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गुरुवार, 7 मार्च 2013

होली का त्योंहार

        घोटू के पद
                1
      होली का त्योंहार 

आया होली का त्योंहार
साजन कहे ,न मलना गौरी ,मेरे गाल गुलाल
दो दिन नहीं हजामत किन्ही ,बढे हुए है बाल
कमल दलों से ,नाज़ुक,कोमल,हाथ तुम्हारे लाल
चुभ तुमको घायल ना करदे ,बालों का जंजाल
'घोटू'विहंस ,नायिका बोली,मोहे नहीं मलाल
कितनी बार चुभा  तुम दाढ़ी ,घायल किन्हें गाल
इस होली मै ,तुमको रंग कर,बरसा दूँगी प्यार
                     2
ऐसी, ऋतू बसंत की आई
स्वेटर ,शाल ढके दुबके थे,वो तन पड़े दिखाई
सूखे,फटे कपोलन पर ,अब आने लगी लुनाई 
बैठ गेलरी ,चाय पिवत ,बोली राधा ,अलसाई
तुम जल्दी घर पर आ जाना ,आज शाम कन्हाई
बहुत दिनों से  ,चाट पकोड़ी ,ना है हमने खायी 
देख मूड अच्छा राधा का,कान्हा मन मुस्काई
'घोटू'छुट्टी ले ,पूरे दिन  ,महिला दिवस मनाई

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 6 मार्च 2013

घोटू के दोहे

           घोटू के दोहे 
                1
नए  नए हम सीरियल ,देखा करते नित्य
किसको फुर्सत है भला ,पढ़े नया सहित्य 
                 2
ना तो  मीठे बोल है,ना सुर है ना तान
चार दिनों तक गूंजते ,फिर खो जाते गान
                    3
वो गजलों का ज़माना,मन भावन संगीत 
अब भी है मन में बसे ,वो प्यारे से गीत
                     4
साप्ताहिक था धर्मयुग ,या वो हिन्दुस्थान
गीत,लेख और कहानी,भर देते थे ज्ञान
                      5
कवि सम्मलेन रात भर,श्रोता सुनते मुग्ध
प्रहसन ,सस्ते लाफ्टर ,कर देते है क्षुब्ध
                        6
अंगरेजी का गार्डन ,फूल रहा है फ़ैल
एक बरस में एक दिन,बोते हिंदी बेल
                      7
छोटे छोटे दल बने,सब में है बिखराव
तो फिर कैसे आयेगा ,भारत में बदलाव

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मेरो दरद न जाने कोई

              घोटू के पद
       मेरो दरद न जाने कोई 

हे री मै तो ,अति पछताती ,मेरो दरद न जाने कोई
घायल की गति,घायल जाने ,और न जाने   कोई
मंहगाई काटन को दौड़त,निसदिन जनता रोई
खानपान के दाम बढ़ गए ,मंहगी गेस रसोई 
रेल किराया ,बहुत बढ़ गया ,पिया मिलन कब होई
सत्ता में जिनको बैठाया ,फिकर  क़ा रे नहीं कोई
'घोटू'अब तो तब निपटेंगे ,फीर चुनाव जब होई

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

प्रियतम ,मैंने बाल रंग लिये

                घोटू के पद
       प्रियतम,मैंने बाल रंग लिये

प्रियतम ,मैंने बाल रंग लिये
तुम काले बालों की रमणी ,बाल हमारे ,श्वेत रंग लिए
कतराती हो ,तुम जाने में,कहीं घूमने ,मुझे संग लिए
मै पागल प्रेमी तुम्हारा ,प्रीत जताता ,मन उमंग लिए
तुम मुझको समझो हो बूढा बहुत दिन हुए ,मुझे अंग लिए 
छोड़ पाजामा ,कुरता ढीला,पहन आधुनिक,वसन तंग लिए
अब मै भी ,जवान दिखता हूँ,चलो घूमने ,मुझे संग लिए
'घोटू'देख ,प्रीत प्रीतम की ,पत्नी लिपटी,प्रीत रंग लिए

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मन,तू ,क्यों कूतर सा भागे

         घोटू के पद
  मन,तू ,क्यों कूतर सा भागे

मन तू,क्यों कूतर सा भागे
मै तेरे पीछे दौडत हूँ,और तू आगे आगे
भोर भये तू शोर मचावत ,घर की देहरी लांघे
तेरी डोर ,हाथ मेरे पर, सधे  नहीं तू साधे
इत  उत सूँघत ,पीर निवारे,इधर उधर भटकाके 
रहत सदा  चोकन्ना पर तू,रखे मोहे उलझाके
'घोटू'स्वामिभक्त कहाये,निस दिन नाच नचाके

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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