का मौसम
तब सुहाते है ,जिस्म पे ,कपड़े भी कम से कम
या मिलते है जब प्रेमी और होती मिलन की रात
कपड़े अगर हो दरमियाँ ,बनती नहीं है बात
लेकिन है अब माहौल कुछ  ऐसा बदल गया
कपड़े उतारने का एक फैशन सा चल गया
कुछ बाबाओं के गंदे जो धंधे थे ,खुल गए
कहते है लोग ,उनके सब कपड़े उतर गए
कुछ लोग नंगे हो रहे ,जात ओ धरम नाम
कुछ मिडिया भी कररहा है इस तरह का काम
फैशन के नए ट्रेंड ने भी कुछ कपड़े है  उतारे
कुछ कपड़े यूं ही उतरे , है  मंहगाई के मारे
नंगई  इस तरह से है सब और  बढ़ रही
सड़कों पे औरतों की है अस्मत उघड रही
आतंक ,लूट मार और  दंगे  है हो  रहे
दुनिया के इस हमाम मे ,सब नंगे हो रहे
 
घोटू

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