एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 28 नवंबर 2013

जलने सभी लगे

              जलने सभी  लगे

घर के चिराग सब के सब ,अब तक थे गुल पड़े ,
                 सूरज को ढलता देख कर ,जलने सभी लगे
दिखलाते थे हमदर्दियां ,बिगड़े  नसीब पर ,
                सूरज जो चमका भाग्य का ,जलने सभी लगे
जब तक नहीं वो पास थे ,हम बेकरार थे ,
                   जीवन था कुछ बुझा बुझा ,मायूस बड़े थे ,
उनने जो छुआ प्यार से,आया करंट यूं,
                    अंगों में आग लग गयी , जलने सभी लगे

घोटू  

बुधवार, 27 नवंबर 2013

आइना

         आइना

आईने में खुद को ऐसे तुम, देखो नहीं अगर 
बेचारे आईने को कहीं लग गयी नज़र
तुम तो संवर के ,सज के ,चली जाओगी कहीं,
हो जाए 'क्रेक 'आइना ,बेचारा  बेखबर

घोटू 

तहलका

              तहलका
तरुण भी है,तेज भी है ,कलम में भी जोर है ,
कितनो का ही भंडा फोड़ा,जब भी मिल मौक़ा गया
लिफ्ट में एक रूपसी ने लिफ्ट उनको नहीं दी ,
बात बिगड़ी इस तरह कि तहलका सा मच  गया

घोटू

सोमवार, 25 नवंबर 2013

खुश्की -सर्दियों की

     खुश्की -सर्दियों की

इधर खुजली ,उधर खुजली
जिधर देखो, उधर खुजली
खुश्क अब सारी  त्वचा है
सर्दियों की ये सजा   है
क्रीम कितने ही चुपड़ लो
तेल की मालिश भी कर लो
पर मुई ये  नहीं जाती
रात दिन हमको सताती
पहले आती कभी जब ,तब
उसका कुछ होता था मतलब
हाथ में जब कभी आती
खर्च या इनकम कराती
पाँव में जो कभी आये
यात्रा हमको कराये
आँख कि खुजली बीमारी
खुजलियां  थी ,कई सारी
सर्दियों में तो मगर अब
हो रहे है ,हाल बेढब
हर जगह और हर ठिकाने 
चली आती है सताने

घोटू

जीवन के दो रंग

     जीवन के दो रंग
               १
बचपने में लहलहाती घास थे
मस्तियाँ,शैतानियां ,उल्लास थे
ना तो थी चिता कोई,ना ही फिकर ,
मारते थे मस्तियाँ,बिंदास थे
                २
हुई शादी ,किले सारे ढह गये 
दिल के अरमां ,आंसुओं में बह गये 
लहलहाती घास ,बीबी चर गयी,
पी गयी वो दूध ,गोबर रह गये

घोटू 

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-